जयपुर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक माह में दूसरी बार अपने ही एक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) को रिश्वतखोरी-वसूली के आरोप में पकड़ा है. शुक्रवार (27 जून) को ASP जगराम मीणा के पास से करीब 50 लाख रुपए मिले. इन पैसों को गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी. मीणा की कार से 9.35 लाख रुपए और घर से 39.50 लाख रुपए बरामद हुए. इस घटनाक्रम के बाद डीजी एसीबी डॉक्टर रवि प्रकाश मेहरड़ा ने जगराम मीणा को कार्य मुक्त कर दिया है. जांच में सामने आया है कि मीणा पुलिस, खनन और परिवहन विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों से भी वसूली करता था. वह कुछ दिन पहले झालावाड़ से हटाया गया था, इसके बाद भी वह 'बंधी' (वसूली की रकम) लेता था.
ACB सूत्रों के अनुसार महंगी शराब का शौकीन है. उसने घर पर ही मिनी बार बना रखा था. रिश्वतखोर ASP दो महीने से विजिलेंस विंग के रडार पर था. वह पहले भी ट्रैप होते-होते बचा है. इससे पहले 19 मई को एसीबी एएसपी सुरेंद्र शर्मा को जयपुर से पकड़ा गया था. डीजी एसीबी रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया- एसीबी के एएसपी जगराम मीणा के घर से 39.50 लाख रुपए कैश, करोड़ों रुपए बाजार मूल्य की प्रॉपर्टी के डॉक्युमेंट मिले हैं. आरोपी की कार से 9.35 लाख रुपए मिले. उसके घर से महंगी और विदेशी ब्रांड की शराब की 85 बोतल भी बरामद हुई. इस पर थाना रामनगरिया को इस की सूचना दी गई और आबकारी एक्ट में मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है.
डीजी एसीबी ने बताया- एएसपी जगराम मीणा का काम करने का तरीका सही नहीं था. जगराम मीणा की छवि आमजन और राज्य सरकार के कर्मचारियों में सही नहीं है. जगराम मीणा ने झालावाड़ में पद पर जाने के बाद सरकारी अफसरों को सुविधा शुल्क और भ्रष्टाचार करने की छूट दी हुई थी. वह अधिकारियों-कर्मचारियों को डरा-धमका कर मासिक बंधी और सुविधा शुल्क लेता था. जगराम मीणा हर शुक्रवार को सरकारी ऑफिसों से वसूली गई मासिक बंधी और सुविधा शुल्क लेकर कार से जयपुर आता था. मीणा एक बार पहले भी रिश्वत लेकर जयपुर आ रहा था, लेकिन एसीबी के जाल में फंस नहीं पाया. एएसपी सुरेन्द्र शर्मा के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद से जगराम मीणा अलर्ट हो गया था. जिस विभाग पर भ्रष्टाचार रोकने का जिम्मा है, उसी विभाग के ASP ने जमकर अवैध संपत्ति कमाई. ACB की गिरफ्त में ASP जगराम मीणा। जिस विभाग पर भ्रष्टाचार रोकने का जिम्मा है, उसी विभाग के ASP ने जमकर अवैध संपत्ति कमाई.
कार में मिले रिश्वत के 9.35 लाख रुपए:
डीजी एसीबी ने बताया- आरोपी 27 जून को सरकारी ऑफिस के एक अधिकारी से मोटी राशि लेकर निकला था. इसकी सूचना एसीबी को मिल गई थी. शिवदासपुरा टोल पर सर्च के दौरान आरोपी की कार से एक प्लास्टिक के फोल्डर में अखबार में लिपटी हुई 500-500 रुपए की 10 गड्डियां (कुल 5 लाख रुपए), एक पीले रंग के लिफाफे में 500-500 रुपए की 4 गड्डियां (कुल 2 लाख रुपए), 2 अलग-अलग लिफाफों में 1-1 लाख रुपए (कुल 2 लाख रुपए) और 1 लाल रंग के लेदर बैग में रखे पीले रंग का लिफाफे में 500-500 रुपए के 70 नोट (कुल 35 हजार रुपए) मिले. कैश कहां से आया? इसका वो ठीक से जवाब नहीं दे सका. इसके बाद एसीबी ने एएसपी जगराम मीणा के मकान नंबर 31 चकरोल जेडीए कॉलोनी, एसकेआईटी के पीछे जगतपुरा (जयपुर) में भी तलाशी ली. इस दौरान वहां से 39 लाख 50 हजार रुपए कैश, जमीनों के कागजात और 85 बोतल अंग्रेजी शराब मिली. जानकारी के अनुसार जगराम मीणा भीलवाड़ा की ACB चौकी पर पोस्टेड था. उसका दो दिन पहले ही झालावाड़ से ट्रांसफर हुआ था. आरोपी परिवहन, खनन, आबकारी और पुलिस डिपार्टमेंट के अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर रहा था.
ACB ASP जगराम मीणा के जगतपुरा (जयपुर) स्थित आवास पर मिले कैश को गिनने के लिए मशीन मंगवानी पड़ी.पहले अधिकारियों को 2 बार दिया था चकमाआरोपी जगराम मीणा पहले भी दो बार ट्रैप होते-होते हुए बच गया था. एक बार एएसपी सुरेन्द्र पर कार्रवाई की तो जगराम झालावाड़ में ही पैसे छोड़कर जयपुर आ गया. इसके बाद मामला ठंडा पड़ा तो अगली बार पैसे लेकर आया. इस बार उसने कार बदल ली थी. इसलिए पकड़ में नहीं आया. 25 जून की रात को एसीबी हेडक्वार्टर ने जगराम का तबादला कर दिया था. जगराम ने जल्दबाजी में पैसे लेकर जयपुर के लिए निकला था. अभी तक वहां से वह रिलीव नहीं हुआ है.
एसीबी की प्राथमिक जांच में सामने आया कि जब भी जगराम वसूली के पैसे लेकर आता तो अपनी कार खुद चलाकर आता था. सामान्य तौर पर वह सरकारी गाड़ी से ड्राइवर के साथ आता था. एसीबी विजिलेंस विंग एसीबी के भ्रष्ट अफसरों पर लगातार निगरानी रख रही है. एडीजी स्मिता श्रीवास्तव इसकी मॉनिटरिंग कर रही हैं. जगराम मीणा को दो साल के लिए ब्यूरो में राजस्थान पुलिस से 6 मार्च 2024 को लिया गया था. एएसपी जगराम पर केस दर्ज करने के बाद एसीबी इसकी कॉल डिटेल व वॉट्सऐप चैट खंगालेगी. इसके बाद ही यह पता चल सकेगा कि जगराम किस-किस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से बंदी वसूलता था. एसीबी ने इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि अपने ही विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े जा रहे हैं. एक माह के अंतराल में दो भ्रष्ट एएसपी पकड़े गए हैं.