जयपुर: राजधानी की महत्वाकांक्षी द्रव्यवती नदी कायाकल्प परियोजना जल्द ही दिन सुधरने वाले हैं. नदी के आस-पास रह रहे लोगों को दुर्गन्ध और गंदगी से मुक्ति की उम्मीद की किरण अब नजर आने लगी है.
पिछली भाजपा सरकार के समय 10 अप्रैल 2016 तक को इस परियोजना का काम शुरू किया गया है. करीब 1676 करोड़ रुपए लागत के इस काम की जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड व शंघाई अरबन कंस्ट्रक्शन ग्रुप के कंसोर्टियम को दी गई. इस परियोजना के तहत नाहरगढ़ की पहाड़ियों के आगे से ढूंढ नदी तक 47 किलोमीटर लम्बाई में बहने वाली द्रव्यवती नदी का कायाकल्प किया जाना था.
परियोजना का प्रमुख उद्देश्य नदी का बहाव क्षेत्र संरक्षित करना और इसमें स्वच्छ पानी का बहाव सुनिश्चित करना था. परियोजना का काम 10 अक्टूबर 2018 में पूरा किया जाना था. लेकिन अब तक ना तो पूरी लम्बाई में बहाव क्षेत्र संरक्षित हो पाया है और नहीं नदी में पूरी साफ पानी बह रहा है. लेकिन पिछले डेढ़ महीने से तो हालात और भी विकट हो गए हैं. आपको बताते हैं कि इन हालातों के पीछे कारण क्या हैं ?
विकट हालात के पीछे कारण:-
- अनुबंधित कंसोर्टियम ने परियोजना के रखरखाव का काम पिछले महीने भर से बंद कर रखा है.
- कंसोर्टियम की मांग है कि बिजली के बिल के पेटे 55 करोड़ रुपए और रखरखाव के मद में बकाया 65 करोड़ रुपए की जेडीए की ओर से जल्द भुगतान किया जाए.
- रखरखाव का काम बंद होने से परियोजना में लगे 5 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बंद है.
- रोजाना 1700 लाख लीटर सीवरेज पानी का ट्रीटमेंट करने की इन प्लांट्स की क्षमता है.
- इन प्लांट्स के माध्यम से सीवरेज के पानी को ट्रीट कर नदी में छोड़ा जाता था.
- प्लांट्स बंद होने से सीवरेज का पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे में नदी में जा रहा है.
- इन सबके कारण नदी के दोनों तरफ दूर-दूर तक रहने वाले लोग प्रदूषित वातावरण में जीने को मजबूर हैं.
- जगह-जगह लगे कचरे के ढेर और गंदगी से नदी पूरी तरह गंदे नाले में तब्दील हो गई है.
अनुबंधित कंसोर्टियम को भुगतान करने के संबंध में जेडीए ने राज्य के महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी से विधिक राय मांगी थी. महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी ने मामले में परियोजना के हित में सकारात्मक राय दी है. इस विधिक राय में बताए बिंदुओं की पालना की कार्यवाही जेडीए ने शुरू कर दी है. आपको बताते हैं कि महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी ने मामले में क्या विधिक राय दी है.
- परियोजना के जिन भागों का अनुबंधित कंसोर्टियम ने काम कर पूरा कर लिया है.
- उन भागों को संचालन व रखरखाव के लिए कंसोर्टियम को दिया जा सकता है.
- 23 मई 2022 से रखरखाव व संचालन में आए खर्च का भुगतान जेडीए कंसोर्टियम को कर सकेगा.
- परियोजना में बिजली के बिल के पेटे खर्च राशि का भी जेडीए कंसोर्टियम को कर सकेगा भुगतान.
- लेकिन इन सबसे पहले जेडीए व कंसोर्टियम के बीच नए सिरे से एग्रीमेंट होगा.
- दोनों पक्षों के बीच एग्रीमेंट संपादित होने के बाद ही आगे का काम शुरू होगा.