जयपुरः राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को छत्तीसगढ़ में आवंटित खदानों से छबड़ा थर्मल पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति में पेंच फसता दिखाई दे रहा है. कोयला मंत्रालय ने प्लांट के विस्तार के लिए नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन यानी एनटीपीसी के साथ किए गए ज्वाइंट वेंचर पर आपत्ति जताई है, साथ ही इस कवायद में कम्पनी के प्रबन्धन में बदलाव को देखते हुए कोयला आपूर्ति करने से इनकार किया है. आखिर क्या है हमारे कोयले की आपूर्ति में पेंच और उसके समाधान के लिए उत्पादन निगम के प्रयास.
दरअसल, राजस्थान में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए छबड़ा थर्मल पावर प्लांट के विस्तार के लिए उत्पादन निगम ने एनटीपीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाया है. प्लांट की अभी 2320 मेगावाट क्षमता है, जिसमें 660-660 मेगावाट की दो यूनिटें और लगाकर प्लांट की क्षमता को 3640 मेगावाट किया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए उत्पादन निगम व एनटीपीसी की तरफ से 50:50 फीसदी हिस्सेदारी को सुरक्षित करते हुए एक नई कम्पनी का गठन किया जाएगा. कोयला मंत्रालय ने इस कवायद को ही गलत माना है.
वित्तीय दिक्कतों के समाधान के लिए ज्वाइंट वेंचर !
छबड़ा पावर प्लांट की क्षमता में 1320 मेगावाट के विस्तार की कवायद
अभी प्लांट की क्षमता 2320 मेगावाट, जिसमें नई कंपनी बनाएगी 660-660 मेगावाट की दो नई यूनिटें
ज्वाइंट वेंचर में गठित नई कम्पनी में उत्पादन निगम और एनटीपीसी की 50:50 प्रतिशत रखी गई हिस्सेदारी
इसके पीछे कारण ये है कि फिलहाल बिजली कम्पनियों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है
ऐसे में दोनों नई यूनिटों के लिए ज्वाइंट वेंचर पर ही काम करना किया गया तय
प्लांट में अभी हर वर्ष 70 लाख टन कोयला छत्तीसगढ़ से और 23 लाख टन कोयला कोयल इंडिया से आ रहा है
प्लांट के विस्तार के बाद 120 लाख टन कोयला चाहिए, जिसके लिए 30 से 40 लाख टन कोयले की और दरकार
कोयला मंत्रालय ने अपनी आपत्ति में तर्क दिया है कि कोयले का आवंटन उत्पादन निगम को किया गया है. जबकि ज्वाइंट वेंचर में प्रशासनिक शक्तियां और नियंत्रण नई कम्पनी के पास आएगा, जिसके चलते शर्तों के मुताबिक कोयला नहीं दिया जा सकता है. कोयला मंत्रालय ने इन्हीं प्रावधानों की याद दिलाते हुए उत्पादन निगम के अनुरोध को नहीं माना है. इसके बाद उत्पादन निगम प्रबंधन से लेकर ऊर्जा विभाग तक में हलचल शुरू हो गई है. इस मामले में नई कंपनी के गठन से जुड़े प्रावधान खंगाले जा रहे हैं, ताकि दिल्ली में कोयला मंत्रालय के अफसरों के साथ बातचीत की जा सके. हालांकि, केन्द्र से लगातार मिल रहे सहयोग को देखते हुए अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही इस आपत्ति का हल निकल जाएगा.