जयपुर: लोकतंत्र में समाज का हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना जरूरी है.ऐसे में ECI के निर्देश पर निर्वाचन विभाग ने ज्यादातर वंचित से माने जाने वाले ट्रांसजेंडर और घुमंतू,पिछड़ी जातियों को शामिल करने की व्यापक मुहिम हाथ में ली है.इसके बाद अब करीब 550 ट्रांसजेंडर और दो लाख 18 हजार घुमंतू,सहरिया और अन्य वंचित पिछड़ी मानी जानेवाली जातियों के वोटर्स अपने लोकतांत्रिक हक का इस्तेमाल कर पाएंगे,लेकिन अब निर्वाचन विभाग यह संख्या और बढ़ाने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रहा है. भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश हैं कि चुनाव की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अब तक वंचित माने जा रहे तबके को भी जोड़ा जाए.इसके तहत निर्वाचन विभाग ने ट्रांसजेंडर्स और सहरिया,कथौड़ी और अन्य घुमंतू, वंचित मानी जाने वाली जातियों को जोड़ने का काम हाथ में लिया है.
ट्रांसजेंडर्स वोटर्स:
-एनजीओ और अलग-अलग तरह के सर्वे में राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की संख्या 22 हजार से ज्यादा मानी जाती है.हालांकि इसे प्रामाणिक आंकड़ा नहीं माना जाता.
-इस वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलग पहचान के आदेश दिए गए.
- पूरे देश में इस तबके की आबादी लगभग पांच लाख मानी जाती है, लेकिन अभी करीब 35 हजार ट्रांसजेंडर्स ही वोटर्स के रूप में पंजीकृत हुए हैं.
- राजस्थान में तो हाल और भी बुरे हैं.पहली बार 2011 की जनगणना में जब इस वर्ग को अलग से गिना गया.तब राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की 16512 की आबादी होने का पता चला.जबकि ट्रांसजेंडर के 2013 में किये गए सर्वे में 22 हजार से अधिक संख्या आंकी गई जो मतदाता की सूची में नाम जुड़वाने की उम्र में हैं.
-भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद सीईओ प्रवीण गुप्ता की कोशिशों से जनवरी 2018 से ट्रांसजेंडर वोटर 349 से बढ़कर करीब 553 हो गए हैं.
-गंगानगर में सबसे ज्यादा 48 ट्रांसजेंडर वोटर्स हैं जबकि सबसे कम बूंदी में 3 ट्रांसजेंडर वोटर्स हैं.
कथौड़ी,सहरिया,अन्य वंचित तबके के वोटर्स:
-राजस्थान में कथौड़ी,सहरिया,बावरिया,गाड़िया लुहार जैसी घुमंतू और अन्य बड़ा तबका है जो वोटिंग के हक से वंचित माना जा रहा है.
-ट्रांसजेंडर और इन जातियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ने के लिए पहले भी कैंप लगाए गए हैं और हाल ही में लगाए कैंपों का परिणाम है कि करीब 11600 से ज्यादा इन जातियों के वंचित वोटर्स जुड़ पाए हैं.
-ऐसे में इन घुमंतू जातियों और अन्य जनजातियों के वोटर्स की कुल संख्या करीब 2 लाख 18 हजार 364 हो गई है.
21 अगस्त से 4 अक्टूबर तक पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत खासा अभियान चलेगा जिसमें खास तौर पर इन वर्गों पर फोकस रहेगा. ट्रांसजेंडर वोटर्स की संख्या पिछले चुनाव में करीब डेढ़ प्रतिशत थी और इस बार इस तबके के साथ और वंचित जाति के वोटर्स की संख्या देखी जाए तो यह बेहद कम प्रतिशत है.