जयपुर: राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग सवालों के घेरे में हैं. आरोप है कि उनके मथुरा कोर्ट से जमानत पर रिहा होने और मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद उन्हें कुलपति चुन लिया गया. लेकिन यहां बड़ा सवाल तो कुलपति चुनने वाली सर्च कमेटी को लेकर ही है. नई बात यह है कि जिस सर्च कमेटी ने कुलपति को चुना था, उन्हीं कमेटी सदस्यों को डॉ. गर्ग ने कुलपति बनने के मात्र एक पखवाड़े में उपकृत कर दिया था. कुलपति सर्च कमेटी के सदस्य चुनने में राजभवन के 31 अगस्त 2020 के आदेशों की अवहेलना भी की गई है.
6 अगस्त 2021 को राजभवन ने एक आदेश जारी कर बिहार पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. सतीश कुमार गर्ग को राजस्थान के बीकानेर स्थित राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय यानी राजुवास का कुलपति नियुक्त किया था. कुलपति डॉ. सतीश गर्ग ने जैसे ही कार्यभार संभाला, उसके कुछ दिन बाद ही 18 अगस्त को एक रोचक आदेश जारी करवाया. आदेश यह था कि विश्वविद्यालय के प्लानिंग और विकास कार्यों में सलाह देने के लिए एक प्लानिंग बोर्ड गठित किया गया. इस बोर्ड में 2 सदस्य नामित किए गए, जिनका जिक्र होना खासतौर पर जरूरी है.
बीकानेर के राजुवास के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एके गहलोत और इज्जत नगर यूपी के आईवीआरआई के पूर्व निदेशक प्रोफेसर आरके सिंह. इस कमेटी को यह हक दिया गया कि कमेटी विश्वविद्यालय के विकास से जुड़े मुद्दों के लिए सलाह देगी. साथ ही यह बोर्ड विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, एकेडमिक काउंसिल और एक्सटेंशन एजुकेशन काउंसिल को सलाह दे सकेगा. ऐसे में कमेटी सदस्यों के कई तरह के खर्चे उठाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की रहेगी. ये दोनों नाम इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यही दो व्यक्ति हैं, जिन्होंने डॉ. सतीश कुमार गर्ग को विश्वविद्यालय का कुलपति चुना था. राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा ने इसे धांधली और भ्रष्टाचार मानते हुए राजभवन को पत्र लिखा है. सुनील शर्मा ने राजभवन के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखकर इस मामले की जांच किए जाने की मांग की है.
तुम मुझे चुनो, मैं तुम्हें उपकृत करूंगा !:
- जिस सर्च कमेटी ने डॉ. सतीश गर्ग को कुलपति बनाया
- उस कमेटी के सदस्यों को कुलपति डॉ. गर्ग ने उपकृत कर प्लानिंग बोर्ड में लिया
- आरोप है कि इन लोगों ने इस तरह एक-दूसरे को उपकृत किया
- दरअसल राजभवन ने 16 जून 2021 को बनाई थी कुलपति सर्च कमेटी
- कमेटी के समन्वयक थे राजुवास के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एके गहलोत
- राजभवन की तरफ से डॉ. आरके सिंह, विश्वविद्यालय बोर्ड की तरफ से प्रो. गुरदयाल सिंह और
- वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से उमेश चंद्र शर्मा को बनाया गया था कमेटी सदस्य
- कमेटी ने 25 जुलाई को डॉ. सतीश गर्ग सहित 2 अन्य नाम राजभवन को सौंपे
- 6 अगस्त 2021 को राजभवन ने डॉ. सतीश गर्ग को कुलपति नियुक्त किया
- 18 अगस्त को राजुवास के रजिस्ट्रार ने कुलपति की सहमति से एक आदेश निकाला
- इसमें प्रोफेसर एके गहलोत और डॉ. आरके सिंह को प्लानिंग बोर्ड सदस्य बनाया
कुलपति चयन कमेटी को लेकर एक और गड़बड़ी यह रही कि इसमें कमेटी के सदस्य चुने जाने में राजभवन के आदेशों की अवहेलना की गई. राजभवन ने 31 अगस्त 2020 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें विश्वविद्यालयों के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट और राज्य सरकार द्वारा कुलपति सर्च कमेटी के सदस्य चुने जाने को लेकर निर्देश दिए गए थे. इनमें यह साफ तौर पर कहा गया था कि सर्च कमेटी में चुने जाने वाले सदस्यों का विश्वविद्यालय से किसी भी तरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं होना चाहिए.
आदेश था विवि से संबंध नहीं हो, लेकिन पूर्व कुलपति ही बना दिए सदस्य !:
- 31 अगस्त 2020 को राजभवन ने जारी किया था परिपत्र
- विश्वविद्यालयों में नए कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी सदस्य चुनने को लेकर परिपत्र
- परिपत्र में लिखा, विश्वविद्यालय की सिंडीकेट या राज्य सरकार द्वारा जिसे चुना जाना है सदस्य...
- उस व्यक्ति का संबंधित विश्वविद्यालय से नहीं होना चाहिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंध
- राजुवास के कुलपति चयन के लिए 16 जून 2021 को जो सर्च कमेटी बनाई गई
- उसमें राज्य सरकार की तरफ से प्रोफेसर एके गहलोत को चुना गया सदस्य
- जबकि गहलोत रहे हैं राजुवास विश्वविद्यालय के पहले कुलपति
- ऐसे में प्रोफेसर गहलोत का विश्वविद्यालय से रहा है प्रत्यक्ष रूप से संबंध
- सवाल यह कि प्रोफेसर गहलोत को सर्च कमेटी सदस्य बनाने में क्यों हुई नियमों की अवहेलना ?