VIDEO: ओल्ड पेंशन स्कीम लागू, बकाया वसूली के पचड़ों का नहीं हुआ निपटारा ! देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: 1 अप्रैल 2022 से राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस यानि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू तो कर दी लेकिन इससे जुड़े बकाया वसूली के पचडों का निपटारा नहीं हो रहा है. एक तरफ सरकार को ओपीएस लागू करने के बाद 6 माह में 1 लाख 143 सेवारत कर्मचारियों की ओर से NPS के खाते से निकाली गई करीब 590 करोड में से महज 2885 कर्मचारियों से 11 करोड 22 लाख 670 की ही वसूली हो पाई है तो वहीं 1 अप्रैल 2022 से पहले रिटायर्ड करीब 3459 कर्मचारियों का NSDL में जमा उनके हिस्से की पूरी न्यायोचित राशि को लेकर समाधान नहीं हो पा रहा है. ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम के फेर में फंसे सरकारी कर्मचारियों का 1 अप्रैल 2022 से ओपीएस लागू होने के बाद बकाया राशि को लेकर आरटीआई में अहम खुलासे हुए हैं. 

आरटीआई में हुए अहम खुलासे:
-19 मई 2022 को ओपीएस का नोटिफिकेशन जारी हुआ था और 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सरकारी सेवा में आए सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दिया गया. 
-इस लाभ को 1 अप्रैल 2022 से लागू कर दिया.
-ऐसे में सामने आया 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सेवा में आए सरकारी कर्मचारियों का मसला 
-इन सेवारत कर्मचारियों में से  1 लाख 143 कर्मचारियों ने ओपीएस लागू होने की तारीख यानि 1 अप्रैल 2022 से 30 सितंबर 2022 तक NPS की अपनी 60 फीसदी अंशधारिता में से करीब 590 करोड वापस ले लिए थे.
-इस पर वित्त विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करके इन कर्मचारियों को दिए निर्देश
-कि चूंकि ओपीएस लागू हो गया तो NPS की अपनी अंशधारिता से राशि वापस नहीं लें.
-साथ ही जिन्होंने राशि ले ली है वे दिसंबर तक वापस जमा कराएं. 
-इस पर RTI से पता चला कि कुल 1 लाख 143 कर्मचारियों ने विड्रॉ की राशि
-कुल निकाली गई राशि 590 करोड 
-इसमें से सिर्फ 2885 लोगों ने करीब  11 करोड 22 लाख 670 रुपये की राशि कराई जमा.  
-इसका कारण यह माना जा रहा है कि सरकार से इस प्रकरण में रियायत की उम्मीद में वेट एंड वाच में है. 

1 अप्रैल 2022 पूर्व सेवानिवृत्त कर्मचारियों का मसला:
-उधर 1 जनवरी 2004 से 31 मार्च 2022 तक जो कर्मचारी और अधिकारी सेवा में थे और 1 अप्रैल 2022 से पहले सेवानिवृत्त हो गए उनकी ओपीएस के तहत पेंशन निर्धारण का आया मसला.
-नई पेंशन स्कीम के ये कर्मचारी अब ओपीएस में आ गए हैं और उन्हें NSDL स्ट्रक्चर से राशि दिए जाने की है मांग.
-लेकिन इससे पूर्व उन्हें नई पेंशन स्कीम में उनकी 60 प्रतिशत या जितना भी हिस्सा लिया है और 40 प्रतिशत या इससे ज्यादा जितनी भी एन्यूटी कराई है तो उनकी राशि जमा कराने की है बाध्यता.

इस पेंशन के निर्धारण का क्या है आधार:
-दरअसल 1 अप्रैल 2022 के बाद ओपीएस अमल में आया इसलिए इसी तारीख से सरकार इस स्कीम के तहत पेंशन दे रही है. इसके चलते जो 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए हैं और 1 अप्रैल 2022 से पहले कभी भी रिटायर्ड हुए हैं. उन्हें  उनकी जितनी सर्विस लेंथ है उसके हिसाब से ही राशि मिलेगी जिससे उनका बड़ा नुकसान होगा. क्योंकि इनमें जिसकी 10 वर्ष से कम सेवा हो उसे पेंशन की जगह सर्विस ग्रेच्यूटी देते हैं. जिसकी सेवा 28 साल या उससे ज्यादा है तो उसका अंतिम वेतन है उसका पचास प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता है. अगर उसकी सेवा 28 साल से कम हुई तो उसी अनुपात में पेंशन घट जाएगी. हालांकि किसी भी हालत में यह पेंशन 8850 से कम नहीं होगी. लेकिन 10 साल की सेवा जरूरी. ऐसे में जिसकी सेवा 9 साल है उसे बहुत बड़ा नुकसान होगा. 

कैसे हो रहा अन्याय:
ऐसे में 1 अप्रैल 2022 से पहले वाले रिटायरमेंट वाले को पेंशन का वास्तविक लाभ मिलना चाहिए उन्हें नुकसान हो रहा है. जो कर्मचारी ने सेवा में रहते हुए अपने हिस्से का पैसा 60 फीसदी कटवाया है वह पूरा नहीं दे रही सरकार. इसके पीछे अनुदानित कर्मियों को लेकर अदालती पचड़े का कारण माना जा रहा है. इसलिए यह माग की जा रही है कि 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सेवा में आने वाले और 1 अप्रैल 2022 से पूर्व रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए 1 अप्रैल 2022 के बजाय 1 जनवरी 2022 से ओपीएस लागू हो या उनकी उस दौरान तक की पेंशन का वित्तीय भार सरकार ले. जब 1 अप्रैल 2022 बाद रिटायर्ड हुए कर्मचारियों को पेंशन दे रही है और NSDL में जमा कराए अंशदान को ब्याज सहित राशि दे रही है तो 1 अप्रैल 2022 से पूर्व रिटायर्ड होनेवाले कर्मचारियों के हिस्से की न्यायोचित राशि उन्हें दी जानी चाहिए. केन्द्र ने पेंशन की क्वालिफाइंग शर्त 28 साल की सेवा के बजाय 20 साल की है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार से क्वालिपाइंग अवधि बीस साल करने की मांग है.  इसे लेकर 4000 करोड का भार है जिस पर गहलोत सरकार को निर्णय लेना है. 

PFRDA में जमा राशि का पचड़ा:
दरअसल न्यू पेंशन स्कीम के तहत एनएसडीएल में जो जमा राशि है, उसमें 10 प्रतिशत राज्य सरकार और 10 प्रतिशत कर्मचारी का है.हालांकि इसमें भी पेंच यह है कि राज्य सरकार का अंशदान 14 प्रतिशत होना चाहिए. 31 मार्च 2022 तक के आंकड़े अनुसार सरकार और कर्मचारी की इसमें जमा कुल राशि 39000 करोड है.लेकिन ब्याज सहित यह राशि 41000 करोड है. जब कभी 41000 करोड से राशि आएगी तो कर्मचारी का हिस्सा सरकार कमर्चारी को देगी. लेकिन इसमें सरकार का रुख यह है कि वह ब्याज बिना की राशि कर्मचारी को देगी लेकिन वह जिस दिन से कर्मचारी की राशि कट रही है उस दिन से सेवानिवृत्ति तक उसके हिस्से की राशि का जो ब्याज है जीपीएफ की दर से देगी. सरकारी कर्मचारियों को हालांकि ओपीएस फायदे की तो लग रही है लेकिन इन तमाम मसलों के चलते सरकारी कर्मचारी मकड़जाल में उलझा महसूस कर रहा है.