सवाई माधोपुर में भारी बारिश का कहर, सूरवाल से चौथ का बरवाड़ा तक जलजमाव, नाव हादसा, पूर्व सरपंच की मौत

सवाई माधोपुर: जिले में हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. सूरवाल, चौथ का बरवाड़ा, बौंली समेत कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. सूरवाल बांध पर चादर चलने के बाद गांव में हालात बिगड़ गए हैं. मुख्य मार्ग पर करीब 10 किलोमीटर तक पानी भर गया है, जिससे आवागमन पूरी तरह बंद हो गया है. लगातार बढ़ते जलस्तर के बीच त्रिनेत्र गणेश जी की यात्राएं तेज बहाव में जयकारों के साथ आगे बढ़ रही हैं.

शहर की सड़कें बनी दरिया:
सवाई माधोपुर शहर की सड़कें जलमग्न हो गई हैं. बाजारों में पानी भरने से दुकानें बंद, दर्जनों कॉलोनियों में जलभराव से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बीते 2 दिनों में हालात गंभीर हो गए हैं.

सड़क और पुल क्षतिग्रस्त, संपर्क कटा:
मानसरोवर बांध पर करीब दो फीट की चादर चल रही है. ओगल पुलिया दोबारा टूटने से यातायात बाधित हो गया. नेशनल हाईवे-552 कुशालीपुरा के पास टूट गया है, जिससे खंडार और मध्य प्रदेश से संपर्क कट गया है. NH-52 और NH-552 को कई जगहों पर नुकसान पहुंचा है.

रपट बंद, रास्ते अवरुद्ध:
चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र में देवली-डिडायच रपट भारी बारिश के चलते फिर बंद हो गई है.यह रपट सवाई माधोपुर को जयपुर से जोड़ती थी. बिलोप गांव में तालाब फूटने से पानी घरों में घुस गया है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है: जान जोखिम में डालकर रपट पार न करें.

सूरवाल बांध में नाव हादसा, पूर्व सरपंच की मौत:
सूरवाल बांध में नौकायन के दौरान नाव पलटने से पूर्व सरपंच रतनलाल मीणा की मौत हो गई. शव नहर में मिला, ग्रामीणों ने रात्रि में ही खोजबीन कर शव बरामद किया. हादसे के समय नाव में 10 ग्रामीण सवार थे, जिनमें से 9 को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया.

बौंली में बारिश का रिकॉर्ड टूटा:
बौंली उपखंड में झमाझम बारिश जारी है. बीते 24 घंटे में 65 मिमी, और तीन दिन में 123 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है. अब तक क्षेत्र में 1020 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है, जो औसत से दोगुनी के करीब है. लगातार बारिश से पुराने मकानों को नुकसान और जलभराव से दिक्कतें बनी हुई हैं.

प्रशासन की चेतावनी:
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों, रपटों और जलमग्न सड़कों से दूर रहें, और किसी भी स्थिति में जोखिम न लें. राहत कार्य जारी हैं और प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी प्रशासनिक अधिकारी लगातार कर रहे हैं.