जयपुर: केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन पर 5 साल का बैन लगा दिया है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद राजस्थान सरकार ने भी PFI को बैन किया है. इस संबंध में प्रदेश के गृह विभाग ने आदेश जारी किए हैं.
केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन पर बैन लगा दिया है. PFI के साथ ही इसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी 5 साल के लिए पाबंदी लगाई गई है. बैन लगाने की मांग कई राज्यों ने केंद्र सरकार से की थी. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अलग-अलग राज्य सरकारें भी इस बारे में आदेश जारी कर रही है. इसी क्रम में राजस्थान सरकार ने भी पीएफआई (Popular Front of India) को प्रतिबंधित करार दिया है. सरकार ने पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं.
राजस्थान सरकार ने एक बैठक कर पीएफआई को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया. जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने पीएफआई को प्रतिबंधित करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. साथ ही इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नर समेत अन्य सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के खिलाफ UAPA के तहत कानूनी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं. केन्द्र सरकार ने बुधवार को ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर 5 साल का बैन लगाया है.
इसी के साथ उसके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरल को भी कानून विरोधी गतिविधि (रोकथाम) कानून-1967 (UAPA) के तहत प्रतिबंधित करार दिया है. केन्द्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर ही राजस्थान में पुलिस महानिदेशक, एडीजी एसओजी एटीएस सभी रेंज आइजी जयपुर और जोधपुर के पुलिस कमिश्नरों के साथ-साथ सभी जिला मजिस्ट्रेट को अपने क्षेत्राधिकार में UAPA की धारा-7 और धारा-8 के अधिकारों का उपयोग करते हुए कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया है.
PFI और इससे जुड़े संगठनों पर कार्रवाई:
अब प्रदेश में पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी. 22 सितंबर में जब NIA ने PFI से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी तो प्रदेश में भी जयपुर, कोटा, बारां में ऑफिसों और ठिकानों पर NIA, ईडी और पुलिस ने 22 सितम्बर को रेड मारी थी. प्रदेश में एनआईए की छापेमारी के समय कुछ गिरफ्तारी भी हुई थी. इतना ही नहीं उदयपुर में कन्हैया के जघन्य हत्याकांड में भी NIA का लिंक सामने आया था जिसकी जाँच भी जारी है. PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों जैसे-युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहचान को बढ़ाने के मकसद से इन सहयोगी संगठनों या संबंध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है.
जिसका इकलौता मकसद इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की कैपेसिटी को बढ़ाना है. इन सहयोगी संगठनों और जुड़ी संस्थाओं और PFI के बीच हब और स्पोक जैसा संबंध है. जिसमें PFI हब के रूप में काम करते हुए सहयोगी संगठनों या संबंध संस्थाओं की जनता के बीच पहुंच फंड जुटाने की कैपिसिटी का इस्तेमाल गैर कानूनी एक्टिविटीज के लिए अपनी कैपिसिटी बढ़ाने के लिए करता है. यह सहयोगी संगठन रूट और ब्रांच की तरह भी काम करते हैं. इनके जरिए PFI को फंड और पावर मिलती है.
इन राज्यों में PFI और सहयोगी संगठन सक्रिय:
-15 राज्यों में PFI और सहयोगी संगठन एक्टिव हैं
- PFI राजस्थान, दिल्ली, आंध्र,प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश
देशभर में इन घटनाओं में मिला है PFI का लिंक:
- राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड और सिर तन से जुड़ा मॉल्यूल में परदे के पीछे रहकर काम किया
- पटना के फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिन्द स्थापित करने के लिए बड़ी साजिश हो रही थी इसे लेकर NIA ने हाल ही में रेड मारी
- तेलंगाना के निजामाबाद में कराटे ट्रेनिंग के नाम पर PFI हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता पाया गया। NIA में इस मामले में भी छापा मारा
- कर्नाटक में प्रवीण नेत्तरू हत्याकांड केस में PFI कनेक्शन सामने आया जिसमें NIA जांच जारी है
- हिजाब विवाद और हाल में हुए प्रदर्शनों के दौरान PFI के फंडिंग के रोल पर भी जांच हुई
- समान नागरिकता कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा में PFI से जुड़े आरोपियों के ठिकानों पर आपत्तिजनक सामग्री, साहित्य और सीडी बरामद हुए जिसे आधार बनाकर PFI को बैन करने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार ने भेजा था