आरक्षण विधेयकों को मंजूरी में देरी, संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर सोमवार को राज्यपाल पर संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि क्या वह किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं. मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से एक दिन पहले, राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आरक्षण संशोधन विधेयकों की मंजूरी पर किए गए सवालों पर कहा था कि अब मार्च तक इंतजार कीजिए.

राज्य विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति में कथित देरी को लेकर दिसंबर से ही राजभवन और राज्य सरकार के मध्य टकराव ​की स्थिति है. रविवार रात में एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं ने राज्यपाल से आरक्षण विधेयकों पर उनकी सहमति को लेकर सवाल किया था तब राज्यपाल ने कहा था, अब इंतजार करिए मार्च का. इस मुद्दे पर राज्यपाल पर लगातार निशाना साध रहे बघेल ने उनके एक पंक्ति के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की और संवाददाताओं से कहा कि मार्च तक क्यों इंतजार करना चाहिए? क्या वह मुहूर्त देख रही हैं? यहां सब परीक्षाएं हो रही हैं. बच्चों को एडमिशन लेना है. व्यापमं की परीक्षाएं होनी हैं. पुलिस में भर्ती होनी है. शिक्षकों की भर्ती होनी है. हेल्थ में भर्ती होनी है. सारी भर्तियां रुकी हुई हैं. और वह रोके बैठी हैं.

बघेल ने कहा कि यह संविधान में प्राप्त अधिकारों को दुरुपयोग है. मार्च में ऐसा कौन का मुहूर्त निकलने वाला है जिसमें वह (विधेयक को मंजूरी देंगी) करेंगी. वह (आरक्षण संशोधन विधेयक) तो दिसंबर में पास हुआ है और अब तक वह रोके ​हुए बैठी हैं. भारतीय जनता पार्टी चुप है. भाजपा के इशारे पर इसे रोका जा रहा है. यह प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 पारित किया गया था.

इनमें राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 76 फीसदी रखा गया है. विधानसभा में विधेयकों के पारित होने के बाद राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया था. तब राजभवन ने राज्य सरकार से 10 सवाल किए थे, जिसका जवाब राज्य सरकार ने दिया है. राजभवन के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं.(भाषा)