जयपुर: सरकार के एक्शन के बाद राजस्थान क्रिकेट संघ की कार्यकारिणी भंग करके एडहॉक कमेटी तो गठित कर दी गई है, लेकिन अब आरसीए का भविष्य क्या होगा, इसको लेकर बड़ा सवाल खड़ा है. भाजपा विधायक जयदीप बिहाणी के हाथ में फिलहाल राजस्थान क्रिकेट की कमान है, लेकिन उनके सामने तीन महीने में आरसीए के चुनाव संपन्न कराने की चुनौती है. इस बीच आरसीए से जुड़े जिला क्रिकेट संघों में भी आने वाले दिनों में कई बदलाव देखने को मिल सकते है.
प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही राजस्थान क्रिकेट संघ में पहले वैभव गहलोत की अध्यक्ष पद से विदाई हुई और बाद में रजिस्ट्रार सहकारिता ने शेष कार्यकारिणी भंग करके आरसीए में एडहॉक कमेटी गठित कर दी. कमेटी की कमान भाजपा के श्रीगंगानगर से विधायक जयदीप बिहानी को दी है. रजिस्ट्रार द्वारा खेल कानून के तहत दिए निर्देश के अनुसार एडहॉक कमेटी को तीन महीने में आरसीए के नए सिरे से चुनाव कराने होंगे. कमेटी गठन के चार दिन बाद एडहॉक कमेटी ने हालांकि कामकाज तो संभाल लिया, लेकिन सबसे चुनौतीपूर्ण काम तो चुनाव कराना है. कमेटी के संयोजक जयदीप बिहाणी ने आरसीए अकादमी में एडहॉक कमेटी सदस्यों धनञ्जय सिंह खींवसर , पवन गोयल जी , धर्मवीर सिंह शेखावत व हरीश सिंह जी की उपस्थिति में विधिवत रूप से आरसीए के दैनिक व वित्तीय कार्यो सहित क्रिकेट ऑपरेशन्स, बीसीसीआई , राज्य सरकार , राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद् से सामंजस्य जैसे मुद्दों पर सभी से विस्तृत चर्चा की. मीटिंग के दौरान सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से कई निर्णय लिए गए .
-आरसीए की पूर्व कार्यकारिणी द्वारा आगामी 8 अप्रैल को घोषित किये गए राजस्थान क्रिकेट संघ चुनावों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया गया.
-बीसीसीआई से नियमित सामंजस्य व खेळ गतिविधियों को सुचारू करने हेतु जल्द से जल्द वार्ता की जाएगी.
-आरसीए की खेल गतिविधियों व अन्य ऑफिसियल खेल कार्यों के संचालन हेतु क्रिकेट ऑपरेशन कमिटी का गठन किया
-क्रिकेट ऑपरेशन कमेटी का कन्वीनर रतन सिंह को बनाया. पवन गोयल, धर्मवीर व हरीश सिंह को सदस्य बनाया गया है
-राज्य सरकार व खेल परिषद् से ऑफिस को वापस खुलवाने व आरसीए के आधिकारिक कार्यों को सुचारु रूप से वापस पटरी पर लाने हेतु सभी आधिकारिक पत्राचार व प्रयास किये जायेंगे
-आरसीए के वित्तीय कामकाज की समीक्षा की जाएगी
कांग्रेस सरकार के समय बनी आरसीए की कार्यकारिणी तो अब भंग हो गई, लेकिन अब आरसीए का नया स्वरूप कैसा होगा. आरसीए से जुड़े हुए 33 जिला क्रिकेट संघ है. आरसीए के संविधान के अनुसार कई पदाधिकारी तो आरसीए का चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखते, लेकिन आरसीए की कमान संभालने के लिए जो नाम सामने आए हैं, उनमें कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह का नाम सबसे आगे है. धनंजय कार्यवाहक अध्यक्ष भी बने थे. दूसरा नाम भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के बेटे पराक्रम सिंह का है. फिलहाल तो आरसीए की वोटर लिस्ट में पराक्रम का नाम नहीं है, लेकिन चुनाव अधिकारी के समक्ष अपील होने के बाद यह नाम सामने आ सकता है. खुद जयदीप बिहानी भी आरसीए में भाग्य आजमाना चाहेंगे.
आरसीए के चुनाव तो हालांकि तीन महीने में होने है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि इस दौरान जिला संघों में किस तरह का बदलाव होगा. एडहॉक कमेटी को तो इस बारे में फैसले का अधिकार नहीं है, लेकिन जिला संघ अपने यहां किसी पद पर चुनाव कराके नए लोगों को एंट्री करा दे तो अलग बात है. इसके अलावा दौसा व प्रतापगढ़ पर निगाहें है. रजिस्ट्रार सहकारिता यहां पर अहम फैसला कर सकती है, क्योंकि प्रताप गढ़ से पहले भाजपा नेता पिंकेश पोरवाल पदाधिकारी थे, लेकिन कांग्रेस सरकार में उनको हटा दिया गया था. अब चर्चा है कि पिंकेश की वापसी हो सकती है. यदि प्रतापगढ़ से पिंकेश आते है, तो फिर वे भी अध्यक्ष या सचिव पद के प्रमुख दावेदार होंगे. दौसा से भाजपा नेता बृजकिशोर उपाध्याय ने अपनी कार्यकारिणी के सही होने का दावा किया है, लेकिन यह फैसला रजिस्ट्रार व आरसीए को करना है. बृजकिशोर की भी दौसा से एंट्री होती है, तो फिर आरसीए में वे दावा ठोंक सकते है. इन सभी के बीच आरसीए के पूर्व सचिव भवानी सामोता की भूमिका भी अहम होगी. बताया जाता है कि भले ही उनको पद से हटा दिया, लेकिन करीब 10 जिला संघ अभी भी उनके साथ है. बहरहाल आने वाले दिनों में एडहॉक कमेटी के माध्यम से आरसीए चुनाव की दिशा तय हो जाएगी.