जयपुरः टोंक रोड और महल रोड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क को पूरी तरह दो सौ फीट चौड़ा करने के मामले में अब राज्य सरकार के स्तर पर फैसला होगा. उसके बाद ही जयपुर विकास प्राधिकरण प्रभावितों को मुआवजा देगा और सड़क को चौड़ा कर पाएगा.
टोंक रोड को महल रोड से सीधे जोड़ने वाली यह सड़क करीब पांच से छह किलोमीटर लंबी है. यह सड़क टोंक रोड पर सांगानेर चौराहे से शुरू होकर महल रोड पर सात नंबर बस स्टैण्ड तक जाती है. इस सड़क को पूरी तरह दो सौ फीट चौड़ा करने का मामला पिछले कई वर्षों से लंबित है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इस सड़क के मौके के हालात क्या है
-मास्टर प्लान की यह दो सौ फीट चौड़ी सड़क सांगानेर चौराहे से कुछ दूरी तक सकड़ी है
-यहां से लेकर करीब 12 सौ से 13 सौ मीटर की लंबाई में यह सड़क मौके पर 60 से 80 फीट चौड़ी है
-इसके बाद करीब साढ़े सात हजार वर्गगज निजी खातेदारी की भूमि के कारण यह सड़क बंद हो जाती है
-इस निजी खातेदारी भूमि के काफी हिस्से पर निर्माण है,जिसके चलते सड़क मौके पर बंद हो जाती है
-इस भूमि के पीछे के हिस्से से लेकर महल रोड तक यह सड़क मौके पर 200 फीट चौड़ी है
-यह सड़क टोंक रोड पर दुर्गापुरा और उससे भी आगे दोनों तरफ के इलाको को महल रोड से सीधे जोड़ती है
-इसी तरह महल रोड पर सात नंबर बस स्टैण्ड,खो नागोरियान और मालवीय नगर तक के इलाकों को टोंक रोड से जोड़ती है
-इस सड़क का आवासन मंडल की प्रताप नगर योजना व आस-पास की कई कॉलोनियों से भी सीधा जुड़ाव है
-शहर के इतने सारे इलाकों से कनेक्टिविटी के चलते इस सड़क पर यातायात का दबाव बहुत अधिक रहता है
-लेकिन बीच में जहां यह सड़क बंद हो जाती है वहां से वाहन चालकों को कॉलोनी की सकड़ी सड़क में से होकर गुजरना पड़ता है
-इसके चलते वाहन चालकों को तीन सौ से चार सौ मीटर की दूरी में बहुत कम चौड़ी सड़क से गुजरना पड़ता है
-पीक आवर्स सुबह और शाम के समय तो यहां यातायात का भारी दबाव हो जाता है
टोंक रोड व महल रोड को जोड़ने वाली यह अहम सड़क अब जेडीए और राज्य सरकार की प्राथमिकता में आ गई है. जेडीए आयुक्त आनंदी ने पद भार संभालते ही अभियंताओं की ली पहली बैठक में यह प्राथमिकता स्पष्ट भी कर दी थी. जेडीए आयुक्त आनंदी ने इस सड़क को पूरी तरह दो सौ फीट चौड़ा करने के उस बैठक में निर्देश दिए थे. आपको बताते हैं कि आखिर क्यों जेडीए और राज्य सरकार की प्राथमिकता में है यह सड़क-
-राजधानी के सांगानेर स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का टर्मिनल 1 इसी सड़क पर सांगानेर चौराहे से आगे स्थित है
-सड़क का जो हिस्सा मौके पर 60 से 80 फीट ही चौड़ा है, वहीं उसी हिस्से में टर्मिनल 1 का गेट खुलता है
-27 अक्टूबर से यह टर्मिनल 1 शुरू होने वाला है
-27 अक्टूबर से इसी टर्मिनल से ही अंतराष्ट्रीय उड़ानें संचालित होंगी
-इस लिहाज से इसी टर्मिनल से विदेश जाने वाले यात्रियों का आवागमन होगा
-इसके चलते एयरपोर्ट प्रबंधन राज्य सरकार से कई बार इस सड़क को दो सौ फीट चौड़ा करने की मांग करता रहा है
-वहीं दूसरी तरफ इसी 9 दिसंबर से राज्य सरकार राइजिंग राजस्थान इनवेस्ट समिट का आयोजन करेगी
-समिट में आने वाले विदेशी मेहमानों का भी आवागमन इसी सड़क से होगा
-यही कारण है कि सड़क को 200 फीट चौड़ा किया जाना जेडीए व राज्य सरकार की प्राथमिकता में है
वाहनों के अत्यधिक दबाव और मौजूदा आवश्यकता को देखते हुए सड़क इस की बोटल नेक को चौड़ा करना जरूरी है. लेकिन इसे चौड़ा करने के लिए सबसे पहली आवश्यकता सड़क की दो सौ फीट की सीमा में आ रहे निर्माणों को हटाना है. इन निर्माणों को हटाने के लिए जेडीए को इनका पुनर्वास करना पड़ेगा. आपको बताते हैं कि पुनर्वास को लेकर किस तरह पेच अटका हुआ है और इस अटके पेच को सुलझाने के लिए जेडीए क्या करेगा.
-जेडीए ने पूरी सड़क का पीटी सर्वे करा लिया है
-इसके मुताबिक करीब 75 दुकानें और 10 से 15 मकान सड़क की दो सौ फीट की सीमा के दायरे में हैं
-सड़क के दायरे में आ रहे निर्माणों का मौके पर लाल निशान लगाकर जेडीए ने डिमार्केशन कर लिया है
-वर्ष 2013 में इस सड़क को दो सौ फीट चौड़ा करने की कवायद शुरू की गई थी
-सड़क के दायरे में आ रहे निर्माणों के मुआवजे के निर्धारण के लिए जेडीए सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित हुई थी
-इस कमेटी ने मुआवजे को लेकर 24 मई 2013 को फैसला किया था
-इस कमेटी ने तय किया था कि प्रभावित व्यक्ति का जितनी भूमि पर निर्माण है और निर्विवाद कब्जा है
-उस व्यक्ति को उतनी ही भूमि का अन्यत्र आवंटन किया जाएगा
-सड़क से प्रभावित अधिकतर निर्माण सोसायटी के भूखंडों पर बताए जा रहे हैं
-मौजूदा सरकार ने 12 जुलाई 2024 को अवाप्ति के बदले मुआवजे की नई नीति लागू की थी
-इस नीति में सोसायटी के भूखंडों के मामले में मुआवजे का कोई प्रावधान नही हैं
-ऐसे में जेडीए के सामने असमंजस की स्थिति हैं
-इसलिए जेडीए इन सभी तथ्यों के साथ मुआवजे का निर्धारण के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेगा
-राज्य सरकार ही मामले में तय करेगी कि प्रभावितों को क्या मुआवजा दिया जाना है
-इस पूरे मामले में एक पेच और है जो बीच में आ रही निजी खातेदारी की भूमि से जुड़ा है
-इस भूमि के एक हिस्से पर सोसायटी के काटे गए 15 में से 9 भूखंडों का जेडीए पहले मुआवजा दे चुका है
-जबकि खातेदार ने भूमि की की गई 90 बी को निरस्त करा दिया था
-पुराने जानकारों के अनुसार जेडीए ने सोयायटी के भूखंडों का मुआवजा हाईकोर्ट के आदेश पर दिया था
-इस तरह जेडीए 9 भूखंडों के मामले में करीब 1890 वर्गगज भूमि का मुआवजा पहले दे चुका है
-जबकि खातेदार की मांग रही है कि उसे इस भूमि का भी मुआवजा दिया जाए
-ऐसे में एक ही जमीन का जेडीए दो बार मुआवजा नहीं दे सकता है
-इसी लिहाज से जेडीए अधिकारी खातेदार के साथ आपसी समझाइश की कवायद में लगे हुए हैं