झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने कहा, दिव्यांगों को समान अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत

रांची: झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिव्यांगों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. उन्होंने द्वियांगों के लिए अधिक समावेशी वातावरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि उनकी प्रतिभा को विकसित करने के लिए आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षण और समर्थन उपलब्ध कराया जा सके. रांची में श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रतिभा शारीरिक और मानसिक सीमाओं से परे होती है. 

उन्होंने कहा कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम द्वियांगों के समक्ष मौजूद सभी बाधाओं को दूर करें और उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराएं, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ सकें. राधाकृष्णन ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने की दिशा में पहला कदम जागरूकता और समझ को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि दिव्यांगों ने रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए खेल से लेकर कला, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक, हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. हमने पैरालंपिक एथलीटों को शारीरिक चुनौतियों से पार पाकर उल्लेखनीय प्रदर्शन करते और अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचते देखा है. उनके दृढ़ संकल्प और अद्वितीय कौशल ने दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है. राज्यपाल ने कहा कि कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी दिव्यांगजनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. पेंटिंग, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य और कविता के माध्यम से उन्होंने अपनी उत्कृष्ट रचनात्मकता का प्रदर्शन किया है. उनके साहसिक दृष्टिकोण और अनुभव हमारे दिल को छू जाते हैं. राधाकृष्णन ने कहा कि विभिन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद दिव्यांगों ने अटूट समर्पण के साथ शिक्षा प्राप्त की है. 

उन्हें अपनी प्रतिभा और कौशल दिखाने के लिए उपयुक्त मंच एवं अवसर प्रदान करना आवश्यक है. ऐसा करके हम उनकी प्रतिभा को बढ़ावा दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि नया भवन दिव्यांगों की जरूरतों को पूरा करने की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह दिव्यांगों के लिए आशा, प्रगति और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है. मैं इस नेक कार्य के लिए संस्था के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं. राज्यपाल ने कहा, “मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि यह सहायता समिति जयपुर में वर्ष 1975 में शुरू की गई थी. पिछले 47 वर्षों में समिति ने देशभर में अपनी 30 से ज्यादा शाखाएं खोली हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर दिव्यांगों को जरूरी सहायता उपलब्ध कराई जा सके. इसके अलावा, दुनिया के 35 देशों में भी इस समिति द्वारा दिव्यांगों को जरूरी मदद मुहैया कराई जा रही है, जिसमें कृत्रिम अंग, व्हीलचेयर, ट्राई-साइकिल, बैसाखी व अन्य सामग्री शामिल है. सोर्स- भाषा