Uttarakhand Tunnel Accident: ऑगर मशीन के बाद अब रैट माइनर्स बने उम्मीद, पतले पाइप में घुसकर ड्रिल करने में माहिर, 2-3 दिन का लग सकता है समय

उत्तराखंड़ः उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए 16वें दिन ऑगर मशीन, मैनुअल ड्रिलिंग के बाद अब मैन्युअली हॉरिजॉन्टल खुदाई भी शुरू हो सकती है. इसके लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है. ये लोग हाथ से खुदाई करेंगे. हालांकि ये भी मैनुअली ड्रिलिंग से मिलते जुलते ही कार्य करेंगे. लेकिन एक्सपर्ट होने के नाते इन्हे मिशन में शामिल किया जा रहा है. 

ऑगर मशीन का सारा मलबा हटा दिया गया. मैन्युअल ड्रिलिंग संभवत: तीन घंटे के बाद शुरू होगी. हमें 9 मीटर हाथ से सुरंग बनाने का काम करना है. यह निर्भर करता है जमीन कैसे व्यवहार करती है. जल्दी हो सकता है या थोड़ा लंबा हो सकता है. 

रैट माइनर्स बने उम्मीदः
दिल्ली के खजूरी खास के रहने वाले मुन्ना अपने सहयोगी रैट माइनर्स के साथ सिल्क्यारा टनल साइट पर पहुंच चुके हैं. ये वर्कर रॉकवेल कंपनी में काम करते हैं. ये लोग मैन्युअल ड्रिलिंग के एक्सपर्ट वर्कर हैं. ये लोग 2-2 के ग्रुप में टनल पैसेज में जाएंगे और बची हुई 12 मीटर की हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को हाथों से अंजाम देंगे. मुन्ना के मुताबिक, हम टनल के अंदर जाकर ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं. पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. 

1-2 मीटर क्षतिग्रस्त पाइप को हटाने पर पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ और बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह (रिटायर्ड) ने कहा कि मौजूदा स्थिति में जो ऑगर मशीन फंसी थी, उसे हटा दिया गया है. क्षतिग्रस्त पाइप के 1.5 मीटर हिस्सा को निकालने का प्रयास जारी हैं. इसे हटाने, मजबूत करने और मलबा हटाने के बाद सेना की मदद से कुशल मजदूर इसमें जाएंगे. हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही किया जाएगा. 

मौसम की खलल बनेगी परेशानीः
वहीं इसी उत्तरकाशी में जारी रेस्क्यू अभियान में अब बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ समेत कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं. ऐसे में सिलक्यारा टनल में चल रहे राहत कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा