Uttarakhand: शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ, यमुनोत्री धाम के कपाट, अब अप्रैल-मई में फिर से खुलेगा

Uttarakhand: शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ, यमुनोत्री धाम के कपाट, अब अप्रैल-मई में फिर से खुलेगा

देहरादून: उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बृहस्पतिवार को भैया दूज के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सुबह साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. सेना की 11 मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, तीर्थ पुरोहित और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अलावा तीन हजार से अधिक श्रद्धालु वहां मौजूद थे. इस दौरान श्रद्धालुओं के ‘बम बम भोले’ और ‘जय केदार’ के उद्घोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा. मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि तड़के तीन बजे केदारनाथ मंदिर को खोले जाने के बाद चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हुई.

पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू ज्योर्तिलिंग को शृंगार रूप से समाधि रूप देते हुए उसे बाघंबर, भृंगराज फूल, भस्म और स्थानीय शुष्क फूल-पत्तों से ढक दिया. इसके बाद भैरव नाथ के आह्वान के साथ गर्भगृह और मुख्य द्वार को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया और भगवान शंकर की पंचमुखी डोली उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर की ओर रवाना हो गई. शीतकाल के दौरान भगवान केदारनाथ की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में ही होगी. चारधाम में शामिल एक अन्य धाम यमुनोत्री धाम के कपाट भी बृहस्पतिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया सुबह शुरू हो गई थी और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ परंपरानुसार विधिवत पूजा-अर्चना कर दोपहर 12:09 बजे सर्वसिद्धि योग अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के द्वार बंद कर दिए गए. उनियाल के मुताबिक, दो हजार से ज्यादा श्रद्धालु कपाट बंद होने की प्रक्रिया के साक्षी बने. उन्होंने बताया कि इस दौरान मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर तांदी नृत्य भी किया. उनियाल के अनुसार, मां यमुना की डोली को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के मधुर संगीत के साथ यमुनोत्री धाम से ले जाकर उनके शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में स्थापित कर दिया गया. सर्दियों में अगले छह माह तक श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन वहीं कर सकेंगे.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थयात्रियों का आभार जताया और कहा कि इस बार चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इससे पहले, बुधवार को अन्नकूट के पर्व पर एक अन्य धाम गंगोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे. बदरीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे. सर्दियों में बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधाम के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं और ये अगले साल अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते हैं. गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. इस वर्ष छह माह के यात्रा मौसम में 43 लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम के दर्शन के लिए पहुंचे. केदारनाथ में जहां 15,61,882 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर पर माथा टेका, वहीं यमुनोत्री मंदिर के दर्शन के लिए लगभग 4.45 लाख तीर्थयात्री पहुंचे. सोर्स- भाषा