जयपुरः उपचुनाव की जंग में कांग्रेस पार्टी भाजपा के मुकाबले प्रचार में फिलहाल काफी पिछड़ी नजर आ रही है. चुनाव प्रचार में अब महज अब 6 दिन शेष है लेकिन कांग्रेस खेमे में कोई खास जोश औऱ अग्रेसन नजर नहीं आ रहा. दिग्गजों ने भी अभी तक प्रचार से दूरी बना रखी है. अभी तक पायलट,डोटासरा,गहलोत औऱ जूली जैसे दिग्गजों ने सिर्फ एक-या दो ही चुनावी सभाएं की है.
राजस्थान में सात सीटों पर एक साथ विधानसभा उपचुनाव हो रहे है. 11 नवंबर को चुनावी शोऱ थम जाएगा. ऐसे में अब प्रचार में केवल 6 दिन शेष रह गए है. लेकिन उसके बावजूद चुनावी माहौल ठंडा नजर आ रहा है. खासतौर से कांग्रेसी खेमें में कोई खास हलचल नहीं देखी जा रही. अपनी चार मौजूदा सीटों पर वापस जीत दर्ज करने के लिए जो उत्साह कांग्रेस में होना चाहिए था वह कहीं नजर फिलहाल तो नहीं आ रहा. दिग्गज नेताओं ने अभी तक तो नाम मात्र की सभाएं की है.
सचिन पायलट ने सिर्फ दौसा सीट पर एक दिन प्रचार किया
गहलोत,पायलट औऱ जूली ने दौसा और देवली-उनियारा में एक-एक सभाएं की है
झुंझुनूं,खींवसर,रामगढ़,चौरासी और सलूंबर में गहलोत,पायलट और डोटासरा अभी एक बार भी नहीं गए
टीकाराम जूली ने सिर्फ रामगढ़ में कर रखा है फोकस
पहले उम्मीद थी कि दिवाली का त्यौहार समाप्त होते ही कांग्रेस के दिग्गज नेता ताबड़तोड़ और एकसाथ प्रचार करेंगे. लेकिन अभी तक दिग्गजों के प्रचार ने रफ्तार नहीं पकड़ी है. वहीं एक मंच पर एक साथ दिग्गजों के प्रचार करने के भी अब कोई आसार नजर नहीं आ रहे. क्योंकि पायलट कल छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहेंगे तो वहीं गहलोत पिछले चार दिन से महाराष्ट्र के दौरे पर है. ताज्जुब की बात है कि अब महज 6 दिन में 7 सीटों पर कैसे कांग्रेस प्रचार को पंख लगाएगी. नेताओं के अलग-अलग प्रचार करने पर गोविंद डोटासरा का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है और कांग्रेस एकजुट है.
उम्मीदवार चयन के बाद कांग्रेस के प्रचार और रणनीति को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में हो रही है. हालांकि कांग्रेस को तीन सीटें चौरासी,सलूंबर औऱ खींवसर पर ज्यादा उम्मीदें नहीं दिख रही, इसलिए यहां ज्यादा एनर्जी भी नहीं लगा रही. लेकिन शेष अपनी चार मौजूदा सीटों को वापस जीतने की ललक भी कांग्रेस में दूर-दूर तक नहीं दिख रही. इसकी बड़ी वजह है गुटबाजी से कांग्रेस अब भी बाहर नहीं निकल पाई है. लिहाजा कांग्रेस के लिए रिजल्ट अगर चौंकाने वाले आए तो इसमें कोई अचंभे की बात नहीं होगी.