जयपुर: धौलपुर प्रदेश का पांचवा टाइगर रिजर्व बन गया है. आज एनटीसीए से अंतिम मंजूरी मिलते ही प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई. अभी धौलपुर-करौली में करीब 8 बाघों का विचरण है. नए टाइगर रिजर्व के तौर पर अधिसूचित होने के साथ ही यहां तेजी से वन एवं वन्य जीव संरक्षण की दिशा में कार्य संभव होंगे. राजस्थान में एक ही वर्ष के अंतराल में रामगढ़ विषधारी और धौलपुर के तौर पर दो टाइगर रिजर्व अधिसूचित होने से राजस्थान की पहचान 'बाघस्थान' के तौर पर होने लगी है.
सीएम गहलोत के तीसरे कार्यकाल में वन और वन्य जीव संरक्षण को लेकर जबरदस्त काम हुए हैं. उसी का नतीजा है कि आज धौलपुर को प्रदेश के पांचवें टाइगर रिजर्व के तौर पर मंजूरी मिली. गहलोत के वर्तमान कार्यकाल में 1 वर्ष के अंतराल में रामगढ़ विषधारी और धौलपुर दो टाइगर रिजर्व बने हैं और बाघों की संख्या भी पहली बार 100 के पार पहुंची है. बाघों के लिए राजस्थान 'सेफस्थान' बन गया है. आज धौलपुर प्रदेश का पांचवा टाइगर टाइगर रिजर्व बन गया है.
एनटीसीए ने आज धौलपुर को बतौर टाइगर रिजर्व अंतिम मंजूरी दे दी है. अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल इस घोषणा से खासे उत्साहित नजर आते हैं. उनके कार्यकाल में जंगलात क्षेत्र में काफी नवाचार हुए हैं. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर के कार्यकाल में यह प्रदेश का दूसरा टाइगर रिजर्व बना है. तोमर के ही कार्यकाल में प्रदेश में 16 कंजर्वेशन रिजर्व भी घोषित किए गए हैं. तोमर को वन्य जीव संरक्षण की गहन जानकारी है और उनके नेतृत्व में ही डीसीएफ अनिल यादव और टीम में धौलपुर में शानदार काम किया है.
दरअसल, फर्स्ट इंडिया न्यूज़ सबसे पहले इस बात के संकेत दे चुका था कि जल्द ही धौलपुर को टाइगर रिजर्व के तौर पर घोषित किया जाएगा. दरअसल 7 फरवरी को एनटीसीए ने धौलपुर को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति दे दी थी लेकिन कोर क्षेत्र से संबंधित कुछ संशोधन प्रस्ताव तैयार करने को निर्देशित भी किया था. इसके बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर की अध्यक्षता वाली समिति ने संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर एनटीसीए को सौंपा था. अब इस प्रस्ताव के तकनीकी समिति में अनुमोदन के बाद प्रदेश के पांचवें टाइगर रिजर्व के तौर पर धौलपुर टाइगर रिजर्व की मंजूरी दे दी गई.
दरअसल, 7 फरवरी को हुई तकनीकी समिति की बैठक में प्रस्ताव को "सैद्धांतिक" अनुमोदन के साथ इस शर्त के साथ स्वीकार किया गया था कि राजस्थान वन विभाग उपयुक्त नक्शे, क्षेत्र के विवरण और प्रस्तावित रिजर्व के मूल से स्थानांतरित किए जाने वाले गांवों के विवरण के साथ एनटीसीए को संशोधित प्रस्ताव फिर से जमा कराए. इसके बाद समिति ने चार पांच और 6 अप्रैल को प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का दौरा कर ड्राफ्ट तैयार किया. मूल प्रस्ताव में, प्रस्तावित कोर 240 वर्ग किमी था और काफी पेचीदा था. केलादेवी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के केवल छोटे हिस्से को कोर के रूप में शामिल किया गया था और बहुमत को बफर के रूप में प्रस्तावित किया गया था. इसलिए, समिति ने पूरे केलादेवी वन्यजीव अभयारण्य को कोर के अंदर शामिल किया और कोर क्षेत्र को 498 वर्ग किलोमीटर में समेकित किया.
संशोधित प्रस्ताव के मुताबिक कुल 1075 वर्ग किमी क्षेत्र होगा:
अब राज्य सरकार दमोह को भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के तौर पर अधिसूचित करने जा रही है ताकि इसे प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में शामिल किया जा सके. संशोधित प्रस्ताव के मुताबिक कोर 580 वर्ग किमी, बफर 495 वर्ग किमी सहित कुल 1075 वर्ग किमी क्षेत्र होगा. सीटीएच को और अधिक कॉम्पैक्ट बनाने के लिए प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के कोर के तहत बाघों के कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया है. अब टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र 240.87 वर्ग कि.मी. में वनविहार, रामसागर शामिल हैं. कैला देवी और नेशनल घड़ियाल सेंचुरी का हिस्सा भी इसमें शामिल है. प्रस्तावित बफर 899.20 वर्ग किमी में करौली और धौलपुर प्रादेशिक प्रभागों के वन, केसर बाग, कैलादेवी का हिस्सा , राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी का हिस्सा और कुछ राजस्व क्षेत्र शामिल हैं.
यहां करीब 8 बाघों का विचरण:
प्रस्तावित टाइगर रिजर्व रणथंभौर, रामगढ़ विषधारी, मुकुंदरा पहाड़ियों और मध्य प्रदेश और राजस्थान के अन्य संरक्षित क्षेत्रों से सटा हुआ है. यहां करीब 8 बाघों का विचरण है. साथ ही गंभीर रूप से लुप्तप्राय कैराकल और भेड़िये भी अच्छी तादाद में हैं. करौली और धौलपुर प्रादेशिक क्षेत्र के वाटरहोल जनसंख्या आकलन डेटा में जंगली सुअर, नीलगाय, चीतल, चिंकारा, सांभर और चौसिंघा भी काफी हैं. धौलपुर के टाइगर रिजर्व बनने से अब धौलपुर, करौली सवाई माधोपुर से रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा तक एक वृहद टाइगर कॉरिडोर बन गया है. राजस्थान को 'बाघस्थान' के तौर पर पहचाने जाने लगा है. उम्मीद की जा रही है कि अब जल्द ही कुंभलगढ़ को भी प्रदेश के छठे टाइगर रिजर्व के तौर पर घोषित किया जा सकता है. इससे प्रदेश में बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को ठोस आधार मिल पाएगा.