जयपुर: कोरोना को भूलकर अब आगे बढ़ने का वक्त है. पर्यटन प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और राज्य सरकार इस रीढ़ को मजबूत करने में लगी हुई है. जी हां... 'ईज ऑफ ट्रैवलिंग इन राजस्थान' थीम पर नई पर्यटन नीति जारी की जा चुकी है और कल विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर नए पर्यटन सत्र का जोरदार और औपचारिक आगाज़ हो जाएगा. मेडिकल टूरिज्म, धार्मिक और ग्रामीण पर्यटन से लेकर तमाम पर्यटन उत्पाद एक बार फिर देश दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने दिशा में तेजी से कदम बढ़ा चुके हैं.
राजस्थान को पर्यटन का पायोनियर कहा जाता है. पिछले 2 वर्ष में देश दुनिया में कोरोना के चलते कितनी समस्याएं सामने आई हैं वह किसी से छुपी नहीं है. राजस्थान भी कोरोना से अछूता नहीं रहा और प्रदेश का संपन्न और समृद्ध पर्यटन ढांचा कोरोना के चलते चरमरा गया. अरबों रुपए का नुकसान हुआ, पर्यटन उद्योग हाशिए पर आ गया, लाखों लोग बेरोजगार हुए, होटल उद्योग रेस्टोरेंट और पर्यटन से जुड़े हॉकर, वेंडर, टैक्सी संचालक, गाइड, हस्तशिल्प उद्योग और लोक कलाकार... सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. घटनाक्रम के बाद प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पर्यटन ढांचे को दोबारा खड़ा करने वरन यूं कहें कि तेजी से खड़ा करने के लिए विभाग के जिम्मेदार अफसर और पर्यटन उद्योग से जुड़े विषय विशेषज्ञों के साथ बैठक की और नई पर्यटन नीति लाने के निर्देश दिए. इस नीति को बिजनेस फ्रेंडली, टूरिस्ट अट्रैक्शन से लबरेज और पर्यटन उद्योग को विभिन्न रियायतों का समावेश करते हुए तैयार करने को कहा गया था. इसके बाद पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ और निदेशक रश्मि शर्मा और उनकी टीम ने पर्यटन नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जिसे स्वयं मुख्यमंत्री ने जारी किया था. पिछले विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत टूरिज्म एप सहित विभिन्न नीतियों और योजनाओं का लोकार्पण भी किया था.
इस सबके नतीजे शानदार रहे और प्रदेश में चालू वर्ष के पहले 8 महीने में 34 लाख से ज्यादा पर्यटक आए. लोगों ने प्रदेश में पोस्ट कोविड मैनेजमेंट को सराहा और राजस्थान पिछले 8 महीने में देश का सबसे पसंदीदा पर्यटन राज्य बन गया. दरअसल प्रदेश में 1 सितंबर से नया पर्यटन सत्र शुरू हो जाता है ऐसे में नई नीति को पर्यटन सत्र के पहले दिन से ही प्रदेश में लागू कर दिया गया था. नई नीति में आईकॉनिक मोनुमेंट्स और हेरिटेज क्षेत्र पर फोकस किया गया है. नए स्पेशल हेरिटेज गांव तैयार करने, क्राफ्ट गांव तैयार करने और अनुभवात्मक पर्यटन पर जोर दिया गया है. इसके अलावा मरू पर्यटन, एडवेंचर टूरिज्म, वाइल्डलाइफ एंड इको टूरिज्म, ट्रैवल टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन, क्राफ्ट और व्यंजन पर्यटन, माइस टूरिज्म, वीकेंड गेटवे टूरिज्म, धार्मिक पर्यटन, शादी पर्यटन, रूट्स टूरिज्म, ग्रामीण पर्यटन और फिल्म पर्यटन को लेकर नई नीति में जो प्रावधान किए 1 वर्ष में ही उनके सुखद नतीजे सामने आए हैं. नई नीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशानुसार पुष्कर मेला, डेजर्ट फेस्टिवल, कुंभलगढ़, बूंदी उत्सव सहित अन्य मेलों एवं उत्सवों की नए सिरे से ब्रांडिंग की योजना तय की गई है. नई पर्यटन नीति में पर्यटन इकाइयों के भू रूपांतरण के मामलों में सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करने, हेरिटेज इकाइयों को विभिन्न रियायत देने और पर्यटन के विभिन्न उत्पादों को एक बार फिर मुख्यधारा में लाने के भी प्रयास किए गए हैं.
पैलेस ऑन व्हील्स के दोबारा संचालन की तैयारी हो गई है. ट्रेवल ट्रेड से जुड़े विभिन्न स्टेक होल्डर्स जिनमें होटल, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट, हस्तशिल्प, वेंडर, हॉकर, गाइड, फिजियोथैरेपिस्ट, नेचुरोपैथी से जुडे चिकित्सक, टैक्सी संचालक, टूर ऑपरेटर और ट्रेवल एजेंट सहित विभिन्न लोगों को सरकार ने विभिन्न रियायत देने के प्रयास किए हैं. इसी कड़ी में लोक कलाकारों और हाथी महावतों को नकद सहायता भी शामिल है. अब विदेशी पर्यटकों के आगमन का सबको इंतजार है ताकि पर्यटन उद्योग को और मजबूती मिल सके. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पर्यटन ढांचे के विकास और नए पर्यटन सत्र में पर्यटन उद्योग को विभिन्न रियायतें और नई नीति के प्रावधानों के अनुरूप संबल देने के प्रयास किए गए. अब इन सब का प्रतिफल सामने आने लगा है ऑफ सीजन के बावजूद प्रदेश में पर्यटकों की आवक जोरदार रही और माना जा रहा है कि दीपावली से शुरू हो रहे त्योहारी सीजन में प्रदेश पर्यटकों से गुलजार नजर आएगा.