VIDEO: विवादों के विश्वविद्यालय, दागी कुलपति ! अब राजुवास, बीकानेर के कुलपति पर विवाद, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप की डिग्री का विवाद अभी थमा नहीं है कि इस बीच प्रदेश के एक और विश्वविद्यालय के कुलपति सवालों के घेरे में आ गए हैं. बीकानेर स्थित राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग को लेकर राजभवन को शिकायतें मिली हैं. आरोप हैं कि डॉ. गर्ग के खिलाफ न्यायालय में आपराधिक मामले लम्बित होने के बावजूद उन्हें कुलपति नियुक्त कर दिया गया है. इस नियुक्ति से कुलपति सर्च कमेटी की कार्यशैली और विजिलेंस जांच को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. 

राजकीय सेवा में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति दिए जाने से पहले भी पुलिस वेरिफिकेशन का प्रावधान है. लेकिन यहां राजस्थान के सबसे बड़े पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में बगैर तथ्यों को वेरिफाई किए ही कुलपति नियुक्त किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. प्रकरण है बीकानेर स्थित राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय यानी राजुवास के कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग की नियुक्ति से जुड़ा हुआ. डॉ. गर्ग को 6 अगस्त 2021 को राजभवन ने कुलपति नियुक्त किया था. डॉ. सतीश कुमार गर्ग की कुलपति के रूप में नियुक्ति को लेकर राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा ने राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखा है. 

सुनील शर्मा ने पत्र में कुलपति की नियुक्ति में की गई अनियमितताओं की जांच की मांग की है. सुनील शर्मा ने पत्र में आरोप लगाया है कि डॉ. सतीश कुमार गर्ग आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति हैं. गर्ग द्वारा तथ्यों को छिपाकर और झूठे शपथ पत्र पेश कर कुलपति बनाया गया है. इस दौरान राजभवन और राज्य सरकार की आंखों में भी धूल झोंकने का कार्य किया है. पत्र में लिखा है कि कुलपति गर्ग पर संगीन धाराओं में कई आपराधिक मुकदमे लंबित हैं और वे वर्तमान में जमानत पर रिहा हैं. सुनील शर्मा ने राज्यपाल से आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को कुलपति पद से तुरंत हटाने की मांग की है.

कुलपति के खिलाफ ये बताए जा रहे आपराधिक मामले:
- एसएम कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल रिसर्च, सौंख के चेयरमैन किशन चौधरी ने मुकदमा 10/2011 दर्ज कराया
- डॉ. सतीश गर्ग व 5 अन्य लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दी कि वीसीआई निरीक्षण के लिए 2 लाख रुपए मांगे
- रुपए नहीं देने पर वीसीआई में चेयरमैन के फर्जी हस्ताक्षरों युक्त फर्जी रिपोर्ट पेश करने का आरोप
- पुलिस थाना मथुरा सदर बाजार ने 16 दिसंबर 2011 को डॉ. सतीश गर्ग व अन्य के खिलाफ चार्जशीट पेश की
- 19 अप्रैल 2012 को आरोपी डॉ. सतीश गर्ग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आवेदन दिया
- केस 2566/2012 में डॉ. सतीश कुमार गर्ग ने FIR रद्द करने का आवेदन किया
- हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से मना किया और कहा कि 1 माह में न्यायालय से जमानत लें आरोपी
- 6 मई 2012 को अभियुक्त डॉ. सतीश गर्ग, डॉ. दयाशंकर, डॉ.  सर्वजीत यादव ने मथुरा कोर्ट से जमानत कराई
- न्यायालय ने 20-20 हजार रुपए की जमानत पर डॉ. सतीश कुमार गर्ग को रिहा किया
- डॉ. सतीश गर्ग उस समय मथुरा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विवि में कार्यरत थे
- सीजेएम मथुरा ने केस 6458/2011 में 15 मई 2013 को डॉ. सतीश गर्ग सहित 5 आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी

- एक अन्य FIR 388/2009 सदर थाना बाजार मथुरा में प्रार्थी दिलीप कुमार यादव ने दर्ज कराई
- डॉ. सतीश कुमार गर्ग के निर्देशन में शोध कर रहे मनोज की हत्या करने का था आरोप
- पुलिस ने एफआर लगाई, जिसे CJM मथुरा ने 9 अप्रैल 2013 को खारिज कर दुबारा जांच के लिए कहा

- पुलिस थाना मथुरा सदर में बृजेश चंद्र उपाध्याय ने डॉ. सतीश गर्ग सहित 9 आरोपियों के खिलाफ FIR 07/2013 दी
- भरतपुर के मथुरा गेट थाने में 5 मार्च 2013 को मोहन श्याम ने एफआईआर दर्ज कराई
- डीन डॉ. सतीश कुमार गर्ग और पूर्व कुलपति अम्बिका प्रसाद सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई
- विश्वविद्यालय में नौकरी लगाने के नाम पर 3 लाख रुपए ठगने की रिपोर्ट दर्ज कराई

राजुवास में कुलपति के तौर पर डॉ. सतीश कुमार गर्ग की नियुक्ति किस कदर आनन-फानन में की गई थी इसे इस बात से समझा जा सकता है कि राजभवन द्वारा 17 जून 2021 को कुलपति लगाने के लिए राजभवन द्वारा सर्च कमेटी बनाई गई थी. इसमें विश्वविद्यालय के ही पूर्व कुलपति डॉ. एके गहलोत को सर्च कमेटी का कन्वीनर बनाया गया था. राजभवन की तरफ से डॉ. आरके सिंह, विश्वविद्यालय बोर्ड की तरफ से प्रो. गुरदयाल सिंह और वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से उमेश चंद्र शर्मा को नामित किया गया था. सर्च कमेटी ने इतने आनन-फानन में कुलपति को नियुक्ति दी, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया पर अपने आप ही सवाल उठ रहे हैं. 

5 दिन में दर्जनों आवेदकों की रिसर्च पढ़ ली, कुलपति चुन लिया !:
- 17 जून 2021 को राजभवन ने विश्वविद्यालय के लिए कुलपति सर्च कमेटी बनाई
- 19 जून को 2021 को कमेटी ने कुलपति पद के लिए आवेदन मांग लिए
- 20 जुलाई 2021 थी कुलपति पद के लिए आवेदन की अंतिम तिथि
- मात्र 5 दिन में कमेटी ने 3 नाम चुन लिए और राजभवन भेज दिए
- इस बीच मात्र 2 दिन 24 और 25 जुलाई को ही कमेटी की मीटिंग हुई
- कमेटी ने मात्र 2 मीटिंग में ही दर्जनों आवेदकों के बायोडाटा और रिसर्च पढ़ लिए
- आखिर 2 दिन की केवल कुछ घंटे की मीटिंग में यह कैसे है संभव ?
- क्योंकि विवि के कुलपति के लिए औसतन 80 से 100 आवेदन आते हैं
- 25 जुलाई को कमेटी ने 3 नाम चुनकर बंद लिफाफे में राजभवन को भेज दिए
- कुलपति पद के आवेदन में व्यक्ति को अपने खिलाफ लंबित मुकदमों की जानकारी देनी होती है
- आरोप है कि इस कॉलम में उन्होंने न्यायालय से जमानत पर रिहा केस की जानकारी छुपाई

अब आपको लिए चलते हैं विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर. इस वेबसाइट पर कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग का ब्रीफ बायोडाटा दर्ज है. बायोडाटा में यह तक दर्ज है कि कुलपति का जन्म हरियाणा में हुआ. शिक्षा पंजाब और हिमाचल प्रदेश में हुई. पहली पोस्टिंग असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय में हुई. 1999 में प्रोफेसर बने, 2004 में विभागाध्यक्ष बने. वर्ष 2009 में उन्हें डीन बनाया गया. वर्ष 2020 तक डीन के पद पर 11 वर्ष के लिए रहे. जून 2020 में बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी पटना में रजिस्ट्रार बने. यहां यह बात रोचक है कि कुलपति ने अपने बायोडाटा में हिमाचल प्रदेश और बिहार के विश्वविद्यालयों का जिक्र तो किया है, लेकिन जहां प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और 11 वर्ष तक डीन रहने का दावा करते हैं, वहां के विश्वविद्यालय का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया है. 

उनके सेवाकाल का अधिकांश समय मथुरा के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में गुजरा है, लेकिन अपने बायोडाटा में उन्होंने मथुरा विश्वविद्यालय का जिक्र तक नहीं किया है. फर्स्ट इंडिया न्यूज ने जब उनसे उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी मांगी तो डॉ. गर्ग ने कहा कि उन्हें किसी भी मामले में सजा नहीं हुई है. जब फर्स्ट इंडिया न्यूज ने पूछा कि क्या उनके खिलाफ किसी न्यायालय में केस चल रहा है. इस सवाल के जवाब में गर्ग बोले कि एक मुकदमा चल रहा है. जब पूछा गया कि क्या इस बारे में कुलपति पद के आवेदन में जानकारी दी थी और सर्च कमेटी को पता है कि उनके खिलाफ केस न्यायालय में लंबित हैं. इस सवाल को लेकर गर्ग बोले कि इस बारे में वे कोई जानकारी नहीं दे सकते.