VIDEO: मानेसर कांड को भुलाकर आगे बढना चाहते हैं अशोक गहलोत, सचिन पायलट से अब किसी तरह की दूरियों से किया इनकार, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत की राजनीति ने अब नई करवट ले ली है. कांग्रेस की गुटबाजी और सियासी खींचतान के बीच मुख्यमंत्री का तीसरा कार्यकाल पूरा करने वाले गहलोत अब सचिन पायलट से विवाद को भूल गए हैं और मानेसर घटनाक्रम को भी इतिहास बता दिया है. गहलोत ने साफ कर दिया है कि अगर आगे बढ़ना है, तो पुरानी बातों को भूलना होगा. गहलोत पिछले एक महीने में 10 जिलों के दौरे कर चुके हैं और उनकी सक्रियता को कांग्रेस की राजनीति की नई करवट माना जा रहा है. 

राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका बदल गई है. दिसंबर 2023 से पहले कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी की भूमिका में थी, तो अब विपक्ष को रोल अदा कर रही है. इस बदलाव के साथ ही कांग्रेस की सियासत भी बदलने लगी है और वरिष्ठ नेताओं की रणनीति भी. पांच साल पहले की बात करें, तो कांग्रेस के विधायकों ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट के नेतृत्व में बगावत कर दी थी. इसके बाद अगले तीन साल तक कांग्रेस दो गुटों में बंट गई और दोनों गुट के कांग्रेसी नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे. लेकिन अब स्थितियां बदल गई है. कुछ दिनों पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अशोक गहलोत के घर पहुंचे और तब से ही रिश्तों में बर्फ पिघलने शुरू हो गई. अब अशोक गहलोत ने भी सक्रियता के बीच नई करवट ली है. अब तो कई मौकों पर मानेसर कांड को याद करने वाले अशोक गहलोत कहते हैं कि अब  भाई, हर घटनाक्रम को मैं याद ही रखता रहूं, तो फिर दूसरा काम कैसे करेंगे हम? हमें आगे भी तो काम करना है, तो पुरानी बातें भूलनी पड़ती हैं. सबको मिलकर आगे बढ़ना पड़ता है. देशहित में तो यही है.

गहलोत का यह बयान उनकी राजनीति की बदलती करवट को दर्शाता है, जहां वे पुराने विवादों को पीछे छोड़कर पार्टी में एकता का संदेश देना चाहते हैं. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस में अब कोई गुटबाजी नहीं है और सभी को मिलकर देशहित में काम करना चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने गुटबाजी की खबरों को मीडिया की उपज करार दिया. जब गहलोत से पूछा गया कि क्या सचिन पायलट से दूरिया खत्म हो गई है, तो उन्होंने कहा कि अब कोई दूरिया नहीं, सब समाप्त हो चुकी है , अब अगर आप लोग अब भी बोलोगें तो समझूंगा कि यह मीडिया की उपज है, हमारे हिसाब से कोई दूरिया नहीं हैं, कोई मतभेद नहीं है, कोई गुटबाजी नहीं हैं. हमारे ऊपर कृपा रखो.

सवाल तो इस बारे में भी उठा कि गहलोत के समर्थक पायलट की फोटो पोस्टर में नहीं लगाते और पायलट के समर्थक गहलोत की तस्वीर से खुश नहीं होते. तो गहलोत ने कहा कि यह छोटी बातें मत करो, इतने पोस्टर जिदंगी भर लगे हैं, अब नही लगें तो क्या फर्क पड़ जाता है. कार्यकर्ता का मन है कि किसी का फोटो लगा दे, किसी का नहीं  लगाए. गहलोत बोले मैं फोटों के चक्कर में नही पड़ता. सचिन पायलट व मानेसर कांड को लेकर गहलोत के नए बयान से राजनीति गलियारों में चर्चा है कि  गहलोत की यह रणनीति राजस्थान में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा मानी जा सकती है. उनकी सक्रियता से सियासी हलकों में चर्चा है कि गहलोत अब भी पार्टी की रीढ़ हैं. गहलोत के ताजा बयान पार्टी में संतुलन बनाए रखने और आलाकमान के प्रति वफादारी दिखाने का प्रयास है.