VIDEO: द्रव्यवती नदी परियोजना में टाटा प्रोजेक्ट को भुगतान के मामले में जेडीए कर रहा "बड़े यू टर्न" की तैयारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: द्रव्यवती नदी परियोजना में अनुबंधित कंसोरटियम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड व शंघाई अरबन कंस्ट्रक्शन ग्रुप को भुगतान के मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण "बड़ा यू टर्न" लेने की तैयारी कर रहा है. जेडीए इस कंसोरटियम को 114 करोड़ रुपए से अधिक राशि देने पर सहमत हो गया है. हांलाकि भुगतान से पहले जेडीए महाधिवक्ता से विधिक राय लेगा और राज्य सरकार से स्वीकृति भी लेगा. 

पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में द्रव्यवती नदी की कायाकल्प परियोजना का काम कंसोरटियम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड व शंघाई अरबन कंस्ट्रक्शन ग्रुप को 18 मार्च 2016 को दिया गया था. इस कंसोरटियम ने 11 अप्रेल 2016 को परियोजना का काम शुरू कर दिया था. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 1676.93 करोड़ रुपए हैं,जिसमें  1470.85 करोड़ रुपए परियोजना के विकास पर खर्च और शेष 206.08 करोड़ रुपए परियोजना के दस वर्ष के संचालन व रखरखाव के हैं. टाटा प्रोजेक्ट का दावा है कि वह 2 अक्टूबर 2018 से लगातार परियोजना का संचालन व रखरखाव कर रहा है. जबकि जेडीए पहले इस रूख पर अड़ा रहा है कि 23 मई 2022 को जो टाटा प्रोजेक्ट के साथ संपलीमेंट्री एग्रीमेंट किया गया था. तब से ही टाटा प्रोजेक्ट की ओर से परियोजना का संचालन व रखरखाव माना जाए. जेडीए ने अब अपने इसी रूख से यू टर्न की बड़ी तैयारी कर रहा है. परियोजना के भुगतान को लेकर जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट के अपने-अपने दावे हैं, इसको लेकर विभिन्न मामले आर्बिटेटर,कमर्शियल कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं.

-टाटा प्रोजेक्ट ने डिस्प्यूट आर्बिटेशन बोर्ड के यहां विभिन्न दावे कर रखे हैं
-इनमें से कुछ में फैसला टाटा प्रोजेक्ट के पक्ष में तो कुछ मामलों में फैसला जेडीए के पक्ष में हुआ है
-इनमें से एक मामला जो कि सीकर बांध,गूलर बांध व रामचंद्रपुरा बांध के एरिया में काम करने के भुगतान से जुड़ा है
-उसमें बोर्ड ने टाटा प्रोजेक्ट को ब्याज सहित 52.28 करोड़ रुपए देने के आदेश दिए हैं
-हांलाकि यह मामला अब कमर्शियल कोर्ट व हाईकोर्ट में लंबित है
-इसके अलावा विभिन्न मद में 423 करोड़ रुपए जेडीए से लेने के लिए टाटा प्रोजेक्ट ने एक दावा आर्बिटेटर के यहां भी कर रखा है

द्रव्यवती नदी परियोजना में इन्हीं विवादों को लेकर हाल ही जेडीए आयुक्त आनंदी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इस बैठक में परियोजना से जुड़े जेडीए के वरिष्ठ अभियंता और टाटा प्रोजेक्ट के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. इस बैठक में दोनों पक्षों में यह सहमति के आधार पर यह प्रस्तावित किया गया कि जेडीए अलग-अलग मामलों में कुल 114.05 करोड़ रुपए की राशि टाटा प्रोजेक्ट को देगा. लेकिन जेडीए यह भुगतान विधिक राय व राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद ही करेगा. आपको बताते हैं कि यह राशि किन-किन मामलों में दी जाएगी.

-जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट की सहमति के आधार पर तीन मामलों में जेडीए की ओर से राशि दिया जाना प्रस्तावित किया गया है
-टाटा प्रोजेक्ट ने आर्बिटेटर के यहां जो 423 करोड़ की वसूली का दावा किया है
-उसके बदले फुल एंड फाइनल राशि के तौर पर जेडीए 25 करोड़ जीएसटी व अन्य कर के साथ टाटा प्रोजेक्ट को देगा, यह प्रस्तावित किया गया
-यह तय किया गया कि यह राशि मिलने के बाद टाटा प्रोजेक्ट 52.28 करोड़ रुपए जेडीए से लेने के लिए लंबित एग्यूकेशन पीटीशन वापस ले लेगा
-इसी तरह जेडीए भी इस अवार्ड राशि को चुनौती देने की पीटीशन कोर्ट से वापस ले लेगा
-इस मामले में टाटा प्रोजेक्ट को किसी भी राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा
-2 अक्टूबर 2018 से 22 मई 2022 तक की अवधि में संचालन व रखरखाव के पेटे करीब 80.15 करोड़ रुपए जेडीए टाटा प्रोजेक्ट को देगा, यह प्रस्तावित किया गया
-इसी अवधि के बिजली के बिल पर लगी जीएसटी की राशि के तौर पर जेडीए 8.90 करोड़ रुपए टाटा प्रोजेक्ट को देगा, यह प्रस्तावित किया गया है
-यह तय किया गया है कि 80.15 करोड़ रुपए और 8.90 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद टाटा प्रोजेक्ट 423 करोड़ रुपए के दावे को वापस लेगा
-इन तीनों मामलों में टाटा प्रोजेक्ट को भुगतान से पहले जेडीए राज्य सरकार के महाधिवक्ता से विधिक राय लेगा
-साथ ही भुगतान से पहले जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट के बीच दूसरा संपलीमेंट्री एग्रीमेंट हस्ताक्षरित होगा
-जेडीए टाटा प्रोजेक्ट को कुल राशि 114.05 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए राज्य सरकार से भी स्वीकृति लेगा

इस पूरे प्रकरण में खास बात यह है कि दोनों पक्षों की सहमति के बाद यह प्रस्तावित किया गया है कि जेडीए 2 अक्टूबर 2018 से टाटा प्रोजेक्ट को परियोजना के संचालन व रखरखाव में खर्च राशि का भुगतान करेगा. जबकि जेडीए इस तिथि तक अपने पहले के रूख के मुताबिक परियोजना का काम पूरा नहीं होने का तर्क देते हुए संचालन व रखरखाव की राशि देने को तैयार नहीं था. लेकिन अब 2 अक्टूबर 2018 से 22 मई 2022 तक की अवधि में इस मद में भुगतान के प्रस्ताव पर जेडीए सहमत है. साथ ही इस अवधि में बिजली के बिल पर लगे जीएसटी का भुगतान देने पर भी सहमत है.