Navratri 2024: नवरात्र पर करना चाहते हैं माता को प्रसन्न, तो नौ दिन लगाएं ये अलग-अलग भोग

Navratri 2024: नवरात्र पर करना चाहते हैं माता को प्रसन्न, तो नौ दिन लगाएं ये अलग-अलग भोग

जयपुर: नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है. एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र. इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है. इसके अलावा आषाढ़ और माघ गुप्त नवरात्रि होती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं, जिसका समापन 17 अप्रैल होगा. शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रा सर्वोत्तम समय माना जाता है. 

भगवान राम ने नवरात्र में मां भगवती की आराधना से देवी को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था. ऐसे में माता के भक्त पूरे 9 दिनों तक माता की पूजा-अर्चना करके मां को प्रसन्न करना चाहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इन नौ दिनों में हर दिन माता को अलग-अलग चीजों का भोग लगाने का विधान बताया गया है. नवरात्र की 9 देवियां अलग-अलग 9 शक्तियों का प्रतीक मानी जाती हैं. अगर आप भी इन नौ दिनों में माता को प्रसन्न करके अपनी हर मुराद झट से पूरी कर लेना चाहते हैं तो नवरात्रि में हर दिन के हिसाब से माता को लगाएं उनकी पसंद का भोग.

आइए भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते हैं किस दिन किस माता को लगाया जाता है किस चीज का भोग.

पहला दिन- मां शैलपुत्री
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री को आरोग्य की देवी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि के पहले दिन गाय के शुद्ध देसी घी का भोग माता को लगाता है तो मां शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति को निरोग और खुश रहने का वरदान मिलता है. 

दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी
जो लोग मां ब्रह्मचारिणी से अपने लिए दीर्घायु का वरदान चाहते हैं उन्हें नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए. मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से माना जाता है कि व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता.

तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के हर दुख समाप्त  जाते हैं. 

चौथा दिन- मां कूष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को मालपुए खिलाने चाहिए. ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है.

पांचवां दिन- मां स्कंदमाता
नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है. स्कंदमाता की पूजा करने से आजीवन आरोग्य रहने का वरदान मिलता है.

छठां दिन-  मां कात्यायनी
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से आकर्षण का आशीर्वाद मिलता है.  

सातवां दिन- मां कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजी की जाती है. इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि गुड़ का भोग लगाने से आकस्मिक संकट से रक्षा  होती है. 

आठवां दिन- मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन लोग कन्या पूजन भी करते हैं. इस दिन महागौरी की पूजा करते समय माता को नारियल का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं. 

नौवां दिन- मां सिद्धिदात्री
नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इस दिन माता को तिल का भोग लगाते हैं. जिन लोगों को आकस्मिक मृत्यु का भय होता है वो मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं.