जयपुरः पूर्व चिकित्सा मंत्री के गृहजिले दौसा में "सिलिकोसिस" प्रमाण पत्र की आड़ के करोड़ों के "खेल" के मामले में अब चिकित्सा विभाग एक्शन मोड में आ गया है.प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही एकतरफ जहां फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले चिकित्सक व अन्य मेडिकल स्टॉफ पर कार्रवाई शुरू हो गई है, वहीं दूसरी ओर पुलिस में आपराधिक मामला भी दर्ज कराया जा रहा है.आखिर क्या है पूरा प्रकरण और चिकित्सा विभाग का एक्शन.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दौसा में "सिलिकोसिस" के फर्जी प्रमाण पत्र का खेल सामने आया था.तत्कालीन चिकित्सा मंत्री के गृह जिले का मामला होने के चलते अधिकारियों ने शुरूआती चरण में एक चिकित्सक समेत तीन लोगों को निलम्बित किया.इसके बाद सत्ता परिवर्तन के साथ ही जैसे ही पूरे मामले की जांच रिपोर्ट चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर तक पहुंची तो अब विभाग का बड़ा एक्शन शुरू हो गया है.विभाग ने हाल ही में 9 चिकित्सकों समेत 20 चिकित्सा कार्मिकों को एपीओ कर दिया है.इसके साथ ही दौसा, सीकर व चौमूं PMO को निर्देश दिए गए है कि सभी के खिलाफ FIR दर्ज कराई जाए.
करोड़ों के भ्रष्टाचार को लेकर दोषी चिकित्सकों को जारी होगी चार्जशीट:
-"सिलिकोसिस" प्रमाण पत्र की आड़ में करप्शन से जुड़ी खबर
-चिकित्सा विभाग ने दौसा, सीकर व चौमूं PMO को दिए निर्देश
-दोषी चिकित्सक व अन्य मेडिकॉज की चार्जशीट मुख्यालय भेजने के निर्देश
-पूरे घटनाक्रम में महुआ जिला अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा डॉ.दिनेश मीणा,
-रेडियोलॉजिस्ट सुरेश सैनी, रेडियोग्राफर लोकेंद्र सिंह को किया गया था निलंबित
-इस मामले में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देश पर सख्ती शुरू
-दौसा से डॉ.बत्ती लाल मीणा, डॉ.देवी नारायण शर्मा, डॉ.दिनेश कुमार,
-डॉ.मनोज कुमार, डॉ.प्रेम कुमार, डॉ.घनश्याम मीणा, सीकर से डॉ.प्रहलाद कुमार,
-चौमूं से डॉ.मान प्रकाश सैनी, भीलवाड़ा से डॉ.विजय प्रकाश समेत
-11 अन्य मेडिकॉज को हाल ही में किया है चिकित्सा विभाग ने APO
-इसके साथ ही दौसा, सीकर व चौमूं PMO को FIR दर्ज कराने के निर्देश
आखिर क्या है पूरा प्रकरण:
-दरअसल,"सिलिकोसिस" बीमारी होने पर मरीजों को दिए जाते 3 लाख रुपए
-इसके बाद यदि मरीज की होती है मौत, तो परिवार को दो लाख रुपए
-इसके साथ ही अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार रुपए की सहायता
-"सिलिकोसिस" मरीज को 1000 से 1500 रुपए तक पेंशन का भी प्रावधान
-अनुदान का फायदा लेने के लिए कई दलाल सक्रिय, जिन्होंने बोर्ड को किया मैनेज
-और फिर बगैर बीमारी के धड़ल्ले से बनवा लिए "सिलिकोसिस" प्रमाण पत्र
-इसमें एक ही एक्स-रे से कई मरीजों के जारी कर दिए गए प्रमाण पत्र