जयपुर: कांग्रेस ने अपने छिटके आदिवासी वोट बैंक को फिर से पार्टी के पाले में लाने की कवायद शुरु कर दी हैं. इसके तहत कांग्रेस अब हाईकमान के निर्देशों पर वागड़ और उदयपुर अंचल में मिशन मोड़ पर काम करेगी. शुरुआत कल कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए होगी. बाद में लगातार आदिवासियों से जुड़े मुद्दे कांग्रेस मुखरता से उठाएगी. साथ ही आदिवासियों के घरों पर रात्रि विश्राम करने औऱ उनके साथ भोजन करने जैसे मूवमेंट भी शुरु करेंगे.
बाप पार्टी के बढ़ते जनाधार के चलते कांग्रेस के लिए वागड़ और उदयपुर अंचल में सियासी चुनौतियां अब काफी बढ़ चुकी है. आदिवासी वोट बैंक छिटकने के चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस काफी कमजोर रही. बाप पार्टी ने जबरदस्त कांग्रेस के परंपरागत आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाई. जिसके चलते आज भारत आदिवासी पार्टी के चार विधायक है और कांग्रेस पार्टी के पांच विधायक वहीं डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर भी बाप का कब्जा है. ऐसे में कांग्रेस थिंक टैंक का मानना है कि अगर समय रहते अब आदिवासी वोटर्स वापस कांग्रेस के पाले में नहीं आए तो फिर दिक्कते औऱ बढ़ सकती है. लिहाजा कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को फिर से रिझाने के लिए अब मिशन मोड़ पर काम शुरु करने का फैसला लिया है.
-कांग्रेस का मिशन आदिवासी वोट बैंक
-आदिवासी वोट बैंक को फिर से अपने पाले में लाने में जुटी कांग्रेस
-वागड़ और आदिवासी अंचल में कांग्रेस अब करेगी एक्टिव मोड़ में काम
-कल कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए होगा मिशन का आगाज
-सम्मेलन में रंधावा,डोटासरा औऱ जूली करेंगे आदिवासियों को संबोधित
-दरअसल भारत आदिवासी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक में लगाई बड़ी सेंध
-कांग्रेस के आज वागड़ में है केवल 5 विधायक
-एक दौर में वागड़ अंचल कांग्रेस का होता था मजबूत गढ़
-आदिवासियों के मुद्दें कांग्रेस अब प्रमुखता से सदन से लेकर सड़क तक उठाएगी
-जल,जंगल,जमीन,गरीबी,मूलभूत समस्याएं,रोजगार औऱ उद्योग से जुड़े मुद्दे उठाएगी कांग्रेस
-आदिवासियों के घरों पर रात्रि विश्राम करते हुए कांग्रेसी सुनेंगे उनका दर्द
-आदिवासियों के घरों पर खाना खाते हुए उनके हितेषी होने का देंगे संदेश
-हाईकमान ने इसके लिए राजस्थान कांग्रेस को दिए है खास निर्देश
दरअसल बाप पार्टी के अलावा कांग्रेस के लिए इस एरिया में मुश्किलें तब औऱ बढ गई जब कद्दावर नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय अचानक नाराज होकर पार्टी छोड़कर चले गए. यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि लंबे समय से पार्टी ने मालवीय को ही इस अंचल में सारी ताकत दे रखी थी. सैकंड लीडरशिप कांग्रेस में ऐसी नहीं थी जो आदिवासियों को प्रभावित कर सकती थी. ऐसे में एक नौजवान नेता राजकुमार रोत ने पार्टी बनाते हुए आदिवासी वोट बैंक का दिल जीत लिया. लिहाजा अब कांग्रेस थिंक टैंक को समझ में आ गया है कि जयपुर बैठकर आदिवासियों को नहीं लुभाया जा सकता इसलिए अब उनके बीच में जाने का फैसला लिया है.
आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के साथ ही कांग्रेस ने यहां अपनी नई लीडरशिप को भी तैयार करने की रणनीति बनाई है. जिसके तहत युवा नेता और विधायक गणेश घोघरा को पिछले दिनों आदिवासी कांग्रेस की कमान दी गई है. वहीं पार्टी के पास यहां दयाराम परमार,अर्जुन बामनिया,नानालाल निनामा और रमिला खड़िया जैसे बढे चेहरे हैं. अब देखते है कि अपने प्रयासों में कांग्रेस कितना कामयाब होती है और आदिवासी फिर से कांग्रेस पर कितना भरोसा करते हैं.