सिटी बसों पर शिकंजा कसने की तैयारी, रूट से हटकर मनमानी से चल रही बस, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः आरटीओ प्रथम कार्यालय ने रूट से हटकर मनमानी से चल रही सिटी बसों पर शिकंजा कसने के लिए बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है, आने वाले दिनों में जयपुर RTO प्रथम की और से बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है 

विभागीय सर्वे और रैकी में सामने आया है कि करीब 1800 बसें निर्धारित रूट छोड़कर फैक्ट्रियों और कंपनियों के लिए चल रही हैं. इससे परिवहन विभाग को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है और आम जनता को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इन बसों के परमिट निलंबन के नोटिस जल्द जारी होने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है , परिवहन विभाग के मुताबिक, ये बसें ‘सिटी परमिट’ के नाम पर महज ₹4200 सालाना टैक्स भरती हैं, लेकिन असल में फैक्ट्रियों और कंपनियों में कॉन्ट्रैक्ट के तहत सेवाएं देती हैं. नियमानुसार, अगर कोई बस किसी फैक्ट्री या कंपनी के लिए नियमित रूप से चलती है तो उसे करीब ₹70,000 सालाना टैक्स जमा कराना होता है.विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस गड़बड़ी से हर साल विभाग को बड़े पैमाने पर राजस्व हानि हो रही है. साथ ही शहर के उन रूटों पर यात्रियों को बस सेवा नहीं मिल पा रही, जिनके लिए परमिट जारी किए गए थे.  

आरटीओ प्रथम कार्यालय में इस मुद्दे पर हाल ही में एक अहम बैठक आयोजित हुई जिसमें सिटी बस यूनियन के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया. बैठक में बसों को उनके निर्धारित रूटों पर ही चलवाने के लिए विस्तृत रणनीति पर चर्चा हुई.आरटीओ अधिकारियों ने यूनियन को चेतावनी भी दी कि नियमों का उल्लंघन बंद करें अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी. आरटीओ प्रथम ने डीटीओ प्रवर्तन रमेश पांडे को शहरभर में चल रही बसों का रूटवार सर्वे करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए चार टीमें गठित की गई हैं. यह टीमें सोमवार तक फील्ड में रहकर पूरी जांच करेंगी और मंगलवार को अपनी औपचारिक रिपोर्ट आरटीओ को सौंपेंगी. रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी कर परमिट निलंबन की कार्रवाई शुरू की जाएगी प्रारंभिक जांच (रैकी) में पता चला कि कई बसें सालों से निर्धारित रूट को पूरी तरह छोड़ चुकी हैं और केवल फैक्ट्रियों, कंपनियों और औद्योगिक क्षेत्रों में कर्मचारी ढोने का काम कर रही हैं आरटीओ राजेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि “यह न सिर्फ टैक्स चोरी है, बल्कि शहर के आम नागरिकों के हक का हनन भी है. जनता को तय रूट पर बसें नहीं मिलतीं और निजी वाहन बढ़ने से यातायात दबाव भी बढ़ता है.