जयपुर: जिस एक योजना के विकास से उसकी परिधि के 300 वर्ग किलोमीटर से भी बड़े इलाके का उत्थान हो सकता है,जिससे जेडीए की खुद की सहित कई निजी कॉलोनियों के भूखंडधारियों को राहत मिल सकती है. जयपुर विकास प्राधिकरण उसी योजना को नजरअंदाज कर रहा है. यह तो तब है नगरीय विकास विभाग के सलाहकार और प्रदेश के शहरी विकास की नब्ज जानने वाले जीएस संधु ने एक बैठक में जेडीए को इस योजना पर फोकस करने के निर्देश दिए थे. जयपुर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2010 में डिग्गी मालपुरा रोड स्थित चित्तौड़ा रोड पर यह योजना प्रस्तावित की थी. इस योजना का उद्देश्य शहर के दक्षिणी इलाके में एक बड़ा एजुकेशन हब विकसित करना था, लेकिन जेडीए ने शुरू में यहां कुछ सड़कें बनाई और इसके बाद इस योजना के विकास का काम ठप्प पड़ा है.
जानिए, योजना की अब तक की पूरी कहानी:
- यह योजना 473 हेक्टेयर भूमि पर प्रस्तावित की गई थी
- योजना में विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, प्रशिक्षण संस्थान और ऐसे बड़े संस्थानों के लिए भूखंड सृजित किए गए थे
- वर्ष 2015-16 में जेडीए ने यहां 100 फीट से अधिक चौड़ी सड़कों का 4 किलोमीटर की लंबाई में डामरीकरण कराया था
-जेडीए की ओर से सड़क निर्माण पर 17.50 करोड रुपए खर्च किए गए थे
- देश के प्रतिष्ठित पीरामल ग्रुप को यहां शैक्षणिक गतिविधि के लिए 12.87 हेक्टेयर भूमि मई वर्ष 2018 में जेडीए ने आवंटित की थी
- मूलभूत सुविधाओं के अभाव में योजना में अब तक कोई भी शैक्षणिक गतिविधि शुरू नहीं हो पाई है
- पिछली भाजपा सरकार में मशहूर संगीतज्ञ शंकर महादेवन को यहां बड़ा संगीत संस्थान स्थापित करने के लिए भूमि दिखाई गई थी
-सांगानेर हवाई अड्डे से इस योजना का सीधा जुड़ाव नहीं होने के कारण यह योजना संगीतज्ञ शंकर महादेवन को पसंद नहीं आई
- पिछले करीब 6 साल से जेडीए की ओर से यहां पर किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं कराया गया है
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और नगरीय विकास विभाग के सलाहकार जीएस संधु अशोक गहलोत सरकार के पहले व दूसरे कार्यकाल में प्रदेश में शहरी विकास से जुड़े अहम पदों पर रहे हैं. अपने इस लंबे अनुभव होने के कारण यूडीएच के सलाहकार जीएस संधु प्रदेश के शहरी विकास की नब्ज को बखूबी जानते हैं. यूडीएच सलाहकार जीएस संधु ने इस वर्ष 3 अगस्त को जेडीए के कामकाज की समीक्षा बैठक ली थी. इस बैठक में यूडीएच सलाहकार जीएस संधु ने नालेज सिटी साउथ और उसके आस-पास के इलाके के विकास के निर्देश दिए थे. आपको बताते हैं कि जीएस संधु ने इस योजना को लेकर जेडीए को क्या हिदायत दी.
यूडीएच सलाहकार जीएस संधु के निर्देश:
- नॉलेज सिटी साउथ, फागी रोड और टोंक रोड के मध्य इलाके पर किया जाए फोकस
- यह पूरा इलाका एक नए सेटेलाइट टाउन के तौर पर विकसित किया जा सकता है
- इस इलाके पर जेडीए फोकस करना चाहिए
-इस कारण यह इलाका जेडीए की विभिन्न योजनाओं सहित समूचे क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकता है
-जीएस संधु के इन निर्देशों पर बैठक में जेडीए आयुक्त रवि जैन ने जोन उपायुक्त को निर्देश दिए थे
-जेडीए आयुक्त रवि जैन ने मामले के संबंध में शीघ्र रिपोर्ट तैयार करने के उपायुक्त को निर्देश दिए थे
इस समीक्षा बैठक के बाद जीएस संधु ने इस पूरे इलाके का जेडीए अधिकारियों से मौका मुआयना कराया. इसके बाद जीएस संधु के निर्देशन में ही इस इलाके के रोड नेटवर्क के विकास का प्लान तैयार किया गया, लेकिन इस प्लान को लेकर जेडीए की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आपको बताते हैं यूडीएच सलाहकार जीएस संधु की ओर से भेजे गए प्लान में क्या था खास और किस तरह से यह योजना चारों तरफ के 300 वर्गमीटर से अधिक बड़े इलाके के लिए वरदान साबित हो सकती है.
प्लान की खास बातें:
- नॉलेज सिटी साउथ व इसके आस-पास के इलाके के पिछड़ने का बड़ा कारण रोड नेटवर्क का अभाव है
-टोंक रोड से इस योजना की सीधी कनेक्टिविटी के लिए खुद जेडीए के सेक्टर प्लान दो बड़ी सड़कें प्रस्तावित है
-एक 200 फीट चौड़ी सड़क शिवदासपुरा में चंदलाई बांध के पास से टोंक रोड होते हुए इस योजना को सीधे कनेक्ट करती है
-इसी तरह दूसरी सड़क आवासन मंडल के प्रताप नगर के सामने से टोंक रोड होती इस योजना को कनेक्ट करती है
-यूडीएच सलाहकार जीएस संधु की ओर से जेडीए को भेजे प्लान इन्हीं सड़कों के निर्माण की सिफारिश की गई है
-प्लान में बताया गया है कि अधिकतर भूमि सरकारी होने के कारण यहां का विकास आसान है
-यह योजना अगर एक एजुकेशन हब के तौर पर विकसित होती है तो
-मुहाना मोड़ से योजना तक स्थित सड़क के दोनों तरफ के इलाके का विकास होगा
-इसी तरह इस योजना से आगे फागी तक के इलाके में भी मूलभूत सुविधाएं विकसित होंगी
-इस योजना के आसपास के इलाके में जेडीए की खुद की आधे दर्जन से अधिक आवासीय योजनाएं हैं
-इनमें रोहिणी नगर के तीनों फेज, सूर्य नगर A व B, अभिनव विहार, उदय विहार, हरित विहार आदि शामिल हैं
- इस योजना के दायरे में गृह निर्माण सहकारी समिति और निजी खातेदारी की भी करीब तीन दर्जन कॉलोनियां हैं
- इस योजना के चारों तरफ 3 दर्जन से अधिक गांव है
- योजना विकसित होने पर ना केवल यहां के ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि गांवों की भी दशा सुधरेगी
-यहां जेडीए स्वामित्व की भी काफी जमीन है जिनमें विभिन्न योजनाएं प्रभावित करके जेडीए को अच्छा राजस्व मिल सकता है