जयपुर: चुनाव लडूंगा या नहीं लडूंगा कांग्रेस में ये सियासी राग शुरु हो गया है. अमीन खान,हेमाराम चौधरी, भरत सिंह सरीखे कद्दावर और वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी राजनीति से सन्यास का ऐलान किया था. अब इसी फेहरिस्त में पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ दीपेंद्र सिंह शेखावत ने ऐलान कर दिया. अपने निर्वाचन क्षेत्र श्रीमाधोपुर की जनता के बीच दीपेंद्र सिंह शेखावत ने संदेश दे दिया. उधर राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने कह दिया मैं तो चुनाव लडूंगा.
लालसोट से कांग्रेस विधायक और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा,गुढ़ामालानी से विधायक और वन मंत्री हेमाराम चौधरी,सांचौर से विधायक और श्रम राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई,झुंझुनूं से विधायक और परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला,खेरवाड़ा से विधायक दयाराम परमार श्रीमाधोपुर विधायक और पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत,धोद विधायक और पीसीसी के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष दीपचंद खेरिया,सीकर से विधायक राजेंद्र पारीक,धोद विधायक परसराम मोरदिया, पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा,शिव से विधायक अमीन खान,हिंडौन से कांग्रेस विधायक भरोसी लाल जाटव,सहाडा विधायक गायत्री देवी,राजगढ़ विधायक जौहरी लाल मीणा,सांगोद से विधायक भरत सिंह कुंदनपुर किशनगढ़बास से विधायक दीपचंद खेरिया इन पुराने और दिग्गज नेताओं में से मंत्री हेमाराम चौधरी,शिव विधायक अमीन खान ,सांगोद विधायक भरत सिंह ने पहले कहा था कि वो अगले चुनाव के समर में उतरना नहीं चाहते,
हालांकी अमीन खान ने बाद में कह दिया चुनाव लड़ने को तैयार माना जा रहा धोद विधायक परसराम मोरदिया भी अगला चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है. अब पूर्व स्पीकर और श्रीमाधोपुर विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत ने ऐलान किया है. शेखावत का सक्रिय चुनावी राजनीति से संन्यास लेते हुए श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता को अपना मैसेज देते हुए कहा- कि "मेरा समय-समय पर साथ और समर्थन के लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा,पिछले 2 वर्षों से स्वास्थ्य खराब होने के कारण आप लोगों के बीच उपस्थित नहीं रह पाया,अब मैं सिर्फ 4-5 माह के लिए ही विधायक हूं, अब आप लोगों के बीच रहूंगा,"प्रदेश में कुछ समय बाद आचार संहिता लग जाएगी,आप लोग मुझे बहुमत से चुनाव जिताने की बात कर रहे हैं,किंतु मैं अब आगे चुनाव नहीं लड़ूंगा, आपका अपना दीपेंद्र सिंह शेखावत.
-- एक नजर दीपेंद्र सिंह शेखावत के पॉलिटिकल कैरियर पर --
1972 - 73 राजस्थान कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष
1980 में पहली बार विधायक बने केवल 29साल की आयु में
1992 में स्टेट फार्म्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन
1993 में विधायक
1998 में विधायक और मंत्री, कृषि , यूडीएच जैसे महकमे रहे
2008में विधायक और फिर राजस्थान विधानसभा के स्पीकर
2018 से अब तक विधायक
--पीसीसी में महासचिव,उपाध्यक्ष,सचिव समेत अनेकों पदों पर रहे
--आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को जेल में बंद किया तब जेल भरो आंदोलन में शामिल रहें
--गांधी परिवार के निकट के नेताओं में गिना जाता है
--कांग्रेस में माधव राव सिंधिया के करीबी भी कहे जाते थे
--अशोक गहलोत के भी सालों तक नजदीक रहे थे
-देश के ख्यातनाम राजपूत नेताओं में गिनती
- देवी सिंह भाटी परिवार से रिश्तेदारी
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में 1980से पहले चुनाव जीतने वाले दो ही विधायक है. लेकिन 1980 से विधायक बन रहे विधायक भी क्या सोचेंगे कि अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़े. इनमे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल बड़ा नाम है धारीवाल के बेटे कोटा की राजनीति में सक्रिय है..पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला भी बड़ा नाम है लेकिन कल्ला ने साफ मना कर दिया,उन्होंने कहा कि अगला चुनाव लडूंगा.
उदयपुर में हुए कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के साहसिक निर्णय सबकी जुबां पर है इसके तहत 50 वर्ष से कम आयु के नेताओं को 50 फीसदी टिकट इसका अर्थ साफ है चुनावों में युवा वोट बैंक के मद्देनजर युवा लीडरशिप पर फोकस राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी के नक्शे कदम पर चलते हुए नई पीढ़ी को आगे लाने में यकीन रखते है हालांकि इसका मतलब ये नही है कि बुजुर्ग नेताओं को जान बूझकर बाहर का रास्ता दिखाया जाए. हां ये जरूर है कि दीपेंद्र सिंह शेखावत की तर्ज पर वरिष्ठ नेता भावी पीढ़ी के लिए राजनैतिक रास्ते खोल सकते है. टिकट कटे इससे अच्छा है कि स्वेच्छा से राजनीति को अलविदा कहना और नई पीढ़ी को आगे आने का अवसर देना ..ये भी संयोग है कि दीपेंद्र सिंह शेखावत समेत कई पुराने दिग्गजों की पीढ़ी राजनीति में कूदने को तैयार है.