जयपुर: वाहनों पर हूटर या प्रेशर हॉर्न लगाना गलत है फिर भी जेसीटीएसएल और रोडवेज की बसों में इनका इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. जेसीटीएसएल की लो-फ्लोर बसों में तो प्रेशर हॉर्न ही लगे हुए हैं. जो लोगों को परेशानी पहुँचा रहे हैं.
भीड़ भरी सड़कों पर बसों के ड्राइवर प्रेशर हॉर्न (pressure horn) बजा रहे हैं. ये हॉर्न ध्वनि प्रदूषण तो फैला ही रहे हैं साथ ही दुपहिया वाहन चालकों को इनसे काफी परेशानी भी हो रही है. प्रेशर हॉर्न लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहे हैं. इन पर न तो जेसीटीएसएल या रोडवेज प्रशासन ध्यान दे रहा है, न आरटीओ और न ही ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई कर रही है. निजी बसों में हॉर्न के स्थान पर फिल्मी गाने लगे हैं.
कई निजी बसों में संचालकों ने हॉर्न के स्थान पर फिल्मी गाने की ध्वनि लगा रखी है. ये हॉर्न लोगों का अचानक ध्यान खींच रहे हैं. वहीं लोगों ने कार और बाइक में भी प्रेशर हॉर्न लगवा रखे हैं. केंद्रीय मोटर यान नियम में स्पष्ट है कि कोई भी वाहन ऐसा बहुस्तर हॉर्न नहीं लगाएगा जिससे विभिन्न प्रकार की ध्वनि निकलती हो या कर्कश, कंपित, तेज या ज्यादा शोर उत्पन्न होने वाली कोई दूसरी युक्ति लगी हो.
केवल एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, आरटीओ वाहनों पर ही हूटर लगाए जा सकते हैं. अन्य कोई भी वाहन प्रेशर हॉर्न या हूटर लगाता है तो 500 से लेकर 4 हजार रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है. इसके बाद भी इस तरह के हॉर्न पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. निजी बसों और गुड्स व्हीकलों में भी इस तरह के हॉर्न लगाए जा रहे हैं जो कि नियमों के बिल्कुल विपरीत हैं.
ये लगता है जुर्माना:
- पहले अपराध पर:
1. दो पहिया, ई-रिक्शा, तीन पहिया वाहन के लिए 500 रुपए
2. दो पहिया और तीन पहिया गैर परिवहन वाहन के लिए 1000 रुपए
3. हल्का परिवहन मोटर यान के लिए 1600 रुपए
4. मध्यम, भारी परिवहन यान के लिए 2000 रुपए
- दूसरे अपराध पर:
1. दो पहिया, ई-रिक्शा, तीन पहिया वाहन के लिए 1000 रुपए
2. दो पहिया और तीन पहिया गैर परिवहन वाहन के लिए 2000 रुपए
3. हल्का परिवहन मोटर यान के लिए 3000 रुपए
4. मध्यम, भारी परिवहन यान के लिए 4000 रुपए
ध्वनि प्रदूषण मौजूदा समय में बहुत अधिक हानिकारक है. ध्वनि प्रदूषण की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है. ध्वनि प्रदूषण की समस्या को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी एलान कर चुके हैं कि सड़कों पर दौड़ते वाहनों में अब तबला, हारमोनियम, सारंगी और शंख की आवाज वाले हॉर्न सुनाई देंगे. नए हॉर्न पैटर्न पर काम शुरू कर दिया गया है. इससे आवाज से होने वाला प्रदुषण कम होगा. पहले चरण में ऐसे हॉर्न एंबुलेंस में लगेंगे. इससे वन्यजीवों के आसपास से गुजरने वाले राजमार्ग से वन्यजीव परेशान नहीं होंगे.
ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान:
- ध्वनि प्रदूषण से चिंता
- बेचैनी
- बातचीत करने में समस्या
- बोलने में व्यवधान
- सुनने में समस्या
- उत्पादकता में कमी
- सोने के समय व्यवधान
- थकान, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन
- घबराहट, कमजोरी, ध्वनि की संवेदन शीलता में कमी जिसे हमारे शरीर की लय बनाए रखने के लिये हमारे कान महसूस करते हैं
- यह लंबी समयावधि में धीरे-धीरे सुनने की क्षमता को कम करता है
- ऊंची आवाज में लगातार ढोल की आवाज सुनने से कानों को स्थायी रुप से नुकसान पहुंचता है