उदयपुर (रवि कुमार शर्मा): झीलों की नगरी उदयपुर की कुदरती फिंजा एक बार फिर देशी विदेशी सैलानियों की सौंधी आवक से महक उठी हैं. दरअसल सर्दी की छुट्टियों और नये साल के स्वागत के लिए देश दुनिया से सैलानियों की बंपर आवक लेकसिटी में हो रही हैं, जिसके चलते ना केवल यहां के पर्यटन स्थल आबाद हो गए हैं बल्कि पर्यटन व्यवसाय से जुडा हर नुमांइदा खुश हैं. तो आइये आपको भी दिखाते हैं झीलों की नगरी उदयपुर के दिलकश नजारें हमारी इस खास रिपोर्ट में...
नीली झीलों का शहर, राजस्थान का कश्मीर,पूर्व का वेनिस और ऐसे ही अनेकों नामों से सात समंदर पार तक अपनी पहचान बनाने वाले उदयपुर में पर्यटन सीजन परवान हैं. सर्दी की छुट्टियों और नये साल के स्वागत के जश्न में शामिल होने भारी तादाद में देशी विदेशी सैलानी लेकसिटी उदयपुर का रुख किए हुए हैं. सैलानियों की बंपर आवक के चलते शहर के तमाम पर्यटन स्थलों पर मेले सा माहौल बना हुआ हैं.
बात चाहे फतेहसागर की हो या फिर विश्वप्रसिद्ध पीछोला झील की ,नजारा मोतीमगरी हो या फिर सिटी पैलेस का,सुखाडिया सर्किल हो या फिर सहेलियो की बाडी, हर और सैलानियों की भारी आवक ने शहर के ट्रेफिक तक की फिंजा को बदल दिया हैं.लेकिन इस सब से परें सैलानी कुदरती खूबसूरती वाले इस शहर में आकर खुद को धन्य समझ रहे हैं. दरअसल लेकसिटी उदयपुर के चारों ओर करीब 14 से ज्यादा छोटे बडे जलाशय,झील और तालाब हैं. ऐसे में यहां झीलों में वोटिंग को लेकर भी खास प्रबंध किए गए हैं जो सैलानियों को खूब रास आ रहे हैं.
यही नही लंबे समय से सुस्ती की मार झेल रहें पर्यटन व्यवसाय के इस टूरिस्ट सीजन में रफ्तार पकडने से इस व्यवसाय से जुडा हर व्यक्ति बेहद खुश हैं.पर्यटन स्थलों की सैर कराने वाले गाइड हो या फिर सैलानियों को वोटिंग का लुत्फ दिलाने वाले नाव संचालक या फिर होटल व्यवसायी.हर कोई सैलानियों की लेकसिटी में आवक से चहक रहा हैं. बहरहाल पिछले 2 वर्षों में कोरोना की मार के चलते नए साल का जश्न भले ही फीका रहा हो, लेकिन कोरोना से राहत मिलने के बाद नैसर्गिक खूबसूरती के धनी झीलों के शहर में सैलानियों की बहार ने पर्यटन व्यवसाय को जरुर फलने फूलनें का मौका दिया हैं.