जयपुर: राजस्थान में रोडवेज बस का सफर दिन-प्रतिदिन मुश्किल भरा होता जा रहा है. करीब तीन हजार बसों के बेड़े वाले राजस्थान पथ परिवहन निगम की बसें कब बीच राह में खराब हो जाये और कब उसके ब्रेक फेल हो जाये कुछ नहीं कहा जा सकता है.
राजस्थान रोडवेज में इन दिनों बसों की भारी कमी है. हालत इतने ख़राब है क़ि पहले जिन रूटों पर चार से पाँच बसें चलती थी वहाँ अब एक बस भी लोगों को मुश्किल से मिल रही है. बहुत से छोटे क़स्बों में बसों की कनेक्टिविटी अब ख़त्म हो चुकी है. रोडवेज बसों की कमी के कारण लोगों को मजबूरन निजी बसों में यात्रा करनी पड़ रही है जो काफ़ी महँगी साबित हो रही है. रोडवेज़ में बसों की कमी का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि लम्बे समय से नई बसों की ख़रीद नहीं हुई इसके मुक़ाबले बसों का कंडम रहना जारी रहा अगर रोडवेज़ के पास अनुबंधित बसें नहीं हैं तो हालत और भी ख़राब हो सकते हैं. अभी हालात ये हैं कि कुल बेड़े की करीब 10 फीसदी बसें पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. राजस्थान रोडवेज की बसों की हालत चिंताजनक है. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों का आए दिन बीच रास्ते में खराब हो जाना और ब्रेक फेल होने जैसी घटनाएं अब आम हो चुकी है. बात अब साधारण श्रेणी की बसों से निकलकर लग्जरी बसों तक चली गई है. उनकी हालत भी खस्ता है.. हालात ये हो गये हैं कि रोडवेज की बसें सड़कों पर चल तो रही हैं लेकिन वह मंजिल पर पहुंचेंगी या नहीं ये बस का ड्राईवर भी नहीं जानता.
राजस्थान रोडवेज में वर्तमान में समय में 3000 बसों का बेड़ा है
इस बेड़े में से 300 बसें ऐसी है जो पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो चुकी है
अब बची 2700 बसों में से हर महीने 40 से 50 बसें वर्कशॉप में मेंटेनेंस के लिये चली जाती है
बची हुई बसों की हालत इतनी खराब है कि 2023 तक आते आते 1600 बसें बिल्कुल खराब हो चुकी होंगी इन 3000 बसों में राजस्थान रोडवेज के पास कुल 52 के करीब लग्जरी बसें हैं उनकी हालत भी बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती
रोडवेज के बेड़े में लगातार बसें कम होती जा रही हैं. इस साल 750 बसें आयोग्य (नकारा) होने के कगार पर हैं. किसी भी बस के आठ साल और आठ लाख किलोमीटर (जो भी बाद में हो) होने पर उस पर रोडवेज की नकाराकरण समिति निरीक्षण करती है. निरीक्षण कर भौतिक और यांत्रिक रूप से खराब स्थिति होने पर या उसकी मरम्मत और चलाने पर अधिक खर्च होने की स्थिति में समिति बसों कंडम घोषित करने की अनुशंषा करती है. इस साल 750 बसों के आठ साल व आठ लाख किलोमीटर पूरे हो रहे हैं. साल 2021 में करीब एक हजार बसें नकारा घोषित करके बेड़े से बाहर की गई थी. जब ये बसें सड़क पर थी, तब इन बसों में रोजाना करीब करीब 50 हजार यात्री रोजाना सफर करते थे. तीन साल पहले यानी की वर्ष 2019 तक रोडवेज के बेड़े में 4057 बसें थी. अभी तक 17.5 फीसदी बसें अयोग्य होने के कारण बेड़े से बाहर की जा चुकी हैं. 750 बसें और बाहर होने पर यह आंकड़ा बढ़कर 36 फीसदी हो जाएगा बसों की कमी के संकट से जूझ रहे रोडवेज़ प्रबंधन ने अब नई बसें ख़रीदने की तैयारी तेज कर दी है हुड़कों से लोन मंज़ूर होने के बाद बसें ख़रीदने का रास्ता साफ़ हो गया है. राजस्थान रोडवेज के बेड़े में जल्द ही 550 नई बसें शामिल होंगी. रोडवेज सीएमडी ने बसों की खरीद के लिए अनुमति दे दी है.
अब टेंडर प्रक्रिया की तैयारी की जा रही है नए साल तक रोडवेज के बेड़े में नई बसें शामिल होने की उम्मीद है. हालांकि, 750 बसें इस साल के अंत तक अयोग्य घोषित होने पर बेड़े से बाहर की जाएंगी नई बसों के खरीद के बावजूद बेड़े में दो सौ बसें कम हो जाएंगी अधिकारियों के अनुसार 550 बसों में 300 एक्सप्रेस, 150 डीलक्स, 100 स्लीपर खरीदी जाएंगी. इसके अतिरिक्त 10 सुपर लग्जरी बसें भी रोडवेज प्रशासन खरीदेगा करीब आठ महीने पहले रोडवेज बोर्ड बैठक में 550 बसों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी.