Bharat Jodo Yatra: अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने जम्मू में राहुल गांधी के साथ पदयात्रा की

जम्मू: अभिनेत्री से नेता बनी उर्मिला मातोंडकर मंगलवार को सुबह कड़ाके की ठंड में नगरोटा से आगे बढ़ी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुईं.

नब्बे के दशक की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री मातोंडकर कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह करीब आठ बजे सैन्य अड्डे के समीप शुरू हुई पदयात्रा में राहुल के साथ शामिल हुईं. उनका स्वागत करने के लिए सड़क के किनारे कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक खड़े थे.

मातोंडकर ने सितंबर 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और 2020 में शिवसेना में शामिल हो गयी थीं. क्रीम रंग के पारंपरिक कश्मीरी फेरन और सिर पर स्कार्फ पहने हुए मातोंडकर को पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी से बातचीत करते हुए देखा गया. प्रख्यात लेखक पेरुमल मुरुगन तथा जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष विकार रसूल वानी, उनके पूर्ववर्ती जी ए मीर और पूर्व मंत्री तारिक हामिद कर्रा भी तिरंगा लेकर सैकड़ों लोगों के साथ पदयात्रा करते नजर आए.

विशाल रैली के साथ यह पदयात्रा संपन्न होगी:
कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू हुई यह पदयात्रा बृहस्पतिवार को पंजाब से जम्मू कश्मीर पहुंची और सोमवार को इसने जम्मू शहर में प्रवेश किया. पदयात्रा के श्रीनगर में समाप्त होने से पहले जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामबन तथा बनिहाल में रात्रि विराम करने का कार्यक्रम है. श्रीनगर में 30 जनवरी को शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक विशाल रैली के साथ यह पदयात्रा संपन्न होगी.

मशहूर कोल-कंडोली मंदिर के बाहर इंतजार करते दिखा:
लद्दाख क्षेत्रीय कांग्रेस अध्यक्ष नवांग रिगजिन जोरा की अगुवाई में लद्दाख के 65 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने यात्रा की शुरुआत में गांधी के साथ चलते हुए, उन्हें अपने लोगों के मुद्दों से अवगत कराया. विस्थापित कश्मीरी पंडित महिलाओं का एक समूह अपने पारंपरिक परिधान पहने और फूल की पत्तियां लिए राहुल का स्वागत करने के लिए मशहूर कोल-कंडोली मंदिर के बाहर इंतजार करते दिखा.

पैकेज उपलब्ध कराकर समुदाय के लिए काम किया:
गीता कौल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हम कश्मीर से पलायन करने के बाद तीन दशक से जम्मू में भटक रहे हैं. हम गांधी का स्वागत करने के लिए यहां आए हैं क्योंकि वह घाटी में हमारे पुनर्वास में मदद कर सकते हैं. कांग्रेस ने ही पहले हमारे युवाओं को रोजगार पैकेज उपलब्ध कराकर समुदाय के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि उनके सामने सबसे बड़ा मुद्दा समुदाय का पुनर्वास है तथा भाजपा इस अभियान में बुरी तरह नाकाम रही है एवं उसने हमें नजरअंदाज किया है. करीब डेढ़ घंटे के सफर के बाद यह पदयात्रा विराम लेगी और दोपहर दो बजे उधमपुर जिले में रेहमबल सैन्य द्वार के समीप फिर से शुरू होगी. सोर्स-भाषा