Akshay Tritiya 2023: दान-पुण्य करने का महापर्व है अक्षय तृतीया, राशि के अनुसार करें इन चीजों का दान

जयपुर: शनिवार 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. हर वर्ष यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. शास्त्रों में इस तिथि को स्वयंसिद्ध मुहूर्त और युगादि तिथि कहा गया है. इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करने के लिए पंचांग देखने को जरूरत नहीं है, इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अति शुभ फलदायक माना जाता है. साथ ही इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ भी हुआ था. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. इन शुभ योग में किया गया धार्मिक कार्य जैसे पूजा, जप-तप, दान आदि कार्यों को बेहद शुभ फल मिलता है. अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर गुरु 22 अप्रैल को अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं. गुरु का यह गोचर अश्विनी नक्षत्र के प्रथम पद में होने जा रहा है.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 22 अप्रैल को है. इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहते हैं. ये धर्म-कर्म के साथ ही दान-पुण्य करने का महापर्व है. इस दिन खरीदारी करने की भी परंपरा है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है. ज्यादा दान न कर सके तो इस दिन कम से कम जल का दान जरूर करना चाहिए. इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति रहेगी. जिससे धर्म-कर्म, खरीदारी, निवेश और लेन-देन करने के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. शुभ और मांगलिक कामों के लिए इस दिन को धर्म शास्त्रों के अनुसार बहुत ही खास माना जाता है. इस तिथि पर किए गए कामों का अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय तृतीया पर स्नान-दान के साथ ही हर तरह के पुण्य कर्म का फल बढ़ जाता है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया होने से इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की विशेष पूजा करने का विधान है. इस दिन श्रीकृष्ण का भी अभिषेक और चंदन से श्रृंगार करने की परंपरा है. माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां और पाप खत्म हो जाते हैं. इस दिन व्रत या उपवास करने से आराधना का पुण्य फल और बढ़ जाता है. जिससे लंबे समय तक सुख और समृद्धि मिलती है. कई पुराणों में इस तिथि को महापर्व कहा गया है. 

अक्षय तृतीया:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 22 अप्रैल 2023 सुबह 07:49 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 23 अप्रैल 2023 सुबह 07:47 मिनट पर होगा. ऐसे में अक्षय तृतीया की पूजा 22 अप्रैल को की जाएगी. पंचांग के अनुसार, पूजा मुहूर्त सुबह 07:49 मिनट से दोपहर 12 :20 मिनट के बीच रहेगा. वहीं पवित्र स्नान ब्रह्म मुहूर्त में 23 अप्रैल 2023 को किया जाएगा.

स्वयं सिद्ध मुहूर्त:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा गया है. इस दिन शुभ-अशुभ समय का विचार किए बिना कोई भी काम कर सकते हैं. इस तिथि पर सूर्य-चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं. साल में सिर्फ इसी दिन ये संयोग बनता है. इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त और महापर्व कहते हैं.

सर्वार्थ सिद्धि योग: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि नामक बेहद शुभ योग बन रहा है. यह योग रात 11:24 मिनट से आरंभ होकर 23 अप्रैल सुबह 05:48 मिनट तक रहेगा. इस शुभ योग में शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य निश्चित ही सफल होता है. यह एक अत्यंत शुभ माना जाता है. साथ ही यह योग सभी इच्छाओं और मनोकामना पूरा करने वाला माना गया है. सर्वार्थ सिद्धि योग में अशुभ योग जैसे शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है, यह योग अशुभ प्रभाव को दूर करता है. इस योग में नया व्यापार शुरू करना, संपत्ति, आभूषण आदि चीजें खरीदना बहुत लाभकारी माना जाता है.

त्रिपुष्कर योग:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है. तीन ग्रहों के मिलने से इस शुभ योग का निर्माण होता है. अक्षय तृतीया पर यह योग सुबह 5:49 मिनट से सुबह 7:49 मिनट तक रहेगा. इस शुभ योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य का फल तीन गुना अधिक मिलता है. हालांकि इस योग में अगर कोई अशुभ मुहूर्त बन रहा है तो उसका फल भी अशुभता में तीन गुना वृद्धि करता है. इस शुभ योग में अक्षय तृतीया पर अगर आप धार्मिक कार्य जैसे पूजा पाठ, पवित्र नदियों में स्नान, जप-तप और दान आदि कार्य करते हैं तो इसका शुभ फल का लाभ तीन गुना मिलेगा. इस शुभ योग में आप नया वाहन, जमीन व प्रॉपर्टी, आभूषण, कीमती वस्तु आदि खरीदना चाहते हैं तो यह तीन गुना लाभ देगा.

अमृत सिद्धि योग: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है. अक्षय तृतीया पर यह योग रात 11:24 मिनट से अगले दिन सुबह 5:48 मिनट तक रहेगा. जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, यह योग अमृत समान फल देता है और शास्त्रों में इसे अत्यंत शुभकारी माना गया है. साथ ही यह योग शुभता और असफलता का प्रतीक माना जाता है. अगर आप इस शुभ योग में कोई नया कार्य शुरू करना चाहते हैं या कोर्ट कचहरी का मामला शुरू हो रहा है तो यह योग शुभ फल प्रदान करेगा. कार्यों को सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए यह योग बहुत ही लाभकारी होता है. अक्षय तृतीया पर अगर आप कोई इस शुभ योग में धार्मिक कार्य करते हैं तो इसका फल अमृत समान मिलेगा.

आयुष्मान योग: 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग भी बन रहा है. भारतीय संस्कृति में जब बड़ों के चरण स्पर्श किए जाते हैं, तब काफी लोग कहते हैं आयुष्मान भव: अर्थात लंबी हो. आयुष्मान योग में अगर आप कोई कार्य कर रहे हैं तो उसका फल लंबे समय तक मिलता है या उसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है. अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग सुबह 9:26 मिनट तक रहेगा. इस दिन आयुष्मान योग में किए गए धार्मिक कार्य आयु बढ़ाने वाला माना जाता है. साथ ही कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण करता है. इस शुभ योग में पितरों को तर्पण व पितरों के नाम का दान करने से ऐश्वर्य, आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

रवि योग:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर रवि नामक शुभ योग भी बन रहा है. यह योग रात 11:24 मिनट से आरंभ होकर 23 अप्रैल की सुबह 5:48 मिनट तक रहेगा. रवि योग को ग्रहों के राजा सूर्य का पूर्ण आशीर्वाद होने के कारण इसे बहुत प्रभावशाली योग माना गया है. इस योग में किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान करता है. सूर्य की पवित्र ऊर्जा होने के कारण यह योग सभी दोषों का नाश करता है और अक्षय तृतीया पर इस योग के होने से यह बेहद कल्याणकारी माना गया है. इस योग में यात्रा करना, नए कार्य का प्रारंभ, गृह प्रवेश विवाह आदि मांगलिक कार्य करना बेहद शुभ माना गया है. यह योग खुशी प्रदान करता है और भाग्य के दरवाजे खोलता है.

सौभाग्य योग:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर इन सभी योग के साथ सौभाग्य योग भी बन रहा है. सौभाग्य योग अर्थात सदा मंगल करने वाला योग. जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह योग भाग्य में वृद्धि करता है और खुशी व समृद्धि प्रदान करता है. अक्षय तृतीया पर सौभाग्य योग सुबह 9:36 मिनट से से पूरी रात तक रहने वाला है. इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहता है. यह योग जीवन में मंगल प्रदान करता है और धार्मिक कार्य करने से सभी पापों को नष्ट करता है. अक्षय तृतीया पर सौभाग्य योग में धार्मिक कार्य करने से ईश्वर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

खरीदारी का महापर्व:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि तृतीया को जया तिथि कहा जाता है. यानी जीत देने वाली. यही वजह है कि इस तिथि में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं. यानी उनका अक्षय फल मिलता है. तृतीया मां गौरी की तिथि है. जो बल-बुद्धि वर्धक मानी गई हैं. ये आरोग्य देने वाली होती है. इस तिथि में किए गए कामों से सौभाग्य वृद्धि होती है. इसमें इच्छित आभूषण की खरीदी और शुभ काम करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है. इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है और इसी वजह से इस दिन की गई खरीदारी सुख और समृद्धि देने वाली होती है.

स्थायी समृद्धि का प्रतीक:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर खरीदी ज्वेलरी और सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक है. इस दिन खरीदा और पहना गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक होता है. इस दिन शुरू किए किसी भी नए काम या किसी भी काम में लगाई पूंजी में लंबे समय तक फायदा होता है. माना जाता है कि इस दिन खरीदा सोना कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी खुद उसकी रक्षा करते हैं.

भगवान विष्णु के अवतार परशुराम:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराने समय में वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर विष्णु जी के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. परशुराम जी चिरंजीवी (अमर) हैं, इस कारण इस तिथि को चिरंजीवी भी कहा जाता है. इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर हुए थे.

करें विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी का अभिषेक करना चाहिए. सबसे पहले गणेश पूजन करें. इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें. इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र, हार-फूल, इत्र चढ़ाएं. खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाकर आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें.

करें ये शुभ काम:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं. पूजा करें. किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें.  अक्षय तृतीया की शाम शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें. शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. बिल्व पत्र, हार-फूल, आंकड़े के फूल और धतुरे से शिवलिंग का श्रृंगार करें.

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि राशि के अनुसार करें इन चीजों का दान...

मेष- इस राशि के जातकों को अक्षय तृतीया के दिन जौ या जौ से बने पदार्थ, सत्तू और गेहूं का दान करना चाहिए.

वृषभ- अक्षय तृतीया के दिन वृषभ राशि के जातकों को  ग्रीष्म ऋतु के फल, जल से भरी तीन मटकी और दूध का दान करना चाहिए.

मिथुन- इस राशि के लोगों को अक्षय तृतीया के दिन ककड़ी, खीरा, सत्तू और हरी मूंग का दान मंदिर में जाकर करना चाहिए.

कर्क- अक्षय तृतीया के दिन कर्क राशि के लोगों को जल से भरी एक मटकी, दूध और मिश्री किसी साधु को दान करना चाहिए.

सिंह- इस राशि के जातक अक्षय तृतीया के दिन सत्तू, जौ और गेहूं में से किसी एक पदार्थ का दान मंदिर में जाकर करें.

कन्या- कन्या राशि वालों को अक्षय तृतीया के दिन ककड़ी, खीरा और तरबूज का दान करना चाहिए.

तुला- इस राशि के लोगों को इस शुभ दिन पर मजदूरों या राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए. साथ ही किसी गरीब व्यक्ति को जूते-चप्पल दान करना चाहिए. इससे ग्रह दोष कम होते हैं.

वृश्चिक- इन राशि के जातकों को किसी गरीब व्यक्ति को जल से भरा पात्र, छाता या पंखा दान करना चाहिए. इससे आप अपने कष्टों से राहत महसूस करेंगे.

धनु- धनु राशि वालों को इस दिन बेसन से निर्मित पदार्थ, चने की दाल, मौसमी फल या सत्तू में से किसी भी एक पदार्थ का दान करना चाहिए. 

मकर- मकर राशि वालों को आज जल से भरी मटकी, दूध और मीठे पदार्थ गरीबों को दान करना चाहिए.

कुंभ- कुंभ राशि के लोग अक्षय तृतीया के दिन  जल से भरा मटका, मौसमी फल तथा गेहूं किसी गरीब व्यक्ति को दान करें.

मीन- इस राशि के जातकों को चार हल्दी की गांठ ब्राह्मण को दान स्वरूप देना चाहिए. बेसन से निर्मित पदार्थ और सत्तू मंदिर में दान करें.