नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुजरात में समुद्री चक्रवात बिपारजॉय के संभावित खतरे को देखते हुए तटीय क्षेत्रों से लगभग एक लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ सहित अन्य एजेंसियां यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही हैं कि चक्रवात से जान-माल का कम से कम नुकसान हो.
करवाल ने कहा कि चक्रवात के मद्देनजर मछली पकड़ने वाली नौकाओं को तटों पर खड़ा कर दिया गया है, बड़े जहाजों को गहरे समुद्र में भेज दिया गया है, चार हजार से अधिक होर्डिंग को हटा दिया गया है और नमक मजदूरों एवं गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है.एनडीआरएफ महानिदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने देश के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में अपनी 15 टीम को अलर्ट पर रखा है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें हवाई मार्ग से गुजरात व महाराष्ट्र लाया जा सके तथा प्रभावित क्षेत्रों में चक्रवात संबंधी राहत एवं बचाव कार्यों के लिए तैनात 33 दलों को मदद उपलब्ध कराई जा सके.
करवाल के मुताबिक, चक्रवाती तूफान की दस्तक और तेज हवाओं के साथ होने वाली भारी बारिश से गुजरात के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका के मद्देनजर राज्य में एनडीआरएफ के 18 दल तैनात किए गए हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बिपारजॉय के बृहस्पतिवार शाम अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं के साथ एक ‘बहुत गंभीर’ चक्रवाती तूफान (वीएससीएस)’ के रूप में जखौ बंदरगाह के पास टकराने का अनुमान है.करवाल ने गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा साझा की गई सूचना के आधार पर दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि राज्य के तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों से बृहस्पतिवार सुबह नौ बजे तक लगभग एक लाख लोगों को निकाला गया.
उन्होंने कहा कि गुजरात में त्वरित राहत अभियान चलाने के लिए हमने एनडीआरएफ के 18 दलों को तैयार रखा है.करवाल के मुताबिक, कच्छ जिले में एनडीआरएफ के सर्वाधिक चार दल तैनात किए गए हैं.उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार ने व्यापक निकासी अभियान चलाया है, जिसके तहत मछली पकड़ने वाली नौकाओं को तटों पर खड़ा कर दिया गया है और बड़े जहाजों को गहरे समुद्र में भेज दिया गया है, ताकि वे खगोलीय ज्वार से उठने वाली ऊंची लहरों से प्रभावित न हों.करवाल के अनुसार, अधिकारियों ने चार हजार से अधिक होर्डिंग को हटा दिया है, ताकि तेज हवाएं चलाने के दौरान उनके उखड़ने, हवा में उड़ने और लोगों को चोटिल करने का जोखिम टाला जा सके.
उन्होंने बताया कि नमक मजदूरों और गर्भवती महिलाओं को भी क्रमश: सुरक्षित आश्रय शिविरों और अस्पतालों में ले जाया गया है.करवाल ने कहा कि हमारा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि चक्रवात से जान-माल का कम से कम नुकसान हो. हमने अपनी कई टीम को पेड़ और खंभे काटने वाले कटर से लैस किया है, ताकि चक्रवात का प्रभाव खत्म होने के बाद संचार सेवाओं की जल्द से जल्द बहाली सुनिश्चित की जा सके.
एनडीआरएफ महानिदेशक ने कहा कि भारी बारिश के कारण कुछ निचले इलाकों को बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में इन इलाकों में फंसे लोगों को निकालने के लिए हमारी टीम के पास इन्फ्लेटेबल बोट (ऐसी नौकाएं, जिनका तत्काल हवा भरकर इस्तेमाल किया जा सकता है) होंगी.करवाल ने बताया कि उत्तर (बठिंडा, पंजाब), पूर्वी (मुंडली, ओडिशा) और दक्षिण (अराकोणम, चेन्नई) में एनडीआरएफ की पांच-पांच टीमों को तैयार रखा गया है तथा जरूरत पड़ने पर उन्हें भारतीय वायुसेना के विमान से तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि हमने जरूरत से ज्यादा तैयारी की है और सभी एजेंसियां जान-माल का कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से काम कर रही हैं.करवाल के अनुसार, गुजरात में जहां एनडीआरएफ की 18 टीमें तैनात की गई हैं, वहीं केंद्र-शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के दीव में एक दल को भेजा गया है.दीव उत्तर में गुजरात के गिर सोमनाथ और अमरेली जिलों से, जबकि बाकी तीन दिशाओं में अरब सागर से घिरा हुआ है. अधिकारियों ने बताया कि गुजरात के कच्छ जिले में एनडीआरएफ की चार, राजकोट और देवभूमि द्वारका में तीन, जामनगर में दो तथा पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, मोरबी, वलसाड व गांधीनगर में एक-एक टीमें तैनात की गई हैं. उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में एनडीआरएफ की कुल 14 टीम तैनात की गई हैं, जिसमें से पांच मुंबई में हैं, जबकि अन्य को अलर्ट पर रखा गया है. सोर्स भाषा