जयपुर: इंसान और वन्यजीवों के तालमेल की जयपुर दुनिया में अनूठी मिसाल कायम कर रहा है. करीब 65 लाख की इंसानी आबादी और 100 अधिक वाइल्ड लैपर्ड्स अब जयपुर की पहचान बनते जा रहे हैं. यही कारण है राज्य सरकार जल्द ही जयपुर को लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड घोषित कर सकती है. आईयूसीएन के चेयरमैन और वर्ल्ड विल्डरनेस कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय अघ्यक्ष वैंस मार्टिन ने भी जयपुर को लैपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड घोषित करने की हिमायत की है.
विश्व वन्यजीव जगत में जयपुर की अलग पहचान:
इंसानी बस्ती के बीच वाइल्ड लेपर्ड्स के शांत और संतुलित संरक्षण ने जयपुर की विश्व वन्यजीव जगत में एक अलग ही पहचान बना दी है. देश के सबसे बड़े भू भाग का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में दो लेपर्ड रिजर्व हैं और तीसरा जल्द शुरू होने जा रहा है. जिन लेपर्ड्स को देखने के लिए वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट दर्जनों घंटे और कई दिन जंगल में बिताते हैं फिर भी लेपर्ड की साइटिंग में उन्हें निराशा हाथ लगती है. ऐसे वाइल्ड लाइफर्स के लिए जयपुर गोल्डन अपॉर्चुनिटी है लेपर्ड साइटिंग की. यहां झालाना लेपर्ड रिजर्व में लेपर्ड साइटिंग के 90 फीसदी से ज्यादा अवसर है.
यही कारण है कि झालाना लेपर्ड की झलक देखने के शौकीनों की पहली पसंद बन गया है. संजय दत्त, रवीना टंडन, रणदीप हुड्डा, कुणाल खेमू, रितेश देशमुख, सचिन तेंदुलकर, अर्जुन तेंदुलकर, रूपकुमार और सोनाली राठौड़ सहित बॉलिवुड और खेल जगत की हस्तियों के साथ ही कॉर्पोरेट जगत की पर्सनेलेटीज के लिए मोस्ट फेवरेट बन गया है. दरअसल, जयपुर के झालाना लेपर्ड रिजर्व में 45 से अधिक और आमागढ़ रिजर्व में 20 से अधिक लेपर्ड है. इसी तरह नाहरगढ़ सेंचुरी में 30 से अधिक और नाहरगढ़ से अचरोल, जमवारामगढ़ और कानोता से बस्सी क्षेत्र में भी 50 से अधिक लेपर्ड्स का विचरण है.
इसे लेपर्ड्स का दुनियाभर में सर्वाधिक घनत्व माना गया है. यही कारण है कि आईयूसीएन के चेयरमैन और वर्ल्ड विल्डरनेस कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय अघ्यक्ष वैंस मार्टिन ने जयपुर को लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड (Leopard Capital of the World) के तौर पर घोषित करने की हिमायत की है. ऐतिहासिक वैभव को निहारने जयपुर आने वाले पर्यटक अब जयपुर के आंगन में खेलते बघेरों की अटखेलियां देखने यहां आने लगे हैं.
लेपर्ड संरक्षण की दिशा में वन विभाग अब पूरी तरह तैयार:
दरअसल, झालाना में महज 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 45 से ज्यादा लेपर्ड्स का रहवास और इंसान से किसी तरह का संघर्ष न होना यह दर्शाता है कि लेपर्ड संरक्षण की दिशा में अब वन विभाग ने खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया है. राजधानी की जनता खुदको वन्यजीवों के साथ समन्वय करने को लेकर जागरूक हो गई है. राजधानी के तीन तरफ लेपर्ड्स का रहवास और विचरण रोजगार के भी नए अवसर पैदा कर रहा है. पर्यटन में जोरदार इजाफा हुआ है. सरकार को बेहतर राजस्व मिल रहा है.
यही नहीं झालाना, आमागढ़ और नाहरगढ़ जयपुर की पर्यावरण शील्ड का काम कर रहे हैं. यहां बेहतर वन्यजीव संरक्षण के कारण ही जयपुर में कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा रहा है. भू जल स्तर को गिरने से रोकने में भी इन वनों से मदद मिली है. वन विभाग के पीसीसीएफ हॉफ डॉ डीएन पाण्डेय और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर का कहना है कि सिटी वाइल्ड लाइफ टूरिज्म से जंगल भी सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है.
वन्यजीव संरक्षण को लेकर जयपुर का दावा मजबूत:
पर्यावरण सुधार हुआ है और वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से वन और वन्यजीव संरक्षण में डटे हुए हैं. लेपर्ड के वन क्षेत्र से बाहर निकलने की इक्का दुक्का घटना हुई भी है तो उन्हें तुंरत रेस्क्यू कर लिया जाता है. स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य सुनील मेहता का कहना है कि झालाना से सरिस्का से तक वृहद लेपर्ड कॉरिडोर की कल्पना तेजी से साकार हो रही है. जयपुर का दावा मजबूत है और सरकार को अब जल्द ही जयपुर को लेपर्ड केपिटल ऑफ द वर्ल्ड घोषित कर देना चाहिए.
प्राचीन विरासत को देखना हो या लोक आस्था के देवस्थल भव्य मंदिर, अरावली की सुरम्य वादी देखनी हों या फिर आधुनिकता की मिसाल भव्य इमारतें ये जयपुर है जनाब यहां सुबकुछ मिलता है. इससे भी अलग जयपुर अब वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन का नया ठिकाना बन गया है और लेपर्ड संरक्षण के किस्से तो विदेश में भी पहुंचने लगे हैं. उम्मीद है जल्द ही राज्य सरकार जयपुर को लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड घोषित करेगी.