VIDEO: राती घाटी युद्ध का 489 वां विजय दिवस, मुगलों की हुई थी हार, देखिए ये खास रिपोर्ट

बीकानेर: राती घाटी युद्ध का 489 वां विजय दिवस बीकानेर में मनाया गया. राती घाटी युद्ध राजस्थान के इतिहास में खास स्थान रखता है, इसमें राव जैतसी ने बाबर के बेटे कामरान को परास्त किया था और पश्चिमी सीमा को मुगलों के आतंक से बचाया था. बीकानेर में इसे विजय दिवस के तौर पर इतिहासकार और यहां के लोग याद करते हैं. भारत पर मुगलों का सैकड़ों साल शासन रहा. उनका इतिहास जीत का इतिहास रहा है लेकिन बीकानेर में हुए राती घाटी का युद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसमें मुगलों को हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि भारतीय इतिहास प्रांतो द्वारा लिखा गया इसलिए ऐसी विधियों का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन इटली के लेखक डॉ एलपीटी टेसिटोरी ने डिंगल  में छपे छंदों का अनुवाद कर मुगलों की पराजय को सामने लाने कार्य किया तभी से इस पर लगातार शोध हो रहा है.  

इतिहासकार बताते हैं कि 1527 में बाबर राणा सांगा का युद्ध हुआ था जिसमें बीकानेर के राव जैतसी ने अपने बेटे कल्याणमल को सांगा की मदद के लिए तीन हजार सैनिकों के साथ भेजा. बीकानेर की सेना ने  बाबर के तोपखाने  को खासा नुकसान पहुंचाया था. हालांकि तब  बाबर जीत गया था लेकिन तभी से बाबर के मन में बीकानेर राज्य के प्रति वैमनस्य का भाव आ  गया था. बाबर ने अपने  बेटे कामरान को राव जैतसी को सजा देने के लिए भेजा. करीब 8 साल बाद बीकानेर रियासत पर लाहौर से बाबर के बेटे कामरान ने हमला बोल दिया. हालांकि राव जैतसी  को इसकी सूचना मिल गई थी जिसके चलते 16 रियासतों के सैनिकों को जैतसी ने एकत्र  कर लिया था. 

26 अक्टूबर की सुबह 6:00 बजे कामरान ने बीकानेर के प्राचीन दुर्ग जो फिलहाल लक्ष्मीनाथ मंदिर है वहां पर अपने सैनिकों के साथ हमला कर दिया, लेकिन रात को राजपूताना के वीर सैनिकों ने मुगल सैनिकों को मार भगाया था. बीकानेर में गत करीब 30 वर्षों से राती घाटी समिति किस दिन आयोजन करती है. साथ ही साथ विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर काम करने वाले लोग का सम्मान भी करती है. इस बार राती घाटी युद्ध पर 30 सालों के शोध का इतिहास बीकानेर गौरव पुस्तक का विमोचन किया गया. 

राती घाटी विकास समिति से जुड़े संस्थापक महामंत्री जानकी वल्लभ श्रीमाली कहते हैं कि पाठ्यक्रमों में भी इस युद्ध का जिक्र है लेकिन उसमें समरूपता नहीं है अब हमें प्रयास कर रहे हैं कि सभी जगह इसके सही इतिहास को पढ़ाया जाए. भले ही इस युद्ध की जीत ने दिल्ली के ताकत तक पर कोई प्रभाव नहीं डाला हो, लेकिन यह सच है कि भारत के इतिहास में से कई युद्ध हैं जिनमें जीत हुई लेकिन अक्रांताओं ने उनका इतिहास ही बदल दिया. बीकानेर के इतिहासविदों और साहित्यकारों के साथ मिलकर  राती घाटी शोध एवं विकास समिति ने निश्चित तौर पर मेहनत कर पिछले 30 वर्षों से जिस तरह से शोध कर इसका नया पक्ष सामने लाने का काम किया है वह काबिले तारीफ है. ये सच भी है कि गौरवशाली भारत ऐसी कई स्वर्णिम विजयों  का साक्षी रहा है, लेकिन विदेशी आक्रांताओं ने उसे धूलधूसरित कर दिया.