जयपुरः प्रदेश में प्रस्ताविव नई टाउनशिप नीति लागू करने की राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है. नीति के प्रारूप को फाइनल करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. प्रदेश के शहरों में लागू मौजूदा टाउनशिप नीति वर्ष 2010 में लागू हुई थी. चौबीस साल पहले लागू इस नीति के बजाए नई टाउनशिप नीति लागू करने के लिए राज्य सरकार ने इस वर्ष 20 फरवरी को अधिकारियों की एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी की ओर से तैयार प्रारूप पर आपत्ति व सुझाव भी आमंत्रित किए गए थे. लेकिन पिछले सवा दो महीने से मामला ठंडे बस्ते में रहा. लेकिन अब राज्य सरकार ने नई टाउनशिप नीति लागू करने की कवायद तेज कर दी है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि नई टाउनशपि नीति के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
नई नीति में PHASE WISE DEVELOPMENT का प्रावधान किया गया है
शहर के किसी भी हिस्से में टाउनशिप विकास की मंजूरी नहीं दी जाएगी
निकाय की एक अधिकृत कमेटी चरणबद्ध विकास के लिए क्षेत्रों को चिन्हित करेगी
यह कमेटी नगरीयकरण योग्य सीमा में विभिन्न दिशाओं में क्षेत्रों को चिन्हित करेगी
इन्हीं चिन्हित क्षेत्रों में टाउनशिप विकसित करने मंजूर दी जा सकेगी
जब इस क्षेत्र के 75% एरिया का ले आउट प्लान हो जाएगा मंजूर
तब उसी दिशा में अगला क्षेत्र टाउनशिप विकास के लिए खोला जाएगा
पेयजल और विद्युत आपूर्ति की उपलब्धता/संभावना,मास्टर प्लान, रोड नेटवर्क,
मौजूदा एरिया से नजदीकी,क्षेत्र की विकास क्षमता आदि कारकों के आधार पर चरणबद्ध विकास के लिए क्षेत्र का चयन किया जाएगा
इंटीग्रेटेड रेजिडेंशियल टाउनशिप के लिए चरणबद्ध विकास की बाध्यता लागू नहीं होगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप कहीं भी लाई जा सकेगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप जयपुर में न्यूनतम 40 हेक्टेयर,
अजमेर बीकानेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, शाहजहांपुर नीमराणा बहरोड (SNB) कंपलेक्स,भिवाड़ी, अलवर और भीलवाड़ा में 20 हेक्टेयर
अन्य शहरों में न्यूनतम 10 हेक्टेयर पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप लाई जा सकेगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप में विकासकर्ता को टाउनशिप एरिया के निर्धारित हिस्से में ग्रुप हाउसिंग विकसित करनी होगी
जयपुर, शाहजहांपुर नीमराणा बहरोड कंपलेक्स (SNB)और भिवाड़ी में 40%,
अजमेर,बीकानेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अलवर और भीलवाड़ा में 30% और
अन्य शहरों में टाउनशिप एरिया की 20% प्रतिशत भूमि पर ग्रुप हाउसिंग लानी होगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लिए विकासकर्ता को संपर्क सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी
नई टाउनशिप नीति में UDH मंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय इंप्लीमेंटेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाएगा
यह कमेटी टाउनशिप नीति के इंप्लीमेंटेशन, मॉनिटरिंग और रिव्यू को लेकर बड़े फैसले ले सकेगी
इस कमेटी में नगरीय विकास,स्वायत्त शासन विभाग,ऊर्जा विभाग और जल संसाधन विभाग के सचिव शामिल होंगे
साथ ही डेवलपर एसोसिशन के दो प्रतिनिधि भी इस कमेटी में शामिल होंगे
नई टाउनशिप नीति के प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार विकासकर्ता को टाउनशिप का 7 साल रखरखाव करना होगा
टाउनशिप के सभी विकाय कार्य कर उनका 7 साल तक रखरखाव करना होगा
इसके लिए निकाय टाउनशिप के ढाई प्रतिशत भूखंड अपने पास ही रखेंगे
सही तरीके से रखरखाव होने पर सात साल बाद ये भूखंड निकाय मुक्त कर देंगे
अगर रखरखाव के कार्य में रहती है कोई कमी तो इन भूखंडों के बेचान से निकाय रखरखाव का खर्च निकालेंगे
टाउनशिप नीत के प्रारूप पर आपत्ति-सुझाव देने की अंतिम तिथि पहले 15 जुलाई रखी गई थी. इसके बाद इसे बढ़ाकर 31 जुलाई और फिर और बढ़ाकर 20 अगस्त कर दी गई थी. खुद नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने सभी मंत्री व विधायकों को पत्र लिखकर टाउनशिप नीति पर आपत्ति व सुझाव मांगे थे. नई टाउनशिप नीति के प्रारूप पर साढ़े तीन सौ से अधिक आपत्ति व सुझाव मुख्य नगर नियोजक कार्यालय को प्राप्त हुए थे. आपको बताते हैं कि किस तरह के आपत्ति व सुझाव इस नई नीति को लेकर प्राप्त हुए हैं और सरकार ने प्रारूप को फाइनल करने की दिशा में क्या किया है.
नई टाउनशिप नीति के प्रारूप पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने भी सुझाव दिया था
उन्होंने किसानों के हित का ध्यान रखने का सुझाव दिया
विधायक संदीप शर्मा और विश्वराज सिंह ने भी नीति के प्रारूप को लेकर सुझाव दिए
टाउनशिप डवलपर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान व क्रेडाई राजस्थान ने मौजूदा नीति को ही लागू रखने का सुझाव दिया है
विकासकर्ताओं के इन संगठनों का कहना है कि मौजूदा नीति में ही कुछ जरूरी संशोधन किए जाएं
इनका कहना है कि टाउनशिप के लिए एरिया बढ़ाने से छोटे विकासकर्ता काम नहीं कर पाएंगे
इस नई नीति के प्रारूप को तैयार करने के लिए जेडीए के निदेशक नगर नियोजन विनय कुमार दलेला के निर्देशन में कमेटी का गठन किया गया था
इस कमेटी में अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक शशिकांत और वरिष्ठ नगर नियोजक राजेश वर्मा भी शामिल हैं
20 अगस्त को आपत्ति-सुझाव मांगने की अंतिम तिथि के बाद से नई टाउनशिप नीति का मामला ठंडे बस्ते में था
लेकिन अब सरकार ने मामले में कवायद तेज करते हुए नई नीति के प्रारूप को फाइनल करने का काम शुरू कर दिया है
नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी कर प्रारूप तैयार करने वाली इसी कमेटी को प्रारूप को फाइनल करने की जिम्मेदारी दी है
यह कमेटी नीति के प्रारूप पर आई आपत्ति व सुझावों को परीक्षण करेगी, इनके अनुसार प्रारूप में आवश्यक होने पर संशोधन कर सकेगी
इसके बाद यह कमेटी प्रारूप को फाइनल करते हुए उसे सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजेगी.