जयपुर: दिवाली की लंबी छुट्टिया के बाद जलदाय विभाग के अफसर एक बार फिर एक्टिव मोड में आ गए हैं. विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने शुक्रवार को पहले अधिकारियों को दिवाली की मिठाई खिलाई और बाद में अधिकारियों को बड़ा टास्क देते हुए साफ कहा कि फील्ड अभियंता यह सुनिश्चित करें कि पेयजल परियोजनाओं में कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो. क्वालिटी कंट्रोल विंग को और अधिक सक्रिय होकर कार्य करने एवं सैम्पल फेल होने पर संबंधित फर्म एवं सप्लायर के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए गए.
एसीएस सुबोध अग्रवाल ने जब पिछली बैठक ली थी, तो काफी गर्मागर्मी थी, अधिकारियों की क्लास भी लगी और वीसी भी ठीक से नहीं हो पाई थी, लेकिन आज दिवाली के फेस्टिव माहौल के बीच बैठक हुई. अग्रवाल ने जल भवन में विभिन्न पेयजल परियोजनाओं एवं जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने कई वृहद परियोजनाओं की कम प्रगति पर संबंधित फर्मों को नोटिस जारी करने एवं परियोजनाओं की गति बढ़ाने के निर्देश दिए.
उन्होंने कहा कि फील्ड अभियंता साइट पर जाकर परियोजना के कार्य की प्रगति की जांच करें तथा परियोजनाओं में हो रही देरी के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें. सुबोध अग्रवाल ने क्वालिटी कंट्रोल टीमों द्वारा किए गए निरीक्षणों एवं पाइप सैम्पलिंग के बारे में जानकारी ली. उन्होंने सैम्पल फेल होने के बाद संबंधित फर्म एवं सप्लायर के विरूद्ध की गई कार्रवाई के बारे में संबंधित अभियंताओं से रिपोर्ट मांगी. इस बैठक में बताया गया कि कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने एवं निरीक्षण बढ़ाने के लिए सभी 58 नियमित एवं परियोजना खंडों में सर्कल स्तर की टीमों का गठन किया गया है. इसमें 37 नियमित वृत्त स्तरीय एवं 21 परियोजना वृत्त स्तरीय टीमें शामिल हैं. प्रत्येक वृत्त स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण टीम द्वारा 4 प्रोजेक्ट कार्यों एवं 4 ओटीएमपी योजनाओं का निरीक्षण करने का लक्ष्य तय किया गया है.
एसीएस PHED डॉ. सुबोध अग्रवाल ने ली समीक्षा बैठक:-
- कार्य की गुणवत्ता से नहीं करें कोई समझौता
- प्रोजेक्ट में अत्यधिक देरी करने वाली फर्मों के खिलाफ लें एक्शन
- क्वालिटी कंट्रोल विंग को और अधिक सक्रिय होने के निर्देश
- सैम्पल फेल होने पर संबंधित फर्म एवं सप्लायर के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश
- परियोजनाओं की कम प्रगति पर जताई चिंता
- संबंधित फर्मों को नोटिस जारी करें
- फील्ड अभियंता साइट पर जाकर प्रगति की जांच करें
- परियोजनाओं में हो रही देरी के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें
- सोर्स फाइंडिंग कमेटी शीघ्र भेजें सोर्स सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट
- पाइप उपयोग संबंधी गाइडलाइन्स की पालना सुनिश्चित करें
- प्रत्येक वृत्त स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण टीम को निरीक्षण के निर्देश
- 4 प्रोजेक्ट कार्यों एवं 4 ओटीएमपी योजनाओं का निरीक्षण करने का लक्ष्य तय
- जल परिवहन का बकाया भुगतान 30 नवंबर तक तक किया जाए
- 5491 लाख रुपए के जल परिवहन कार्य हुए
- 3266 लाख रुपए के बिल कलेक्टर्स को प्रस्तुत कर दिए गए
- अभी तक 2224.18 लाख रुपए के बिलों का भुगतान लंबित
- जेजेएम में सामुदायिक योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाएं
बैठक में पानी के टैंकर्स के बकाया का मामला भी उठा. सुबोध अग्रवाल ने जल परिवहन के बकाया भुगतान के समस्त बिल प्रमाणित कर 15 नवम्बर तक जिला कलेक्टर्स को प्रस्तुत करने एवं 30 नवम्बर तक समस्त बकाया भुगतान क्लियर करवाने के निर्देश सभी एसीई एवं एसई को दिए. आपदा प्रभावित 8 जिलों में आपदा मद में 5491 लाख रुपए के जल परिवहन कार्य हुए उनमें से 3266 लाख रुपए के बिल प्रमाणित कर जिला कलेक्टर्स को प्रस्तुत कर दिए गए हैं. अभी तक 2224.18 लाख रुपए के बिलों का भुगतान लंबित है. अब इन लंबित बिलों का भुगतान 30 नवंबर तक कराने के निर्देश दिए गए है.
जल जीवन मिशन की कार्य प्रगति को लेकर भी चिंता जाहिर की गई. एसीएस ने अन्य राज्यों की स्टडी करने के लिए टीमें भेजने के लिए कहा है कि आखिर राजस्थान ज्यादा प्रगति क्यो नहीं कर पा रहा है. बैठक में बताया गया कि जल जीवन मिशन में अभी तक 29.90 लाख जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं. अधिकारियों ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत सामुदायिक योगदान (कम्यूनिटी कॉन्ट्रीब्यूशन) कम एकत्र होने से मिशन की गति धीमी है. बैठक में सामुदायिक योगदान में पिछड़े पांच जिलों बांसवाड़ा, जैसलमेर, कोटा, सवाई माधोपुर एवं अलवर के प्रभारी अभियंतांओं एवं वहां कार्यरत सहयोगी संस्थाओं को ग्रामीणों में सामुदायिक योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए.