गैस कीमत निर्धारण व्यवस्था में बीच में बदलाव से निवेश में देरी होगी- Reliance Industries

नई दिल्ली: उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गैस कीमत निर्धारण की समीक्षा के लिये सरकार की तरफ से गठित समिति से कहा है कि दरों पर कृत्रिम रूप से अंकुश लगाने का कोई भी कदम प्रतिगामी होगा. इससे राजकोषीय नीति के मोर्चे पर अस्थिरता बढ़ने के साथ निवेश में देरी होगी और ईंधन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के देश के प्रयास को झटका लगेगा.

पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य रहे किरीट पारेख की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष अपने प्रतिवेदन में कंपनी ने कहा है कि केजी डी-6 में शुरू होने के करीब पहुंचे क्षेत्र में ईंधन भंडार समुद्री क्षेत्र की गहराई में स्थित है और इसे प्राप्त करने के लिये अरबों डॉलर का निवेश किया गया है. उसने प्रतिवेदन में इस बारे में विस्तार से बताया कि विभिन्न कीमतों के तहत क्षेत्र के अर्थशास्त्र पर किस प्रकार का असर पड़ेगा.

मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के अनुसार कीमत सीमा के जरिये बीच में बदलाव न केवल नीतियों के जरिये सरकार की तरफ से कीमत निर्धारण और विपणन को लेकर दी गयी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा, बल्कि यह राजकोषीय व्यवस्था के लिये भी अनिश्चितता उत्पन्न करेगा, जिसका असर निवेश पर पड़ेगा.

किफायती दरें तय करने के लिये समिति गठित की:
सरकार अधिशेष गैस वाले देशों में मूल्यों के आधार पर साल में दो बार गैस के दाम निर्धारित करती है. इस फॉर्मूले के अनुसार दरें अक्टूबर, 2015 से छह साल 3 से 3.5 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) रही. लेकिन पिछले एक साल में पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत पांच गुना बढ़कर 8.57 डॉलर प्रति इकाई, जबकि कठिन माने जाने वाले क्षेत्रों में 12.46 डॉलर प्रति इकाई पहुंच गयी हैं.

दरों में तीव्र वृद्धि को देखते हुए गैस का उपभोग करने वाले उद्योगों ने शिकायत की है. उसके बाद मंत्रालय ने उपयोगकर्ताओं के लिये किफायती दरें तय करने के लिये समिति गठित की.

व्यवस्था बाजार आधारित कीमत निर्धारण के अनुरूप हो:
सूत्रों के अनुसार, रिलायंस ने समिति से कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने तथा 2030 तक प्राथमिक ऊर्जा ‘बास्केट’ में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी मौजूदा 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के लिये देश में गैस का उत्पादन मौजूदा स्तर से दोगुना करने की जरूरत है. इसके लिये दो लाख करोड़ रुपये से तीन लाख करोड़ रुपये तक के निवेश की जरूरत पड़ेगी. यह निवेश तभी व्यावहारिक होगा जब राजकोषीय और अनुबंधात्मक व्यवस्था बाजार आधारित कीमत निर्धारण के अनुरूप हो.

उत्पादन को 2.8 गुना बढ़ाने को लेकर निवेश जारी रहे:
रिलायंस ने कहा कि घरेलू उत्पादन में वृद्धि के लिये दीर्घकालिक निवेश जारी रखना जरूरी है और इसके लिये विपणन तथा मूल्य निर्धारण के मामले में स्वतंत्रता आवश्यक है. समिति को मूल्य निर्धारण व्यवस्था की ऐसी सिफारिश करनी चाहिए जो वैश्विक निवेशकों को भारत को अपना पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने के लिये आश्वस्त कर सके. इसे सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका यह है कि 2030 तक घरेलू गैस उत्पादन को 2.8 गुना बढ़ाने को लेकर निवेश जारी रहे.

किरीट पारेख की अध्यक्षता में समिति का गठन किया:
सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस के मूल्य की समीक्षा का फॉर्मूला तय करने के लिये पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य किरीट पारेख की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है. समिति में गैस उत्पादक संघ के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, ओआईएल, शहरों गैस वितरण से जुड़ी कंपनियों में से एक के सदस्य, गैस कंपनी गेल, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के प्रतिनिधि और उर्वरक मंत्रालय के सदस्य शामिल हैं. सोर्स-भाषा