जयपुर: उमेश मिश्रा राजस्थान के अगले डीजीपी होंगे. गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Govt) की ओर से गुरुवार को प्रदेश के नए डीजीपी (DGP Rajasthan) के नाम पर मोहर लगाई है. मिश्रा 3 नवंबर को DGP का पदभार ग्रहण करेंगे. उनके नाम का ऐलान होते ही रात से ही बड़ी संख्या में IPS और IAS अधिकारियों ने उन्हें बधाई दी. राज्य सरकार ने गुरूवार रात साढ़े 11 बजे आदेश जारी कर जानकारी दी हैं.
उमेश मिश्रा वर्तमान में अगस्त 2021 से डीजी इंटेलीजेंस के पद हैं. केंद्र सरकार ने 19 अक्टूबर को मुख्य सचिव उषा शर्मा, DGP एमएल लाठर की मौजूदगी में नये DGP के लिए पैनल का चयन किया था. प्रदेश के नये DGP के लिए पैनल में उमेश मिश्रा का नाम था. मिश्रा को दो सीनियर्स 1988 बैच के IPS यूआर साहू, 1989 बैच के भूपेंद्र दक पर वरीयता दी गई. 1988 बैच के ही IPS पीके सिंह, बीएल सोनी के रिटायरमेंट में 6 माह से कम का समय बचा है.
DGP बनने के लिए कम से कम 6 माह का कार्यकाल होना जरूरी है. इसलिए सरकार ने मई 2024 में रिटायर होने वाले 1989 बैच के IPS मिश्रा को मौका दिया. अब DGP बनने से उनका कार्यकाल अक्टूबर 2024 तक रहेगा. मूलतः यूपी के कुशीनगर निवासी उमेश मिश्रा 2007 में पुलिस मेडल, 2016 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हो चुके हैं. मिश्रा चूरू, भरतपुर, पाली, कोटा सिटी में एसपी, भरतपुर-जोधपुर में आईजी, ACB-ATS-SOG में सेवाओं के साथ 4 साल से इंटेलीजेंस की कमान संभाल रहे हैं. 1999 से 2005 तक डेपुटेशन के दौरान दिल्ली आईबी में सेवाएं दे चुके.
चुनावी साल में कानून व्यवस्था को बनाए रखना बड़ी चुनौती:
उमेश मिश्रा को 2 वर्ष के लिए डीजीपी बनाए जाने के मायने चुनावी साल में प्राइम पोस्ट करा रही अहम जिम्मेदारी का एहसास भी है. चुनावी साल में कानून व्यवस्था को बनाए रखना बड़ी चुनौती है. सामाजिक समरसता, सौहार्द्रपूर्व माहौल के लिए पुख्ता कदम उठाने जरूरी हैं. कोरोना बाद सक्रिय हुए अंतरराज्यीय गिरोहों पर नकेल कसने के लिए भी उन्हें कदम उठाने होंगे.
बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुख्ता तंत्र विकसित करने की भी जरूरत:
बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुख्ता तंत्र विकसित करने की भी जरूरत है. हाईटेक पुलिसिंग से नये तरीके के अपराधों को काबू में करना होगा. सीमा पार से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी होगी. साथ ही मादक पदार्थ, हथियार, अवैध शराब तस्करी पर अंकुश लगाना होगा. थानों और एक राज्य से दूसरे राज्य की पुलिस में तालमेल बिठाना होगा. वहीं बढ़ते थानों में पर्याप्त नफरी का बंदोबस्त करना भी समस्या है. विधानसभा चुनाव और उपचुनाव के लिए पर्याप्त पुलिस बल का इंतजाम करना होगा.