जयपुर: विधानसभा आम चुनाव के मुकाबले उपचुनाव में जीत हार के कारण अलग-अलग माने जाते रहे हैं. ऐसे में राजस्थान में विधानसभा गठन के बाद से अब तक के उपचुनाव परिणामों पर गौर करें तो कुल 97 में 59 जगहों पर कांग्रेस ने बाजी मारकर दबदबा कायम किया है. 22 पर बीजेपी, तीन पर निर्दलीय तथा सीपीएम, सीपीआई और रालोपा के खाते में एक-एक सीट गई.
-उपचुनाव में प्रत्याशियों ने सहानुभूति सहित कई आधार पर चुनाव लड़े लेकिन इनका परिणाम ज्यादातर कांग्रेस के पक्ष में रहा है.
पिछले पांच साल में राज्य की आठ सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें छह सीटें तो कांग्रेस ने जीती, लेकिन बीजेपी व रालोपा को एक-एक सीट पर ही जीत मिली.
1955 में 17 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें 15 सीटों पर केवल कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि दो सीटें अन्य दलों के खाते में गई.
1955 में 17 सीटों पर उपचुनाव हुए
जिसमें 17 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की.
1958 में तीन सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने दो और एक बीजेएस ने जीती.
1959 में महुआ सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के छुट्टन लाल ने जीत दर्ज की.
1960 में नोखा सीट पर उपचुना हुआ, जिसके कांग्रेस के रेवतमल पारीक जीते.
1961 में बूदी सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस के बृजसुंदर ने बाजी मारी.
1964 में महुआ सीट पर हुआ, जिसमें एस डबल्यूडी के मंदाता सिंह चुनाव जीते.
1964 में हनुमानगढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस के कुभाराम आर्य ने बाजी मारी.
1965 में तीन सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस के बानसूर से बद्रोप्रसाद और राजाखेड़ा से दामोदर व्यास और नोहर से दयाराम ने जीत हासिल की.
1967 में खानपुर की सीट उपचुनाव में बी जे एस ने जीती.
1968 में उपचुनाव में कांग्रेस के रामकिशोर और जालौर से विर्धा राम चुनाव जीते.
1969 में खेतड़ी के उपचुनाव में कांग्रेस के शीशराम ओला जीते.
1970 में टोंक से एनसी (जे) के सुरेन्द्र प्रसाद और नसीराबाद से शंकर सिंह जीते.
1973 में सादुलपुर से सीपीएम के मोहर सिंह, 1974 में तिजारा से सीपीआई के रत्तीराम और आसींद से कांग्रेस के गिरधारीलाल ने चुनाव जीता.
1977 में छबड़ा से भैरोंसिंह शेखावत ने उपचुनाव जीता.
1978 में रूपवास से दंताराम ने,बनेड़ा से कल्याण सिंह कालवी जीते.
1980 में वैर से उपचुनाव में जगन्नाथ पहाड़िया जीते. 1982 में सरदारशहर से कांग्रेस के केसरीचंद, 1983 में पिंडवाड़ा आबू से कांग्रेस के सोमाराम, दौसा से बीजेपी के राधेश्याम, मंडावा से कांग्रेस के राजनारानयन चुनाव जीते.
1984 में थानागाजी से कांग्रेस के धूनीलाल,1985 में करणपुर से कांग्रेस के इकबाल,आमेर से कांग्रेस के रामप्रताप,1988 से खेतड़ी से कांग्रेस के जितेंद्र ,
1990 में छबड़ा से बीजेपी के नंदकिशोर, 1991 में दौसा से निर्दलीय अर्जुन सिंह, बामनवास से कांग्रेस के हीरालाल,निवाई से बीजेपी के कैलाश मेघवाल, मांडलगढ़ से कांग्रेस के भंवरलाल,1994 में राजाखेड़ा से बीजेपी के मनोहर चुनाव जीते.
1995 में बयाना से कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह, बांसवाड़ा से बीजेपी के भवानी जोशी, भीलवाड़ा से बीजेपी के रामरिछपाल,1996 में सरदारशहर से भंवरलाल शर्मा, झुंझुनूं से बीजेपी के मूल सिंह, 1997 में फुलेरा से बीजेपी के रामनारायण किशन ने बाजी मारी.
1999 में सरदारपुरा से कांग्रेस के अशोक गहलोत, 2000 में रायसिंहनगर से कांग्रेस के सोहनलाल,सादुलपुर से निर्दलीय नंदलाल पूनिया, मंडावर से बीजेपी के धर्मपाल चौधरी और निबाहेड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी, आसपुर से कांग्रेस की रेखा मीणा,आसींद से बीजेपी के रामलाल गुर्जर,लूणकरणसर से बीजेपी के मानकचंद सुराना चुनाव जीते.
2001 में हिंडौली से बीजेपी के नाथूलाल गुर्जर, 2002 में अजमेर से कांग्रेस के नानकराम, बानसूर से बीजेपी के रोहिताश्व कुमार, सागवाड़ा से बीजेपी के कनकमल कटारा, बाली से बीजेपी के पुष्पेंद्र सिंह जीते.
2004 में बहरोड़ से बीजेपी प्रत्याशी चुनाव जीते. मेड़ता से कांग्रेस के रामचंद्र,2005 में लूणी से बीजेपी के जोगाराम पटेल, 2006 में डीग से बीजेपी की दिव्या सिंह,डूंगरपुर से कांग्रेस के कुंजीलाल परमार, 2009 में टोडाभीम से बीजेपी के रमेश चंद्र,सलूंबर से कांग्रेस प्रत्याशी जीते.
2014 में सूरजगढ़ से कांग्रेस के श्रवण कुमार, वैर से कांग्रेस के भजनलाल जाटव, नसीराबाद से कांग्रेस के रामनारायण,कोटा दक्षिण से बीजेपी के संदीप शर्मा,2017 में धौलपुर से बीजेपी की शोभारानी कुशवाह, 2018 में मांडलगढ़ से कांग्रेस के विवेक ने चुनाव जीता.
2019 में खींवसर से रालोपा के नारायण बेनीवाल,मंडावा से कांग्रेस की रीटा चौधरी,2021 में राजसमंद से बीजेपी की दीप्ति किरण माहेश्वरी, वल्लभनगर से कांग्रेस की प्रीति गजेंद्र सिंह, सहाड़ा से कांग्रेस की गायत्री देवी, सुजानगढ़ से कांग्रेस के मनोज कुमार, धरियावद से कांग्रेस के नगराज मीणा,सरदारशहर से कांग्रेस के अनिल कुमार शर्मा चुनाव जीते.