प्रधानमंत्री की ‘जिद’ के कारण हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में हारी भाजपा - गहलोत

जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी ‘जिद’ के कारण ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

उन्होंने यह दावा भी किया कि अभी और राज्यों में भाजपा की सरकारें जांएगी, क्योंकि लोकतंत्र में क‍िसी की जिद नहीं चलती. गहलोत यहां इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के प्रथम चरण की शुरुआत के अवसर पर ‘राज्य स्तरीय लाभार्थी उत्सव’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. राज्‍य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा क‍ि उनकी सरकार ने इतना बड़ा फैसला मानवीय दृष्टिकोण से पारित किया.

उनका कहना था, ‘‘ये जो स्वास्थ्य का अधिकार कानून हमने पारित किया है, भारत सरकार को चाहिए कि वह इसकी समीक्षा करवाए. प्रधानमंत्री मोदी को मैं इस मंच से कहना चाहूंगा ... लोकतंत्र में जिद का कोई स्थान नहीं होता है. प्रधानमंत्री जिद्दी हैं, वे एक बार जो सोच लेते हैं उसी पर अड़े रहते हैं.’’ गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की प्रतिक्रिया के आधार पर यह देखना चाहिए कि जनता क्‍या चाहती है और उसी के अनुसार अपने दिमाग में बदलाव करते रहना चाहिए.

गहलोत ने राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री के साथ हुई एक बैठक का जिक्र किया. उन्‍होंने कहा कि इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्‍यमंत्री (जयराम ठाकुर) ने प्रधानमंत्री से राजस्‍थान सरकार के ओपीएस संबंधी फैसले का जिक्र किया था. गहलोत ने कहा कि हिमाचल के (तत्कालीन) मुख्‍यमंत्री ने तब प्रधानमंत्री को ठीक सलाह दी थी कि वह उन्हें भी राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री की तरह ओपीएस का फैसला करने दें, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि यह फैसला उचित नहीं है.

 

लोकतंत्र में जिद किसी की नहीं चलती:
गहलोत के अनुसार, ‘‘मैंने उस समय कहा था... प्रधानमंत्री जी आप जरा इसकी समीक्षा तो करवा लीजिए. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा.. नहीं, नहीं मैं समीक्षा करवा चुका हूं.’’ गहलोत ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जिद पर अड़े रहे, जिद्दी हैं. आज देख लीजिए कि वो जिद क्‍या काम आई ... सरकार चली गई हिमाचल में. सरकार चली गई कर्नाटक में. एक के बाद एक और सरकारें जाएंगी. लोकतंत्र में जिद किसी की नहीं चलती. लोकतंत्र में घमंड किसी का नहीं चलता.’’ गहलोत ने आगे कहा, ‘‘लोकतंत्र में (मतदाताओं) को झुक-झुक कर प्रणाम करना पड़ता है. लोकतंत्र में जनता माई-बाप है. प्रधानमंत्री के दिलो दिमाग में भी ये बदलाव होना चाहिए.’’ राजस्थान में मुख्य विपक्षी भाजपा पर निशाना साधते हुए गहलोत ने कहा कि पार्टी की स्थिति "चिंताजनक" है क्योंकि राज्य सरकार के कामों के कारण पार्टी के पास सरकार के खिलाफ कहने के लिए कुछ नहीं है.

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं आगे भी जारी रहेंगी: 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं और कार्यक्रम चुनावी घोषणाएं नहीं, बल्कि स्थायी हैं और आगे भी जारी रहेंगी. इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत राज्‍य सरकार का उद्देश्य लक्षित परिवारों को 500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्‍ध करवाना है. गहलोत ने सोमवार को बटन दबाकर योजना के प्रथम चरण को शुरू किया और 14 लाख लक्षित उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सब्सिडी सीधे अंतरित की. राज्‍य सरकार का लक्ष्य इस योजना के तहत 76 लाख परिवारों को 500 रुपये में गैस सिलेंडर मुहैया करवाना है. गहलोत ने कहा कि राज्य में लागू की जा रही जनकल्याणकारी योजनाएं 'रेवड़ियां' नहीं हैं जैसा कि विपक्ष द्वारा प्रचारित किया जा रहा है.

विपक्षी दल के पास सरकार के खिलाफ कहने के लिए कुछ नहीं:
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासन में हुए विकास कार्यों के कारण विपक्षी दल के पास सरकार के खिलाफ कहने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा की सोच दिवालियापन की है. उन्‍होंने कहा कि वे हमेशा कहते हैं क‍ि राजस्‍थान (सरकार की कल्याणकारी) योजनाओं से देश दिवालिया हो जाएगा. .... देश दिवालिया नहीं हो जाएगा भाजपा दिवालिया हो जाएगी. इसलिए जिस प्रकार की उनकी सोच है वह दिवालियेपन की सोच है.

किसी भी सरकार को पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को बंद नहीं करना चाहिए:
गहलोत ने कहा किसी भी सरकार को पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को बंद नहीं करना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को नहीं रोका बल्कि उसका काम आगे बढ़ाया. गहलोत ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की ताकि यह कम समय में पूरी हो सके. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद किया और कहा कि वह वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को लेकर चिंता जताने वाली पहली नेता थीं. सोर्स- भाषा