Karwa Chauth 2022: कल सौभाग्य और समृद्धि देने वाले संयोग में मनाई जायेगी करवा चौथ, यहां जानें- पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Karwa Chauth 2022: कल सौभाग्य और समृद्धि देने वाले संयोग में मनाई जायेगी करवा चौथ, यहां जानें- पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

जयपुर: 13 अक्टूबर को करवा चौथ पर गुरुवार रहेगा और गुरु अपनी ही राशि में होगा. इस ग्रह का ऐसा संयोग 46 साल बाद बन रहा है. यानी इससे पहले ऐसा 23 अक्टूबर 1975 को हुआ था. इस बार करवा चौथ पर गुरु का प्रभाव ज्यादा रहेगा. ये शुभ योग सौभाग्य और समृद्धि बढ़ाने वाला होगा. इस संयोग में की गई पूजा और व्रत से अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि बढ़ेगी. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरुवार 13 अक्टूबर को पति-पत्नी का महापर्व करवा चौथ है. ये व्रत जीवन साथी के लिए समर्पण, प्रेम और त्याग का भाव दिखाता है. महिलाएं पति के सुखी जीवन, सौभाग्य, अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए दिनभर निराहार और निर्जल रहती हैं. इस रिश्ते में जब तक एक-दूसरे के बीच विश्वास है, तब तक प्रेम बना रहता है. अगर जीवन साथी पर अविश्वास का भाव जाग जाता है तो ये रिश्ता टिक नहीं पाता है.  

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल यह तिथि 13 अक्टूबर को है. करवा चौथ के व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में की जाएगी. करवाचौथ पर सिद्धी योग बन रहा है. इसी के साथ दिन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग से हो रहा है. इस दिन शुक्र और बुध दोनों एक राशि यानी कन्या राशि में रहेंगे इसलिए इस दिन लक्ष्मी नारायण योग बनेगा. इसके अलावा बुध और सूर्य भी एक साथ हैं जिस वजह से बुध आदित्य योग भी इस दिन बन रहा है. वहीं, शनि अपनी राशि मकर में होंगे और गुरु मीन राशि में होंगे, गुरु मीन राशि में और बुध अपनी राशि कन्या में रहेंगे. तीनों ग्रह अपनी स्वराशि में रहेंगे और इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. यह सभी मिलकर बहुत ही शुभ संयोग बना रहे हैं.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत. सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखे जाने वाले इस व्रत को महिलाएं पति की दीर्घायु के  लिए रखती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति की आयु लंबी होती है. इसलिए विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित गणेशजी व मंगल ग्रह के स्वामी देव सेनापति कार्तिकेय की भी विशेष पूजा होती है. 

ग्रहों की स्थिति:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा और बुध उच्च राशि में होंगे. गुरु-शनि अपनी ही राशियों में और मंगल खुद के नक्षत्र में होगा. करवाचौथ पर सिद्धी योग बन रहा है. इसी के साथ दिन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग से हो रहा है. इस दिन शुक्र और बुध दोनों एक राशि यानी कन्या राशि में रहेंगे इसलिए इस दिन लक्ष्मी नारायण योग बनेगा. इसके अलावा बुध और सूर्य भी एक साथ हैं जिस वजह से बुध आदित्य योग भी इस दिन बन रहा है. वहीं, शनि अपनी राशि मकर में होंगे और गुरु मीन राशि में होंगे, गुरु मीन राशि में और बुध अपनी राशि कन्या में रहेंगे. तीनों ग्रह अपनी स्वराशि में रहेंगे और इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. यह सभी मिलकर बहुत ही शुभ संयोग बना रहे हैं. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है. करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 6:41 मिनट पर लग रहा है तो ऐसे में इस समय के बाद पूजा करना लाभकारी रहेगा. दरअसल, रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी हैं. चौथ तिथि का आरंभ 12 अक्टूबर को रात में 1:59 बजे से चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा और 13 तारीख में मध्य रात्रि 3:09 मिनट पर समाप्त होगी.

चंद्र दर्शन का समय:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास  ने बताया कि वहीं ये भी मान्यता है कि कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. इस बार करवा चौथ यानि 13 अक्टूबर को चांद रात 08:09 मिनट पर निकलेगा. ऐसे में इसी समय व्रती महिलाओं को चंद्र दर्शन हो सकता है. वहीं चंद्र दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत खोलेगी.

करवा चौथ: 

करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022
चतुर्थी तिथि आरंभ- 12 अक्टूबर 2022 को मध्य रात्रि 01:59 मिनट से 
चतुर्थी तिथि समाप्त- 13 अक्टूबर 2022 को मध्य रात्रि 03:09 मिनट पर

करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त: 

13 अक्तूबर को शाम 06:01 मिनट ले लेकर शाम 07:15 मिनट तक
अमृतकाल मुहूर्त- शाम 04:08 मिनट से शाम 05:50 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त:- सुबह 11:44 मिनट से लेकर दोपहर 12:30 मिनट तक 

पति के लिए व्रत की परंपरा: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है. इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई. जब यम आए तो सावित्रि ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया. तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे. दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है. वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे. द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी. उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था. द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए.

चांद निकलने तक रहता है व्रत:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाने की परंपरा है. पति की लंबी उम्र की कामना से महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं. यानी पूरे दिन पानी भी नहीं पीती. सुहागनों के लिए ये व्रत बहुत खास होता है. इसका इंतजार महिलाओं को साल भर रहता है. करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है. शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. इस दिन चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है.