जयपुर (दिनेश तिवाड़ी) : राजस्थान के पिकनिक स्पॉट हो या धार्मिक स्थल हर जगह पर भिखारियों ने कब्जा जमा रखा है. धार्मिक स्थलों व पिकनिक स्थलों पर जाने वाले लोगों पर भिखारी पूरी नजर जमा कर कुछ ना कुछ देने के लिए दबाव बनाते हैं. ऐसे में लोग भिखारी से परेशान होकर उस स्थान से दूरी बनाने लगते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा प्रदेश की राजधानी जयपुर में भी नजर आने लगा है. राजधानी जयपुर के तमाम छोटे- बड़े चौराहों पर भिखारियों की टोलिया नजर आती है.यह टोलियां बत्ती पर रुकते ही गाड़ी पर पहुंच जाती है और गाड़ी का विंडो खटखटा कर उन्हें इमोशनल रूप से भिक्षा देने के लिए ब्लैकमेल करते हैं. जो कि एक गुलाबी नगरी पर धब्बा.
इस खूबसूरत राजधानी पर लगे दाग को मिटाने के लिए प्रशासन व यातायात पुलिस के स्तर पर कई बार प्रयास हुए,लेकिन परिणाम सुखद मिलते नजर नहीं आए. ऐसे में एक बार फिर जिला प्रशासन ने राजधानी को भिखारी मुक्त करने के लिए बीड़ा उठाया है.ट्रैफिक की हर बत्ती में चौराहे पर लोगों के वाहनों को खटखटा कर छोटे बच्चों गर्भवती महिलाओं या वृद्ध जनों की दुहाई देकर लोगों को इमोशनल तरीके से ब्लैकमेल कर भिक्षावृत्ति करने वाले इन लोगों को रिहैबिलिटेशन के लिए प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है. इसको लेकर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि पहले स्तर पर इन भिखारियों को समझाइश कर भिक्षावृत्ति छोड़कर दूसरे कार्य या रिहैबिलिटी सेंटर में स्थापित होने के लिए समझाइश की जा रही है. इसके लिए समाजसेवी संस्थाओं को साथ जोड़कर राजधानी में प्रयास किया जा रहा है. उसके बाद दूसरी चरण में इ रेस्क्यू कर रिहैबिलिटी सेंटर में स्थापित किया जाएगा.
इस पूरे मिशन के लिए जिला प्रशासन ने सहायक कलेक्टर मुक्ता राव को प्रभारी बनाया है,ऐसे में मुक्ता राव का कहना है कि प्रथम प्रयास में हमारी टीम शहर में जगह जगह पर जाकर उन्हें समझाइश करने का प्रयास कर रही है. उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने व जो लोग प्रदेश से बाहर के हैं उन्हें अपने प्रदेश में भेजने के लिए समझाइश कर रही है.मुक्ता राव ने बताया कि जब भी हम सब समझाइश करने जाते हैं तो यह लोग भाग जाते हैं छुप जाते हैं.हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं तो वो यह मानने के लिए तैयार नहीं होते कि वह भिक्षावृत्ति करते हैं,ऐसे हम भीख मांगने वाले लोगों के साथ-साथ भीख देने वाले लोगों की भी समझाइश कर रहे हैं. भिक्षा देकर आप भिखारियों को प्रमोट ना करें,आप भीख देना बंद करें जिससे कि भिक्षावृत्ति को रोका जा सके.
सहायक कलेक्टर मुक्ता राव ने बताया कि हमारे यहां की मनोवृति है कि दान को परमो धर्म माना जाता हैं. धार्मिक आस्था के चलते भी लोग भिक्षावृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं,लेकिन इसके चलते वो अनजाने में बच्चों व युवाओं को भी भिक्षावृत्ति में प्रमोट कर रहा है. हालांकि हम प्रयास कर रहे हैं आमजन व लोगों को भी समझा रहे हैं और इन्हें ओल्ड एज होम शेल्टर होम में स्थापित करेंगे और बच्चों और युवाओं को स्किल डेवलपमेंट से जोड़कर उनका स्किल डेवलप करने व सामाजिक सुरक्षा कि सरकार की योजनाओं से जोड़कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देकर स्थापित करने का प्रयास करेंगे.जिससे कि राजधानी जयपुर पर लगे दाग को मिटाया जा सके .
हालांकि जिला प्रशासन ने राजधानी में भिक्षावृत्ति से जुड़े लगभग 450 लोगों को चिन्हित कर लिया गया है. उसके लिए शेल्टर होम और ओल्ड एज होम को भी तैयार कर लिया है,लेकिन प्रशासन का दावा है कि सर्दी के मौसम के चलते इनकी संख्या में इजाफा होता है. ऐसे में राजधानी में तकरीबन 1000 से अधिक लोग ऐसे हैं जो भिक्षावृत्ति से जुड़े हुए हैं जिनको चिन्हित करने का प्रयास चल रहा है और इन्हें रैन बसेरों में भी शिफ्ट करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है. ऐसे में यदि प्रशासन के प्रयास रंग लाए तो राजधानी को जल्द ही भिखारी मुक्त बनाया जाएगा.