जयपुर : रणथंभौर टाइगर रिज़र्व की लोकप्रिय और दमदार बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ का आज निधन हो गया. वर्षों तक पदम तालाब, जोगी महल, और शेरपुर क्षेत्र में अपने दबदबे से जंगल पर राज करने वाली इस रॉयल बाघिन ने आज जोगी महल के पास दम तोड़ा, ठीक उसी दिन जब उसकी आखिरी संतान आरबीटी 2507 कनकटी (अन्वी) को मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व में शिफ्ट किया गया.
एरोहेड की मृत्यु जितनी प्राकृतिक है, उतनी ही संवेदनात्मक और मार्मिक भी. बोन ट्यूमर से जूझ रही एरोहेड अपने अंतिम दिनों में बहुत पीड़ा में थी. लेकिन उससे भी बड़ा दुख शायद यह था कि वह अपनी संतानों को ना तो सुरक्षित रख पा रही थी, ना ही उनका साथ. तीनों शावकों की शिफ्टिंग रणथंभौर से बाहर कर दी गई.
-RBT 2509 (नर शावक) को करौली,
-RBT 2508 (मादा) को रामगढ़ विषधारी,
-और RBT 2507 (कनकटी) को आज मुकुंदरा.
तीनों के विदा होते ही एरोहेड भी जैसे अपना सांस छोड़ गई. यह महज एक मौत नहीं, एक मां की मौन चीत्कार है. वर्ष 2013 में जन्मी टी-84 एरोहेड, रणथंभौर की लीजेंड बाघिन टी-16 'मछली' की नातिन और टी-19 'कृष्णा' की बेटी थी. एरोहेड की दोनों बेटियां टी 124 रिद्धि और टी 125 सिद्धि अपनी मां एरोहेड की लेगेसी को आगे बढ़ा रही हैं. रणथंभौर के जोन 1 से लेकर जोन 5 तक इन तीनों मां बेटियों और उनके बच्चों का राज रहा है. मछली और उसकी नातिन एरोहेड का दबंग अंदाज और शिकार करने का तरीका एक जैसा ही रहा है. दोनों ही बाघिनें रणथंभौर की ‘टाइगर आइकन’ रही हैं.
एरोहेड ने कम उम्र में ही अपना इलाका स्थापित किया और अपने शिकारी कौशल के लिए पहचानी गई. मछली की तरह एरोहेड भी 'क्रोकोडाइल किलर' थी. मौत से सिर्फ दो दिन पहले ही उसने एक मगरमच्छ का शिकार किया था, वो भी बोन ट्यूमर के भयानक दर्द के बावजूद. पिछले कुछ समय से वह कमजोर हो रही थी, लेकिन बेटी की तलाश में वह शेरपुर हेलीपैड तक आ गई, ये दिखाता है कि एरोहेड सिर्फ एक शिकारी नहीं, एक मां भी थी, जो दर्द में भी ममता की डोर से बंधी रही. एरोहेड का जीवन भले लंबा न रहा हो, लेकिन उसकी मौजूदगी रणथंभौर के इतिहास में अमिट रहेगी.
एक समय एरोहेड की छाया में रणथंभौर के पग-पग पर रोमांच था. पर्यटकों, फोटोग्राफरों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए वह जंगल की शाही प्रतीक थी.पोस्टमार्टम के बाद एरोहेड का अंतिम संस्कार किया जाएगा. वन विभाग ने उसकी याद में एक ‘टाइगर गैलरी’ स्थापित करने की संभावना भी जताई है. आज रणथंभौर ने सिर्फ एक बाघिन नहीं खोई, बल्कि संवेदनाओं से भरी एक मां, एक योद्धा और एक जंगल की आत्मा को अलविदा कहा है. श्रद्धांजलि एरोहेड तुम हमेशा जंगल की गर्जना बनकर याद रहोगी.