राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नागालैंड में पारंपरिक अंगामी गांव, कोहिमा वार सेमिटेरी का किया दौरा

कोहिमा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को नगालैंड के कोहिमा जिले में अंगामी नगा समुदाय के पारंपरिक गांव किगवेमा का दौरा किया और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों के साथ बातचीत की. यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित किगवेमा सबसे बड़े अंगामी गांवों में से एक है जहां करीब 7,500 लोग रहते हैं.

उनकी यात्रा के दौरान किगवेमा ग्राम परिषद (केवीसी) ने राष्ट्रपति को पारंपरिक उपहारों से सम्मानित किया जबकि महिला समूह के सदस्यों ने एक लोक गीत प्रस्तुत किया. ग्रामीण विकास विभाग के समन्वय में गांव के स्वयं सहायता समूहों ने गांव के जैविक उत्पादों के अलावा शॉल बुनाई और कच्चा सूत तैयार करने की पारंपरिक प्रक्रिया को भी प्रदर्शित किया. असम और नगालैंड के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, योजना और समन्वय, भूमि राजस्व और संसदीय मामलों की मंत्री नीबा क्रोनू, और स्थानीय विधायक और तकनीकी शिक्षा और चुनाव सलाहकार, मेदो योखा भी राष्ट्रपति मुर्मू और उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ थे. गांव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि इस क्षेत्र के भीतर जापफू पर्वत श्रृंखला में एक विशाल जंगल है और यह राज्य की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी भी है.

रियो ने कहा कि किगवेमा बड़े गांवों में से एक है और इसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिक यहां तैनात थे और कोहिमा की लड़ाई लड़ी थी. ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों ने कोहिमा की लड़ाई में जापानी आक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो चार अप्रैल, 1944 को शुरू हुई. जापानी इस युद्ध में हार गए जिसने जापानियों की वापसी का आधार बना. यह इलाका हालांकि पहाड़ी है लेकिन गांव में एक ढलान वाला क्षेत्र है जो इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाता है. उन्होंने कहा कि किगवेमा में धान और सब्जियां उगाई जाती हैं. ग्राम परिषद में स्वागत समारोह के बाद, राष्ट्रपति मुर्मू ने स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी देखी और राज्य की अपनी दो दिवसीय पहली यात्रा पूरी करते हुए मिजोरम के लिए रवाना हो गईं. किगवेमा जाने से पहले, राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘कोहिमा वार सेमिटेरी’ का दौरा किया और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोहिमा और उसके आसपास सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद नायकों को पुष्पांजलि अर्पित की. सोर्स- भाषा