वेतन विसंगति परीक्षण कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का मामला, नाराज कर्मचारी आंदोलन की राह पर

जयपुरः भजनलाल सरकार ने 1 सितंबर से वेतन विसंगति परीक्षण कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की बजट घोषणा की थी. इसे लागू करने का कर्मचारियों का बड़ा वर्ग मांग कर रहा है. लगातार लंबे इंतजार के बाद सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्टों को सार्वजनिक न करने से नाराज कर्मचारी अब इन मुद्दों को लेकर आंदोलन की राह पर है. 

इस बार के बजट में जब भजनलाल सरकार ने खुद आगे बढ़कर वेतन विसंगति परीक्षण कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की तो कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई. इसके बाद अभी तक इसे लेकर कोई कार्यवाही नहीं होने से कर्मचारी मायूस हैं. 

सामंत कमेटी
राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 को लागू किए जाने के बाद राज्य कर्मचारी संघों से वेतन विसंगति व वेतन सुधार संबंधी ज्ञापन समय समय पर राज्य सरकार को प्राप्त होते रहें हैं. 
इन प्रतिवेदनों का परीक्षण करने के लिए  3 नवंबर, 2017 को डी.सी. सामंत (सेवानिवृत आईएएस) की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया गया था.
इस समिति ने 5 अगस्त, 2019 को राज्य सरकार को अपनी सिफारिश रिपोर्ट प्रस्तुत की. यह रिपोर्ट राज्य सरकार में परीक्षणाधीन हैं. 
सामंत कमेटी ने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से कई दौर की बैठकें कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

खेमराज कमेटी
इसी तरह कर्मचारियों की वेतन विसंगति व वेतन सुधार को लेकर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 5 अगस्त, 2021 को खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण समिति का गठन किया.

समिति की ओर से विभिन्न कर्मचारी संगठनों, विभागों से वेतन विसंगति व वेत सुधार के संबंध में प्रस्तुत ज्ञापनों सहित अन्य मांगों का परीक्षण किया गया. समिति ने 30 दिसंबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दी. यह रिपोर्ट भी राज्य सरकार में परीक्षणाधीन है.

क्या हैं विसंगतियां ?
कर्मचारियों के अनुसार वेतन विसंगति में सबसे मुख्य यह है कि एक ही भर्ती प्रक्रिया में चयनित होते है, लेकिन वेतन और पदोन्नति में विसंगति है. सचिवालय में 4200 और सचिवालय के बाहर चयनित कर्मचारियों को 3600 वेतन श्रृंखला मिलती है. इसी तरह केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के वेतन को लेकर दोहरी प्रक्रिया बनी हुई है. गहलोत सरकार में हालांकि एसीपी संबंधी घोषणा से मामूली राहत मिली,लेकिन इससे मूल समस्या दूर नहीं हुई. 

ये हैं प्रमुख मांगें
खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करके लागू करने की मांग. 
सामंत कमेटी की भी सिफारिशों को उजागर करके लागू करने की मांग. 
ठेका प्रथा बंद करके सरकारी कंपनी का गठन किया जाए और इन कर्मियों को इस कंपनी के कर्मी बनाकर उन्हें जरूरी सुविधाएं दी जाएं. 
संविदा कर्मियों को या तो नियमित करने की मांग.
आंगनबाड़ी कर्मियों,जनता जल कर्मियों को वैसे ही नियमित करने की मांग जिस तरह से पूर्व में अस्थायी कर्मियों को नियमित किया गया था. 
चयनित वेतनमान (एसीपी) का लाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर पदोन्नति पद के सामान देने, 
ग्रामीण कर्मचारियों को ग्रामीण भत्ता देने की मांग. 
राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स- 2022 बनाए हैं लेकिन इसकी विसंगति दूर नहीं की है. 
इसके मुताबिक कर्मचारी नियमित कर्मचारियों के बजाय कांट्रेक्चुअल नियमित कर्मचारियों के रूप में अलग से पहचाने जाएंगे और उनके वेतनमानों में भी नियमित कर्मचारियों की तुलना में काफी भिन्नता होगी.
विभिन्न संवर्गों के पदनाम परिवर्तन सहित उनके सेवा नियम बनाने की मांग. 
सचिवालय में AS/PA-PS कैडर अलग करने संबंधी नियम संशोधन के अनुमोदन की मांग

पूर्व में इन मांगों को लेकर वित्त विभाग ने एक्सरसाइज की थी,लेकिन कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाईं. वहीं यह भी पसोपेश है कि गहलोत सरकार में बनी खेमराज कमेटी की रिपोर्ट क्या भाजपा सरकार लागू करेगी और अगर सामंत कमेटी की रिपोर्ट लागू की गई तो खेमराज कमेटी की रिपोर्ट का क्या होगा जिसमें कई तरह की विसंगतियों को लेकर काम किया गया था.