जयपुरः राजस्थान में कोयले का संकट लगातार सर पर मंडराने लगा है. एक के बाद एक प्लांट में कोयले की किल्लत बढ़ने लगी है. झालावाड़ कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में भी कोयला संकट बना हुआ. प्लांट में अब 3 दिन का कोयला शेष रह गया है. करीब 35 हजार टन कोयला ही बचा है.
पावर प्लांट में प्रतिदिन 15 से 16 हजार टन कोयले की आवश्यकता है. कोयले की 4 रैक की जरूरत है. जबकि किल्लत में 2 रैक मिल कोयले की ही मिल पा रही है. छत्तीसगढ़ के परसा कांटा कॉल ब्लॉक से कोयला नहीं मिल रहा है. कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में 600-600 मेगावाट की दो यूनिट है. 1200 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है.
राजस्थान के पावर प्लांट्स में कोयले की किल्लत के बीच खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर देर रात दिल्ली पहुंचे. दिल्ली में उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री RK सिंह, कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की और राजस्थान के कोयला और बिजली संकट को लेकर विस्तार से चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री को बताया कि RVUNL के बिजलीघरों में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि रबी सीजन के कारण राज्य में बिजली की बढ़ी हुई मांग को देखते हुए उत्पादन निगम को प्रतिदिन 23 कोल रैक की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में कोल इंडिया लिमिटेड से औसतन 16.5 रैक प्रतिदिन की ही आपूर्ति हो पा रही है. इससे विद्युत उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. केन्द्रीय कोयला मंत्री ने प्रदेश की बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर अतिरिक्त कोयला आवंटन के लिए हरसंभव सहयोग करने के लिए आश्वस्त किया. केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात करके पीईकेबी के सैंकेड फेज से खनन करने में आ रही दिक्कतों का शीघ्र समाधान निकालने के लिए भी आश्वस्त किया.