प्रयागराज महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में बड़े खुलासे, 3 लोगों का किया जिक्र, जानिए पूरी खबर

महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में बड़े खुलासे, 3 लोगों का किया जिक्र, जानिए पूरी खबर

 महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में बड़े खुलासे, 3 लोगों का किया जिक्र, जानिए पूरी खबर

प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने अपने कथित सुसाइड नोट में अपने शिष्य आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को अपने मठ के एक कमरे में मृत पाये गए थे. पुलिस के मुताबिक, गिरि ने कथित तौर पर पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. महंत के शव का पोस्टमार्टम बुधवार को किया जाएगा.

सोशल मीडिया में जारी इस कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, मैं बहुत दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं. मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी की होगी.कथित सुसाइड नोट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से इन तीन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है जिससे उनकी (महंत की) आत्मा को शांति मिल सके.

महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि 13 सितंबर, 2021 को ही उन्होंने आत्महत्या करने का मन बनाया था, लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पाये थे. उन्होंने लिखा है, आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर उसे वायरल कर देगा, तो मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा. एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं वह गरिमामयी पद है.

कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, सच्चाई तो बाद में पता चलेगी, लेकिन मैं बदनाम हो जाऊंगा. इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. आनंद गिरि का कहना है कि महाराज यानी मैं, कहां तक सफाई देते रहोगे. मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो इस समाज में मैं कैसे रहूंगा. इससे अच्छा मर जाना ठीक है. इस कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है, (मैं) 25 लाख रुपये आदित्य मिश्रा से और 25 लाख रुपये शैलेंद्र सिंह से रीयल एस्टेट के संबंध में मांगता हूं. जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य, मिथ्या और मनगढ़ंत आरोप लगाया, तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं. एकांत में रहता हूं तो मर जाने की इच्छा होती है.

कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है, प्रिय बलवीर गिरि, मठ मंदिर की व्यवस्था जिस प्रकार मैंने की है, उसी प्रकार करना और आशुतोष गिरि एवं अन्य महात्मा बलवीर का उसी प्रकार सहयोग करना. परम पूज्य महंत हरि गोविंद पुरी से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को बनाना. महंत रवींद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया, मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान रखियेगा.

इसमें महंत नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर लिखा है, बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास दी जाए. यही मेरी अंतिम इच्छा है. धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाबी बलवीर गिरि महाराज को दे देना. इसमें वसीयतनामा का जिक्र करते हुए महंत नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर लिखा है, प्रिय बलवीर गिरि, मैंने तुम्हारे नाम एक रजिस्ट्री वसीयत की है जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे. (भाषा) 

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