नई दिल्ली: मनोरंजन उद्योग को टेलीविजन और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मंचों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की सामग्री का स्व-नियमन करने की जरूरत है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को यह बात कही.
उन्होंने कहा कि कुछ कार्यक्रमों की सामग्री भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य में स्वीकार्य मानकों के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भारत, भारतीय परिवारों और संस्कृति को दर्शाते समय कुछ हद तक स्व-नियमन और कुछ स्तर की शालीनता होनी चाहिए. उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘बिग पिक्चर समिट’ में कहा कि मेरा मानना है कि मीडिया और मनोरंजन उद्योग के भीतर किसी न किसी रूप में स्व-नियमन की जरूरत है.
कभी-कभी कुछ ओटीटी शो में दिखाया जाता:
एक ओर, हम अपनी संस्कृति, समृद्ध परंपरा, अपनी विरासत, पारिवारिक मूल्य प्रणालियों की बात करते हैं और दूसरी ओर हम टेलीविजन तथा ओटीटी मंच पर जो देखते हैं, वह निश्चित रूप से भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य के भीतर स्वीकार्य मानकों के अनुरूप नहीं है. उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या कोई भारतीय परिवार उस तरह की भाषा का इस्तेमाल करता है, जैसा कभी-कभी कुछ ओटीटी शो में दिखाया जाता है.
इस संबंध में अपनी भूमिका निभानी चाहिए:
गोयल ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इससे आपके उत्पाद की बिक्री में मदद मिलती है या नहीं. मुझे लगता है कि फायदा नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि हमें आधुनिक सामग्री का स्वागत करना चाहिए. साथ ही मुझे लगता है कि भारत, भारतीय परिवारों और संस्कृति को दर्शाते समय कुछ हद तक स्व-नियमन और कुछ स्तर की शालीनता होनी चाहिए. उद्योग का नेतृत्व करने वालों को इस संबंध में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
कुछ सामग्री को फिल्म में स्वीकार नहीं किया जाता:
उन्होंने कहा कि कुछ सामग्री को फिल्म में स्वीकार नहीं किया जाता है, तो फिर वह ओटीटी मंच पर क्यों स्वीकार्य होगा. गोयल ने आगे कहा कि अगर आप स्व-नियमन नहीं करते हैं, तो समाज से एक प्रतिक्रिया आएगी और तब सरकार को इसका नियमन करना होगा. उन्होंने सलाह दी कि किसी सामग्री के संदेश को भारतीय वास्तविकता से अलग नहीं किया जाना चाहिए. सोर्स-भाषा