जयपुर: प्रदेश में खरीफ की बुवाई से पहले किसानों की सहायता के लिए सघन गुण नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है ताकि किसान को उच्च गुणवत्ता के उर्वरक, बीज और कीटनाशी मिल सके. अभियान के दौरान कृषि आदान प्रतिष्ठानों की जांच की जा रही है कि कहीं किसान को घटिया क्वालिटी के बीज व कीटनाशी तो नहीं थमाए जा रहे हैं. प्रदेश में 15 मई से शुरू हुआ अभियान इस बार 30 जून तक जारी रहेगा. यह पहली बार होगा कि अभियान की अवधि डेढ़ माह तक रखी गई है.
खरीफ मौसम पूर्व सघन गुण नियंत्रण अभियान जारी
अब तक 1474 प्रतिष्ठान पर लिए नमूने
उर्वरक के 468, कीट के 597 और कीटनाशी के 409 प्रतिष्ठानों की जांच
जांच के दौरान 30 को थमाया कारण बताओ नोटिस
उर्वरक के 12, बीज के 16 और कीटनाशी के 11 प्रतिष्ठानों को नोटिस
आठ किस्मों के विक्रय पर लगाई गई है रोक
अभियान के दौरान अब तक लिए गए 2142 नमूने
उर्वरक के 955, बीच के 871 और कीटनाशी के 316 नमूने लिए
हर बार 15 जून तक ही चलाया जाता रहा है अभियान
लेकिन इस बार 30 जून तक जारी रहेगा अभियान
किसानों को घटिया किस्म के उर्वरक, बीज और कीटनाशी थमाने की शिकयातों के बाद इस बार एक की जगह डेढ़ माह का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. पिछले साल बीटी काटन में ज्यादा खराबा देखा गया था. जिसके चलते अनूपगढ़, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में सघन जांच की जा रही है. बतादें कि अभी बीटी कॉटन की बुवाई चल रही है और किसान इस बात को लेकर चिंतित भी हैं कि कहीं पिछले साल की तरह फसल खराब नहीं हो जाए. इसे देखते हुए ही कृषि विभाग जांच में लगा है और अब तक 42 लाइसेंस निलंबित किए जा चुके हैं. जबकि अभियान 30 जून तक जारी रहेगा.
बीटी कॉटन सीड जांच अभियान
15 मई से अब तक 567 प्रतिष्ठानों की जांच
जांच के दौरान अब तक लिए गए 933 नमूने
घटिया सीड रखने पर 42 लाइसेंस निलंबित
अनूपगढ़ में 8 और हनुमानगढ़ में 22 लाइसेंस निलंबित
जबकि श्रीगंगानगर में अब तक 12 लाइसेंस निलंबित
25 प्रतिष्ठानों को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस
5 किस्मों की बिक्री पर लगाई गई है रोक
30 जून तक जारी रहेगा अभियान
प्रदेश में मानसून के साथ ही खरीफ की बुवाई शुरू हो जाएगी. इससे पहले कृषि विभाग ने उर्वरक, बीज और कीटनाशी का अभियान चला रखा है, लेकिन देखने वाली बात यह है कि हर बार की तरह इस बार भी हजारों किसानों की शिकायत रहेगी कि घटिया बीज और कीटनाशी से फसल खराब हो गई. उधर, बीटी कपास में शिकायतें ज्यादा रहेगी. देखने वाली बात यह रहेगी कि अभियान की अवधि बढ़ाने के बाद क्या किसानों की शिकायतों में कमी आएगी.