VIDEO: जलदाय विभाग का बड़ा कदम, ठेकेदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने का फैसला, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जलदाय विभाग ने अपने ठेकेदारों और सप्लायर्स की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा फैसला किया है. अब प्रदेश के पानी के प्रोजेक्ट्स में डीआई पाइप के विकल्प के रूप में पीवीसी-ओ पाइप के उपयोग का निर्णय किया गया है. इससे न केवल पाइप निर्माता कंपनियों की मनमानी खत्म होगी, बल्कि प्रोजेक्टस को गति भी मिलेगी. अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में जब जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा बैठक हुई तो इस दौरान एक बड़ा फैसला किया गया. 

दरअसल पेयजल प्रोजेक्टस में काम आने वाली डीआई पाइप की निर्माता कंपनियों द्वारा दरें बढाई जा रही है साथ ही पाइप आपूर्ति में देरी भी हो रही है. इसके चलते विभिन्न प्रोजेक्ट्स के पूरा होने में देरी हो रही है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए सुबोध अग्रवाल ने फैसला किया कि डीआई पाइप के विकल्प के रूप में पीवीसी-ओ पाइप का उपयोग किया जाए. इससे जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके और हर घर जल के लक्ष्य तय समय में पूरे किए जा सकें. 

जलदाय विभाग ने डीआई पाइप निर्माता कंपनियों की ऑलीगोपोली को रोकने के लिए डीआई पाइप की तरह ही मजबूत पीवीसी- ओ पाइप के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं. ऑलीगोपाली में कुछ कंपनियों द्वारा मिलकर कार्टेल बनाया जाता है और मनमानी दरें बढ़ाई जाती है. उल्लेखनीय है कि पीवीसी-ओ पाइप का उपयोग देश के कुछ राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू आदि में हो रहा है. डीआई के मुकाबले पीवीसी-ओ पाइप का वजन करीब 50 प्रतिशत कम होता है, इससे इसका ट्रांसपोर्टेशन एवं हैंडलिंग आसान होती है. इसकी कीमत उसी हाइड्रोलिक प्रेशर क्षमता के विभिन्न साइज के डीआई पाइप के मुकाबले करीब 30 से 50 प्रतिशत कम होने के कारण इसके प्रयोग से विभिन्न परियोजनाओं की लागत में कमी आएगी और राज्य सरकार के करोड़ों रूपए की बचत होगी.

डीआई पाइप निर्माता कंपनियों की ऑलीगोपोली को रोका जाएगा:
-कंपनियों द्वारा मनमानी रेट बढाने से जलदाय विभाग का एक्शन
-अब पीवीसी-ओ पाइप का उपयोग किया जाएगा प्रदेश में
-पीवीसी-ओ पाइप का उपयोग  मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू आदि में हो रहा है
-डीआई के मुकाबले पीवीसी-ओ पाइप का वजन करीब 50 प्रतिशत कम होता है
-इसका ट्रांसपोर्टेशन एवं हैंडलिंग आसान होती है
-कीमत भी डीआई पाइप के मुकाबले करीब 30 से 50 प्रतिशत कम
-विभिन्न परियोजनाओं की लागत में कमी आएगी
-राज्य सरकार के करोड़ों रुपए की बचत होगी

डीआई पाइप की तरह ही पीवीसी-ओ पाइप 100 मीटर तक पानी फेंकने की क्षमता रखता है. इसकी कम मोटाई में भी अधिक स्ट्रेन्थ होती है. पीवीसी- ओ पाइप की लाइफ लाइन लोहे की पाइप से अधिक होगी और इसमें प्लास्टिक होने के कारण जंग भी नहीं लगता है. पीवीसी-ओ पाइप का उत्पादन 110 मिलीमीटर से 630 मिलीमीटर डायमीटर तक तथा पीएन 16 से लेकर 25 तक विभिन्न साइज एवं प्रेशर रेटिंग में किया जाता है.

पीवीसी-ओ पाइप के उपयोग करने के फैसले के साथ ही सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में जल जीवन मिशन की प्रगति के बारे में चर्चा की गई. अभी तक करीब 31 लाख जल संबंध जारी किए गए हैं. पिछले एक सप्ताह में जेजेएम के तहत 18 हजार ग्रामीण घरों में जल संबंध जारी किए गए. 193 गांवों में 36 हजार जल संबंधों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी की गई. 41 हजार गांवों के 5 हजार जल संबंधों के लिए कार्यादेश जारी किए गए. 

पिछले सप्ताह एक हजार 300 से अधिक महिलाओं को पेयजल गुणवत्ता निगरानी संबंधी प्रशिक्षण दिया गया. 61 हजार 826 स्कूलों, 53 हजार 179 आंगनबाडी केन्द्रों, 11 हजार 322 ग्राम पंचायत भवनों तथा 15 हजार 774 स्वास्थ्य केन्द्रों में नल के माध्यम से पेयजल कनेक्शन दिए गए हैं. मिशन के तहत अभी तक 42 हजार 905 ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां गठित की जा चुकी हैं. 33 जिलों में जिला कार्य योजना बनाई जा चुकी है और 32 जिलों की जिला कार्य योजना अनुमोदित करवाकर आईएमआईएस पर अपलोड कर दी गई है.

जल जीवन मिशन का प्रदेश में हाल:
-अभी तक करीब 31 लाख जल संबंध जारी किए गए हैं
-पिछले एक सप्ताह में 18 हजार ग्रामीण घरों में जल संबंध जारी किए गए
-193 गांवों में 36 हजार जल संबंधों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी
-41 हजार गांवों के 5 हजार जल संबंधों के लिए कार्यादेश जारी
-अभी तक 42 हजार 905 ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां गठित
-33 जिलों में जिला कार्य योजना बनाई जा चुकी है